…”तो PFI हिन्दू लड़की को हदिया बनाता है और कांग्रेसी कपिल सिब्बल उसको तिकड़म भिड़ाकर 77 लाख में मान्यता दिलवाता है
ज्यादा दिन नहीं बीतें जब 2017 में स्कार्फ पहनी एक 24 साल की लड़की की तस्वीर हर अखबारों के पन्ने पर दिखती थी नाम था अखिला अशोकन। ये चर्चा में तब आई जब उनके पिता और माता जो कि केरल के सेलम के निवासी थे, ने एक मुस्लिम चरमपंथी संगठन PFI पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उनकी बेटी को सम्मोहन, प्रलोभन वेबसाइट आदि की सहायता से धर्म परिवर्तन करवाकर निकाह करवा दिया।
आपको याद होगा केरल हाइकोर्ट से पिता के दलील की जीत हुई और हादिया के विवाह को अमान्य करार दिया गया।
यहां तक सब ठीक था।
यहीं से इस मामले में दखल देते है कपिल सिब्बल जोड़-जुगाड़ के बेताज बादशाह और मुस्लिम चरमपंथी संगठन PFI जिसपर यूपी में CAA के दौरान दंगा फैलाने के दाग है जिसपर प्रतिबंध का ख़तरा मंडरा रहा है। इसी संगठन ने CAA विरोध को बैद्धिक स्तर पर सुलगाने के नाम पर कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंह जैसे लोगों को करीब 120 कऱोड रुपया बांटे। यह पैसा इतना है कि अगर यहीं चरमपंथी संगठन अल्पसंख्यक समाज के शिक्षा या अन्य मूलभूत आवश्यकता पर खर्च करता तो शायद आज स्थिति अच्छी होती लेकिन फिर इनके धरने में बैठता कौन?
PFI ने अखिला अशोकन को हादिया बनाने के लिए 77 लाख रुपये कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल को दिए। परिणाम यह हुआ गरीब केएम अशोकन 77 लाख के पलड़े में कमजोर साबित हुए केरल HC का फैसला पलट दिया गया और उनकी बेटी के निकाह को SC ने जायज ठहरा दिया और गरीब माँ बाप भरी कोर्ट से आँखो में आंसू लिए और PFI को बद्दुआ देते हुए बाहर निकलें।
आज जब ED ने कहा कि कपिल सिब्बल, इंदिरा जय सिंह को PFI ने CAA के विरोध आंदोलन आदि के लिए पैसे दिए है तो कपिल सिब्बल ने खुद स्वीकारा है हां उन्होंने पैसे लिए है लेकिन यह पैसे एक हिन्दू लड़की को मुस्लिम बनाने के लिए हादिया प्रकरण में लिए थे क्योंकि PFI उनका क्लाइंट है। एक केस का रकम 77 लाख यानी सुनने में जितनी रकम यह बड़ी है उतनी ही बड़ी साजिश है केरल समेत अन्य दक्षिण भारत में धर्म परिवर्तन के इस खेल की जिसमें मिशनरी से जो बचा उसे PFI 77 लाख तक कपिल सिब्बल की सहायता से लील गया।
यहां एक आम आदमी भी एक लव जिहाद के मामलें में किसी तीसरे संगठन द्वारा खर्च किये गए 77 लाख की भारी भरकम राशि खर्च करने का उद्देश्य समझ सकता है।
ध्यान रहें इस मामले सहित पहली बार एनआईए द्वारा 11 लव जिहाद के मामलों की जांच की गई है। एनआईए की जांच रिपोर्ट के अनुसार, वेबसाइट के माध्यम से सम्मोहन और धर्म-परिवर्तन कराने के बाद लड़कियों के निकाह कराने का कट्टरपंथियों द्वारा संगठित गैंग चलाया जा रहा है। इन आरोपों की सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता वो भी तब जब 77 लाख तक सिर्फ एक हिन्दू को मुस्लिम बनाने में खर्च किये जा रहे है या मामलें में PFI ने वेटिकन मिशनरियों को भी पीछे छोड़ दिया जो दलितों, आदिवासियों को 50 ग़ज़ ज़मीन और स्कूल में एडमिन के नाम पर जिस के करीब ले जाते है। PFI का पाप का घड़ा गरीब मां-बाप के उन्हीं बद्दुआओं का नतीजा है आज इस संगठन पर प्रतिबंध तक की नौबत है।
एक बात तो तय है कि संक्रमण कालीन इस युग में घर-घर PFI नजर गड़ाएं बैठा है और आप इसे सिर्फ आजादी का नाम देकर फूले नहीं समाते हैं जबकि सच आपको भी मालूम है लेकिन यह सेक्युलर नाम का घुन रूपी कीड़ा आपको अंदर से खोखला कर चुका है।
नोट: केरल की जनसांख्यिकीय की बदलती स्थिति काफी गंभीर है। 1901 में, हिंदुओं की आबादी 43.78 लाख थी जो केरल की कुल आबादी की 68.5 प्रतिशत थी आज यहीं आबादी 55 प्रतिशत (सन् 2011 की जनगणना के अनुसार 55.05 प्रतिशत), मुस्लिमों की आबादी 17 से 27 प्रतिशत (सन् 2011 की जनगणना के अनुसार 26.56 प्रतिशत) और ईसाईयों की आबादी 14 से 18 प्रतिशत है। लेकिन सन् 2016 में एक और वृद्धि दर्ज हुई है, वह है हिंदुओं से मुस्लिमों की जन्म संख्या में वृद्धि। सन् 2016 में हिंदुओं के मुकाबले मुस्लिमों का जन्म प्रतिशत 42.55 प्रतिशत के साथ सबसे ऊपर था। इसका मतलब है कि केरल में जन्म लेने वाले प्रत्येक 100 बच्चों में से 42 बच्चे मुस्लिम थे। एक अनुमान के मुताबिक 2030 तक यह आंकड़ा 40 होगा जिसे तेजी से 50 करनेके चक्कर में दूसरों की लाइन छोटी की जा रही है यानी धर्म परिवर्तन आदि।
एक बात और रोचक है मल्लपुरम जिला जो 70 प्रतिशत मुस्लिम आबादी बहुल है। यहां सबसे खास बात यह है कि रमजान के दिनों में हिन्दू दुकानदारों को खाने-पीने के समान बेचने तक की पाबंदी होती है ठीक सऊदी की तरह।