आज दुनिया के लिये सबसे बड़ी खबर जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Former Japanese Prime Minister Shinzo Abe) की हत्या है। जो जापान (Japan) के सबसे अहम और सम्मानित नेताओं में से एक थे। उनकी हत्या ऐसे वक़्त में हुई है जब जापान लगातार चीन (China) को चुनौती दे रहा था। भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) समेत अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक बिरादरी से शोक के संदेश आये। शिंजो आबे की हत्या के मद्देनजर पीएम नरेंद्र मोदी ने आज (9 जुलाई 2022) राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया। पीएम मोदी और आबे कई मौकों पर मिले थे, जिससे दोनों की अगुवाई में पिछले एक दशक में भारत और जापान के बीच संबंध काफी मजबूत हुए हैं।
अब पीएम मोदी और जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे के बीच कुछ समानताओं पर नजर डालते हैं। पहली समानता ये है कि शिंजो आबे को जापान के सबसे बड़े राजनीतिक नेताओं में से एक माना जाता था, जबकि पीएम नरेंद्र मोदी ने भी भारत में इसी तरह की उपाधि हासिल की है। दोनों नेताओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत नेतृत्व वाले व्यक्तित्व के तौर पर पहचाना जाता है।
दोनों के बीच दूसरी समानता ये है कि शिंजो आबे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पैदा होने वाले जापान के पहले प्रधान मंत्री थे, जबकि नरेंद्र मोदी भारत के पहले प्रधान मंत्री हैं जो द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) और भारत की आजादी के बाद पैदा हुए। दोनों नेताओं ने ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के लिये संविधान में जरूरी बदलाव किये। जहां प्रधान मंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से अनुच्छेद 370 को हटाकर क्रांतिकारी बदलाव किया, वहीं 2015 में शिंजो आबे ने जापान के संविधान में संशोधन कर सेना को जापान की सीमाओं से परे जाने और अपने दुश्मन के खिलाफ लड़ने का अधिकार दिया।
चीन को लेकर दोनों नेताओं की सोच हमेशा एक जैसी रही हैं। प्रधान मंत्री मोदी ने अपने अब तक के कार्यकाल में चीन को अपना दुश्मन मानने वाले देशों के साथ संबंध मजबूत करने का आह्वान किया। ऐसे में भारत ने वियतनाम (Vietnam) के साथ अपने आर्थिक और सैन्य संबंध मजबूत किये हैं। इसी तरह शिंजो आबे ने भी अपने कार्यकाल में ताइवान (Taiwan) के साथ जापान के संबंधों को काफी अहमियत दी।
ये शिंजो आबे ही थे जिन्होंने भारतीय और प्रशांत महासागरों (Indian and Pacific Oceans) में चीन की मनमानी के खिलाफ क्वाड (Quad) को फिर से मजबूत करने का काम किया। इस बीच प्रधान मंत्री मोदी भी इस मुद्दे को बहुत अहमियत देते रहे हैं, इन मुद्दों के बारे में सोचने के लिये लगातार दोनों क्वाड से आग्रह किया।
दोनों नेताओं के बीच सबसे बड़ी और सबसे अहम समानता ये है कि आबे और मोदी दोनों ने अपने-अपने देशों में एक राजनेता के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान कई चुनाव जीते। जब राजनीतिक समर्थन और अपने देशों के नागरिकों की बात आती है तो दोनों को भारी समर्थन मिला है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) समेत सभी प्रमुख देशों के शीर्ष नेताओं ने शिंजो आबे की दुखद मौत पर दुख ज़ाहिर किया। अपने सख्त बंदूक सुरक्षा नियमों के लिये जाने जाने वाले मुल्क जापान में जब आबे की गोली मारकर हत्या कर दी गयी तो पूरी दुनिया हैरान रह गयी थी।
मौजूदा हालातों में दुनिया भर में बहुत ज़्यादा राजनीतिक अस्थिरता और अनिश्चितता है, जो बड़े पैमाने पर रूस-यूक्रेन जंग की वज़ह से है। एक तरफ रूस, चीन और पाकिस्तान (China and Pakistan) जैसे देशों ने एक-दूसरे के प्रति एकजुटता दिखायी है, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया (Australia) और अन्य पश्चिमी देशों जैसे देशों ने एक-दूसरे को एकजुट किया है।
इस शक्ति ध्रुवीकरण के बीच भारत वैश्विक मुद्दों पर तटस्थ नज़रिया रखते हुए किसी खास गुट का पक्ष नहीं लेता है। शिंजो आबे की हत्या से दुनिया भर में और ज़्यादा राजनीतिक अशांति पैदा होने की उम्मीद है, जिससे भारत में और अशांति पैदा हो सकती है।
जापान के पूर्व पीएम की हत्या से जापान की सियासी तस्वीर में बदलाव की उम्मीद है, क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से जापान ने ऐसी किसी भी सियासी कत्ल का सामना नहीं किया है। ये प्रकरण वैश्विक राजनीति में नई लहर पैदा करने के लिये तैयार है। इसका मतलब है कि वैश्विक राजनीति में पीएम मोदी की भूमिका और भी अहम हो सकती है।