एजेंसियां/न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): बिडेन प्रशासन के एक सीनियर अधिकारी ने बीते मंगलवार (22 अगस्त 2023) को कहा कि सऊदी अरब (Saudi Arab) और इज़राइल (Israel) के बीच शांति बड़ी बात होगी, उन्होंने कहा कि इस तरह दोनों के रिश्ते सामान्य होना अमेरिकी हित में होगा। इस मोर्चें पर राजनयिक प्रयासों की झड़ी लग गयी है क्योंकि वाशिंगटन (Washington) मध्य पूर्व में दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य करने के समझौतों पर काम करना चाहता है।
ये देखना अभी बाकी है कि राष्ट्रपति जो बिडेन अगले महीने भारत में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Saudi Crown Prince Mohammed bin Salman) से मिलेंगे या नहीं। किसी भी समझौते के बदले में सऊदी अरब ने स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य और फ़िलिस्तीनियों को इज़रायली रियायतें देने की अपनी मांग को लेकर पुष्टि कर चुका है। इसके अलावा ये भी बताया गया है कि सऊदी अरब अमेरिका से बढ़ी हुई सुरक्षा प्रतिबद्धताओं के साथ-साथ अपने नागरिक परमाणु कार्यक्रम को विकसित करने में मदद चाहता है।
अमेरिकी कोशिशों के बावजूद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन (Jake Sullivan) ने कहा कि अभी भी इस मोर्चें पर बहुत काम किया जाना बाकी है। सुलिवन बिडेन के शीर्ष ऊर्जा सलाहकार और मध्य पूर्व पर व्हाइट हाउस के नीति प्रमुख समेत वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों ने हाल ही में सऊदी अरब के कई राजकीय दौरे किये हैं।
इस मुद्दे पर जेक सुलिवन ने कहा कि-“मुद्दे (नागरिक परमाणु संवर्धन) या हालात नॉर्मल होने के सवाल पर किसी भी घोषणा की उम्मीद न करें। लेकिन ये ऐसी चीज है जिस पर हम सउदी और इजरायल दोनों के साथ करीबी सलाह मशवरा के साथ काम करना जारी रखेंगे।”
सऊदी अरब ने खुले तौर पर खुलासा किया है कि वो अपना नागरिक परमाणु कार्यक्रम विकसित कर रहा है और इस कार्यक्रम के लिये मदद के लिये आगे आने वालों में से एक के तौर पर अमेरिका को प्राथमिकता देता है।
बता दे कि सऊदी अरब ने रियाद (Riyadh) के पास मौजूद यूरेनियम को समृद्ध करने और फिर ईंधन बेचने के लिये अमेरिकी टैक्नोलॉजी मांगने की गुज़ारिश की है। वाशिंगटन ने कोई फैसला नहीं लिया है, और इज़राइल ने इस तरह के कदम को लेकर विरोध में आवाज उठायी है।
सऊदी अधिकारियों ने कहा है कि अगर अमेरिका सहमत नहीं है तो वो मदद के लिये चीन, रूस या फ्रांस (France) की ओर रूख़ कर सकते हैं।
इसी मुद्दे पर सुलिवन ने आगे कहा कि- “जहां तक व्यापक शांति समझौते का सवाल है, इससे ज्यादा एकीकृत और स्थिर मध्य पूर्व बनाने में खासा मदद मिलेगी, जो कि अमेरिका के हित में है। सऊदी अरब और इज़राइल के बीच शांति एक बड़ी बात होगी। हमें ज्यादा एकजुट मध्य पूर्व में दिलचस्पी रखते है।”
गौरतलब है कि अगर इजरायल और सऊदी के बीच शांति समझौता होता है तो इसमें कई सारी बातों को शामिल किया जायेगा। दोनों देशों को कई मुद्दे पर आम सहमति बनाते हुए पूर्वाग्रहों को दूर कर साथ काम करने की जरूरत होगी। इसके बाद ही मध्य पूर्व एशिया (Middle East Asia) में शांति बहाली का मकसद पूरा हो पायेगा।