Petrol Diesel Price: लग गयी सेंचुरी, देश का आम आदमी हिट विकेट

न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): पेट्रोल और डीजल (Petrol Diesel) के दामों ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है। देश के कई इलाकों में पेट्रोल और डीजल के दाम सैकड़े के आंकड़े को छूने के लिए दौड़ लगा रहे है। सरकारी तेल कंपनियों द्वारा दामों में लगातार बढ़ोत्तरी का ये 9वां दिन है। इसी के तहत राजस्थान के गंगानगर में पेट्रोल का दाम 100 रूपये के आंकड़े को पार करते हुए 100.13 रुपये पर पहुँच गया। आज के निर्धारित दामों के अनुसार पेट्रोल और डीजल दोनों के ही दामों में प्रतिलीटर 26 पैसे बढ़ाये गये है।

दिल्ली, मुंबई और बैंगलुरू में दाम लगातार नया रिकॉर्ड बना रहे है। आज राजधानी दिल्ली में पेट्रोल का दाम 89.54 रूपये लीटर और मुंबई में 96 रूपये लीटर दर्ज किया गया। बात करें राजस्थान का गंगानगर देश का पहला क्षेत्र है। जहां पेट्रोल ने सेंचुरी लगाई। बीते आठ दिनों के आंकड़ों पर गौर करें तो डीजल पर अब तक कुल 2.57 रूपये और पेट्रोल पर 2.34 की बढ़ोत्तरी दर्ज की जा चुकी है। अलग-अलग राज्यों में इसकी ढुलाई, स्थानीय बिक्री कर और वैट की दरों में अन्तर होता है। जिसका सीधा असर दामों पर पड़ता है।

दोनों के दामों नज़र डाले तो केन्द्र और राज्य रिटेल सेल्स क्रमश: 60 और 54 फीसदी हिस्सेदारी पाते है। केन्द्र सरकार पेट्रोल प्रतिलीटर पर 32.90 रूपये और डीजल पर 31.80 रूपये एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty) वसूलती है। गौरतलब है कि दोनों की कीमतें कई बिन्दु निर्धारित करते है। जिसमें कच्चे तेल की कीमतें और डॉलर के मुकाबले रूपये का मौद्रिक मूल्य (Monetary Value) काफी अहम है। विदेशी विनिमय के तहत कच्चे तेल की कीमतों का तेल कंपनियां डॉलर में भुगतान करती है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल जैसी सरकारी पेट्रोलियम कंपनियां रोजाना सुबह 6 बजे संशोधित कीमतों को तय करती है।

ईरान से कच्चे तेल का आयात हो सकता है फायदेमंद

भारत वैकल्पिक तौर पर सस्ते में ईरान से कच्चे तेल का आयात कर सकता है। जिसके लिए ईरान रूपये स्वीकार करने के लिए भी तैयार है। इसमें सबसे बड़ी दिक्कत तेहरान पर लगे अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंध (US economic sanctions) है। जिसके कारण कोई भी देश उससे सीधे तौर पर तेल का आयात नहीं कर सकता। अगर ईरान से क्रूड ऑयल का इम्पोर्ट किया जाये तो काफी हद पेट्रोल और डीजल की कीमत कम हो सकती है। साथ ही भारत की खाड़ी देशों पर निर्भरता भी कम होगी।

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