नई दिल्ली (समरजीत अधिकारी): मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति के लिये सरकार की शक्ति को सीमित करते हुए सुप्रीम कोर्ट (SC- Supreme Court) ने आज (2 मार्च 2023) फैसला सुनाया कि उन्हें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की समिति की सलाह पर नियुक्त किया जायेगा।
न्यायमूर्ति केएम जोसेफ (Justice KM Joseph) की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों (Chief Election Commissioner and Election Commissioners) की नियुक्ति के लिये स्वतंत्र तंत्र की मांग करने वाली याचिकाओं के एक समूह को आंशिक रूप से मंजूरी देते हुए कहा कि, “हम घोषणा करते हैं कि जहां तक मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों के पद पर नियुक्ति की बात है, वहां भारत के राष्ट्रपति की ओर से भारत के प्रधान मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश वाली समिति की सिफारिश पर नियुक्त दी जायेगी।”
संविधान के अनुच्छेद 324 (2) में कहा गया है कि सीईसी और ईसी की नियुक्ति राष्ट्रपति की ओर से मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से की जायेगी, जब तक कि संसद चयन, सेवा की शर्तों और कार्यकाल के लिए मानदंड तय करने वाला कानून नहीं बनाती।
बेंच में जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार (Hrishikesh Roy and CT Ravikumar) भी शामिल थे। अपनी अलग सहमति वाली राय में न्यायमूर्ति रस्तोगी ने ये भी कहा कि सीईसी को हटाने के लिये मौजूदा पदासीन सुरक्षा चुनाव आयुक्तों पर भी लागू होनी चाहिये। न्यायमूर्ति रस्तोगी ने कहा कि- “तथ्यों और परिस्थितियों में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिये चुनाव आयोग के कार्यालय की तटस्थता और स्वतंत्रता को बनाये रखने के महत्व को ध्यान में रखते हुए, जो कि लोकतंत्र को बनाये रखने के लिये जरूरी है, ये जरूरी हो जाता है कि इसे टाला जाये। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और काम कार्यकारी दखल से मुक्त होना। मुख्य चुनाव आयुक्तों के लिये उपलब्ध सुरक्षा का विस्तार करना समय की आवश्यकता है और मेरे विचार से सलाह दी जाती है। अन्य चुनाव आयुक्तों के साथ-साथ संसद की ओर से कोई कानून तैयार किये जाने तक इस व्यवस्था को लागू कर जारी रखा जाये”।