नई दिल्ली (अमित त्यागी): Parliament No-Confidence Motion Debate Updates: लोकसभा में आज उस वक्त जुबानी जंग छिड़ गयी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष की ओर से लाये गये अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देने के लिये संसद के अंदर पहुंचे। जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhary) ने मणिपुर में हुई हिंसा को देश में गृहयुद्ध बताया और इस मामले पर पीएम की चुप्पी पर सवाल उठाया, वहीं बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (BJP MP Jyotiraditya Scindia) ने सदन को कांग्रेस के शासन के दौरान पूर्वोत्तर राज्य में अनगिनत झड़पों और मौतों की याद दिलायी।
इससे पहले सत्तारूढ़ सरकार पर बिना किसी रोक-टोक के हमला करते हुए, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा (TMC MP Mahua Moitra) ने कहा कि मणिपुर में जारी हिंसा भाजपा की सबसे बड़ी नाकामी है। मोइत्रा ने कहा कि विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का मकसद केंद्र सरकार की मणिपुर पर चुप्पी को तोड़ना है। पीएम मोदी हमारी बात नहीं सुनेंगे, आखिरी दिन आकर भाषण देंगे। मुझे नहीं पता कि इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण क्या है, हमारे प्रधानमंत्री ने संसद में आने से इनकार कर दिया या उन्होंने मणिपुर जाने से इनकार कर दिया।”
बता दे कि आज (10 अगस्त 2023) अविश्वास प्रस्ताव पर तीन दिवसीय बहस खत्म होने वाली है, जिसमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष की ओर से उनकी सरकार के खिलाफ लाये गये प्रस्ताव का जवाब देने के लिये तैयार हैं।
आज संसद में पीएम मोदी के भाषण से पहले कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि-, “अविश्वास प्रस्ताव की ताकत आज प्रधानमंत्री को संसद में ले आयी है। हममें से कोई भी इस अविश्वास प्रस्ताव के बारे में नहीं सोच रहा था। हम तो यही मांग कर रहे थे कि पीएम मोदी संसद में आयें और मणिपुर मुद्दे पर बोलें। हम किसी बीजेपी सदस्य को संसद में आने की मांग नहीं कर रहे थे, हम सिर्फ अपने पीएम को आने की मांग कर रहे थे।”
विपक्ष की तीखी नारेबाजी के बीच जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में पहुंचे तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने सदन को संबोधित करते हुए मणिपुर में हुई हिंसा को देश में गृहयुद्ध बताया। उन्होंने कहा कि, “पीएम मोदी फ्रांस के दौरे पर थे लेकिन मणिपुर में जातीय संघर्ष पर बयान देने के लिये वक्त नहीं निकाल सके।”
इस बीच फार्मेसी अधिनियम 1948 में संशोधन के लिये फार्मेसी (संशोधन) विधेयक 2023 राज्यसभा में पारित हो गया। इससे पहले ये विधेयक 7 अगस्त को लोकसभा से पारित हुआ था।
दूसरी ओर सदन के दोबारा शुरू होने पर राज्यसभा (Rajya Sabha) के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने कहा कि, “सदन को स्थगित करने के बाद मुझे सदन के नेताओं के साथ बातचीत का फायदा मिला और अच्छी बातचीत हुई, सभी ने योगदान दिया। हमारे सामने 3 मुद्दे थे – नियम 267 के तहत नोटिस और नोटिस नियम 176 के तहत। मामले में कोई और प्रगति नहीं हो रही थी। फिर नियम 167 के तहत नोटिस आये, कुछ नेताओं के मुताबिक ये एक रास्ता हो सकता है क्योंकि असल में मेरे पास नोटिस आने से पहले सार्वजनिक डोमेन में पर्याप्त सुझाव था कि कोई बीच का रास्ता हो सकता है। मैं बेहद आशावादी हूं। माननीय नेता प्रतिपक्ष की अपनी चिंताएं थीं लेकिन वो इतने दयालु थे कि उन्होंने अपने प्रतिनिधियों को अपना रुख बताने के लिये भेजा।”