देशभर में जिस तरह से CAA,NRC और NPR को लेकर हवा बनी है। उससे लोगों में तरह-तरह की आशंकायें फैली रही है। अभी हाल ही में तेजस्वी यादव ने मोकामा इलाके के बीडीओ का पत्र साझा करके सूबे भर में NRC की कवायद शुरू होने की बात कही थी। लेकिन बाद में वो खाऱिज हो गयी थी। NRC को लेकर बंगाल में भी खासा तनाव भरा माहौल है। जिसकी वज़ह से केन्द्र सरकार की ओर से सर्वेक्षण के लिए नियुक्त किये गये, सर्वेक्षकों से लोग जानकारी साझा करने में हिचक रहे है।
तनाव का माहौल इस कदर फैला हुआ है कि, लोग जानकारी के अभाव में आंकड़े इकट्ठा करने वाले सरकारी कर्मचारियों को परेशान कर रहे है। आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से नेशनल सैंपल सर्वे के आंकड़े इकट्ठा करने वाले सर्वेक्षकों के काम में बाधा डालने की खब़रे सामने आ रही है। उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। गौरतलब है कि ये लोग सामाजिक और आर्थिक आंकड़े इकट्ठा करने के लिए क्षेत्र में घूम रहे है।
लोग के बीच ये डर फैला हुआ है कि, एनएसएस के आंकड़े एकत्र करने के नाम पर सरकार एनआरसी की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। सूत्रों के हवाले से खबरें आ रही है कि गुंटूर जिले (आंध्र प्रदेश) में नेशनल सैंपल सर्वे के आंकड़े इकट्ठा कर रहे अधिकारियों पर हमला किया गया है। आन्ध्रा प्रदेश में नेशनल सैंपल सर्वे में काम कर रहे अधिकारियों के मुताबिक सर्वेक्षकों पर स्थानीय नेताओं की अगुवाई में हमला किया गया। उन्होनें एनएसएस को समझे बगैर इससे एनआरसी से जुड़ा समझा। जब एनएसएस सर्वेक्षकों ने उन्हें समझाने की कोशिश की तो, उनके साथ बदसलूकी की गयी।
ठीक इसी तरह के हालात पश्चिम बंगाल में भी देखने को मिल रहे है। वहाँ नियुक्त एनएसएस कर्मियों के मुताबिक कुछ इसी तरह के हालात वहाँ रोजाना बनते है। ऐसा पहली बार देखने में आ रहा है कि आंकड़े इकट्ठा करने में खासा मशक्कत करनी पड़ रही है। इसकी शिकायत पुलिस और शहरी विकास मंत्रालय से कर दी गयी है।
गौरतलब है कि इन आंकड़ों के इस्तेमाल से सरकार जनता के लिए कारगर नीतियां बनाती है। इससे आर्थिक सामाजिक और जनसांख्यिकीय अध्ययन करने में आसानी होती है। यदि ऐसे ही हालत बने रहते है तो, हासिल किये गये आंकड़े से निकला निष्कर्ष प्रभावी नहीं रहेगा। आंकड़ो की विश्वसनीयता पर भी सवालिया निशान लगेगा। कयास ये भी लगाये जा रहे है कि अप्रैल से शुरू होने वाली जनगणना में ऐसे हालत चुनौती पेश कर सकते है।