नई दिल्ली (निकुंजा वत्स): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने आज (26 नवंबर 2022) सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस (Constitution Day) समारोह में हिस्सा लिया। 1949 में संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में 2015 से इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ई-कोर्ट परियोजना के तहत कई नयी पहलों का लोकार्पण किया। इस पहल से वादियों, वकीलों और न्यायपालिका को नयी सेवाओं की खासा मदद मिलेगी।
पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम के जरिये वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, JustIS मोबाइल ऐप 2.0, डिजिटल कोर्ट (Digital Court) और S3WaaS वेबसाइट की भी शुरूआत की। बता दे कि अदालतों के कामकाज को जवाबदेह और पारदर्शी बनाने के लिये जनता जिला न्यायालय की वेबसाइट पर किसी भी अदालत प्रतिष्ठान की वर्चुअल जस्टिस क्लॉक (Virtual Justice Clock) तक पहुंचा जा सकता है। JustIS मोबाइल ऐप 2.0 न्यायिक अधिकारियों के लिये कारगर कार्रवाईयों और मामले के मैनेजमेंट के लिये कारगर टूल मुहैया करवायेगा। ये ना सिर्फ अदालत बल्कि उनके तहत काम करने वाले न्यायाधीशों के पेंडेंसी और निपटान की निगरानी करता है। ये ऐप उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिये भी मुहैया करवाया गया है, जो कि अब अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सभी राज्यों और जिलों के पेंडेंसी और निपटान की निगरानी कर सकते हैं।
डिजिटल कोर्ट पेपरलेस अदालतों का काम करने की क्षमता देता है, ये डिजिटल तौर पर जज को अदालत के रिकॉर्ड उपलब्ध कराने की पहल है।
सुप्रीम कोर्ट परिसर में संविधान दिवस के मौके PM Modi ने कही ये बातें
- सभी देशवासियों को संविधान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ! 1949 में, ये आज का ही दिन था, जब स्वतंत्र भारत ने अपने लिए एक नए भविष्य की नींव डाली थी। मैं आधनिक भारत का सपना देखने वाले बाबा साहेब आंबेडकर समेत संविधान सभा के सभी सदस्यों को, सभी संविधान निर्माताओं को नमन करता हूँ। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के क्षेत्र में काम करने वाले असंख्य लोगों ने भारत की 7 दशकों की विकास यात्रा में एक महान भूमिका निभायी है।
- आज 26/11 मुंबई आतंकी हमले का दिन भी है। 14 वर्ष पहले, जब भारत, अपने संविधान और अपने नागरिकों के अधिकारों का पर्व मना रहा था, उसी दिन मानवता के दुश्मनों ने भारत पर सबसे बड़ा आतंकवादी हमला किया था। मुंबई आतंकी हमले में जिनकी मृत्यु हुई, मैं उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
- आज़ादी का ये अमृतकाल देश के लिए कर्तव्यकाल है। चाहे व्यक्ति हों या संस्थाएं, हमारे दायित्व ही आज हमारी पहली प्राथमिकता हैं। अपने कर्तव्य पथ पर चलते हुए ही हम देश को विकास की नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं।
- हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें एक ऐसा संविधान दिया है, जो open है, futuristic है, और अपने आधुनिक विज़न के लिए जाना जाता है। इसलिए, स्वाभाविक तौर पर, हमारे संविधान की स्पिरिट, youth centric है।
- भारत की Mother of Democracy के रूप में जो पहचान है, हमें उसको और भी अधिक सशक्त करना है। आज के युवाओं में संविधान को लेकर समझ और बढ़े, इसके लिए ये जरूरी है कि वो संवैधानिक विषयों पर debates और Discussion का हिस्सा बनें।
- आज की वैश्विक परिस्थितियों में, पूरे विश्व की नजर भारत पर है। भारत के तेज विकास, भारत की तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और भारत की मजबूत होती अंतरराष्ट्रीय छवि के बीच, दुनिया हमें बहुत उम्मीदों से देख रही है। आज पूरे सामर्थ्य से, अपनी सभी विविधताओं पर गर्व करते हुए ये देश आगे बढ़ रहा है और इसके पीछे हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है।
- Pro People की ताकत से आज देश का सशक्तिकरण हो रहा। सामान्य मानवी के लिए कानूनों को सरल बनाया जा रहा है। आजादी का ये अमृत काल देश के लिए ‘कर्तव्य काल’ है। व्यक्ति हों या संस्थाएं… हमारे दायित्व ही हमारी पहली प्रतिज्ञा है।
- संविधान की प्रस्तावना के पहले तीन शब्द- ‘We The People’ केवल शब्द नहीं हैं… ये एक आह्वान है, एक प्रतिज्ञा है, एक विश्वास है। आज दुनिया हमें बहुत उम्मीदों से देख रही है। आज पूरे सामर्थ्य से, अपनी सभी विविधताओं पर गर्व करते हुए ये देश आगे बढ़ रहा है और इसके पीछे हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है।