असम: नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) लागू होने के बाद पीएम मोदी (PM Modi) आज पहली बार असम (Assam) के दौरे पर पहुँचे। CAA और NRC के मसले पर असम में अच्छा-खासा बवाल मचा था, जिसे लेकर विपक्षी पार्टियां अक्सर प्रधानमंत्री से सवाल पूछती रही कि, आखिर वो असम कब जायेगें। बोडो समझौता के मौके पर उन्होनें कोकराझार (Kokrajhar) एक रैली को संबोधित किया। Bodoland Territorial Area Districts के लोगों ने पीएम मोदी के संबोधन को सुनने के लिए इस कार्यक्रम में शिरकत की। कार्यक्रम में कई स्थानीय कलाकारों ने भी अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दी। इस संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने राहुल गांधी के डंडे वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि- जिस तरह से मुझे इतनी सारी बहन-माताओं का आशीर्वाद मिल रहा है। ये मेरा सुरक्षा कवच है। मुझ पर कितने ही डंडे बरसाये जाये मुझे कुछ नहीं होने वाला।
कोकराझार की जनसभा में पीएम मोदी के संबोधन के मुख्य अंशः
- मैं आज असम के हर साथी को ये आश्वस्त करने आया हूं, कि असम विरोधी, देश विरोधी हर मानसिकता को, इसके समर्थकों को,देश न बर्दाश्त करेगा, न माफ करेगा। यही ताकतें हैं जो पूरी ताकत से असम और नॉर्थईस्ट में भी अफवाहें फैला रही हैं, कि CAA से यहां, बाहर के लोग आ जाएंगे, बाहर से लोग आकर बस जाएंगे। मैं असम के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि ऐसा भी कुछ नहीं होगा।
- अब सरकार का प्रयास है कि असम अकॉर्ड की धारा-6 को भी जल्द से जल्द लागू किया जाए। मैं असम के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि इस मामले से जुड़ी कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद केंद्र सरकार और त्वरित गति से कार्रवाई करेगी। आज जब बोडो क्षेत्र में, नई उम्मीदों, नए सपनों, नए हौसले का संचार हुआ है, तो आप सभी की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। मुझे पूरा विश्वास है कि Bodo Territorial Council अब यहां के हर समाज को साथ लेकर, विकास का एक नया मॉडल विकसित करेगी।
- अब केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो आंदोलन से जुड़े संगठनों ने जिस ऐतिहासिक अकॉर्डपर सहमति जताई है, जिस पर साइन किया है, उसके बाद अब कोई मांग नहीं बची है और अब विकास ही पहली प्राथमिकता है और आखिरी भी। इस अकॉर्डका लाभ बोडो जनजाति के साथियों के साथ ही दूसरे समाज के लोगों को भी होगा। क्योंकि इस समझौते के तहत बोडो टैरिटोरियल काउंसिल के अधिकारों का दायरा बढ़ाया गया है, अधिक सशक्त किया गया है।
- देश के सामने कितनी ही चुनौतियां रही हैं जिन्हें कभी राजनीतिक वजहों से, कभी सामाजिक वजहों से, नजरअंदाज किया जाता रहा है। इन चुनौतियों ने देश के भीतर अलग-अलग क्षेत्रों में हिंसा और अस्थिरता को बढ़ावा दिया है। हमने नॉर्थ ईस्ट के अलग-अलग क्षेत्रों के भावनात्मक पहलू को समझा,उनकी उम्मीदों को समझा, यहां रह रहे लोगों से बहुत अपनत्व के साथ, उन्हें अपना मानते हुए संवाद कायम किया।
- जिस नॉर्थ ईस्ट में हिंसा की वजह से हजारों लोग अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए थे, अब यहां उन लोगों को पूरे सम्मान और मर्यादा के साथ बसने की नई सुविधाएं दी जा रही हैं। पहले नॉर्थईस्ट के राज्यों को Recipient के तौर पर देखा जाता था। आज उनको विकास के ग्रोथ इंजन के रूप में देखा जा रहा है। पहले नॉर्थईस्ट के राज्यों को दिल्ली से बहुत दूर समझा जाता था, आज दिल्ली आपके दरवाजे पर आई है।
- अब असम में अनेक साथियों ने शांति और अहिंसा का मार्ग स्वीकार करने के साथ ही, लोकतंत्र को स्वीकार किया है, भारत के संविधान को स्वीकार किया है। मैं बोडो लैंड मूवमेंट का हिस्सा रहे सभी लोगों का राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल होने पर स्वागत करता हूं। पाँच दशक बाद पूरे सौहार्द के साथ बोडो लैंड मूवमेंट से जुड़े हर साथी की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को सम्मान मिला है।