न्यूज डेस्क (श्री हर्षिणी सिंधू): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने आज 11वीं सदी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की याद में हैदराबाद में 216 फीट ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ (Statue of Equality) का उद्घाटन किया। इसके साथ ही वो सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स के लिये अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) की 50वीं वर्षगांठ समारोह में भी हिस्सा लिया। 216 फीट ऊंची स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी 11वीं सदी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की याद में बनाया गया है, जिन्होंने आस्था, जाति और पंथ समेत जीवन के सभी पहलुओं में समानता के विचार को बढ़ावा दिया।
मूर्ति ‘पंचलोहा’ से बनी है, जो पांच धातुओं: सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का मिश्रण है। साथ ही ये प्रतिमा दुनिया में बैठने की स्थिति में सबसे ऊंची धातु की मूर्तियों में से एक है। प्रतिमा को 54 फीट ऊंचे ‘भद्र वेदी’ आधार भवन पर लगाया गया है, जिसमें वैदिक डिजिटल पुस्तकालय (Vedic Digital Library) और रिसर्च सेन्टर भी बना हुआ है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों के लिये थिएटर और शैक्षिक गैलरी भी फ्लोर पर बनायी गयी है, जिसमें श्री रामानुजाचार्य (Sri Ramanujacharya) के कामों के बारे में बताया गया है। बता दे कि ये प्रतिमा श्री रामानुजाचार्य आश्रम के श्री चिन्ना जीयर स्वामी की मानस देन है।
इस कार्यक्रम के दौरान श्री रामानुजाचार्य की जीवन यात्रा और शिक्षा पर थ्रीडी प्रेजेंटेशन मैपिंग (3D Presentation Mapping) को भी दिखाया गया। प्रधान मंत्री 108 दिव्य देशम (सजावटी रूप से नक्काशीदार मंदिर) का भी दौरा किया जो कि स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी को घेरे हुए हैं। श्री रामानुजाचार्य ने राष्ट्रीयता, लिंग, नस्ल, जाति या पंथ की परवाह किये बिना हर मानवता की भावना के साथ लोगों के उत्थान के लिये अथक प्रयास किये।
बता दे कि स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी का उद्घाटन 12 दिवसीय श्री रामानुज सहस्राब्दी समारोह का हिस्सा है, जो श्री रामानुजाचार्य की चल रही 1000 वीं जयंती समारोह है।
ICRISAT के कार्यक्रम के दौरान PM Modi ने कही ये अहम बातें
- आपके पास 5 दशकों का अनुभव है। इन 5 दशकों में आपने भारत सहित दुनिया के एक बड़े हिस्से में कृषि क्षेत्र की मदद की है। आपकी रिसर्च, आपकी टेक्नॉलॉजी ने मुश्किल परिस्थितियों में खेती को आसान और सस्टेनेबल बनाया है।
- भारत ने climate challenge से निपटने के लिए दुनिया से इस पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया है। भारत ने 2070 तक नेट ज़ीरो का टारगेट तो रखा ही है, हमने LIFE- Lifestyle for Environment की ज़रूरत को भी हाईलाइट किया है।
- Pro planet people एक ऐसा मूवमेंट है जो क्लाइमेट चैलेंज से निपटने के लिए हर community को, हर Individual को climate responsibility से जोड़ता है। ये सिर्फ बातों तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत सरकार के एक्शन्स में भी रिफ्लेक्ट होता है।
- भारत में 15 Agro-Climatic Zones हैं। हमारे यहां, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर, ये 6 ऋतुएं भी होती हैं। यानि हमारे पास एग्रीकल्चर से जुड़ा बहुत विविध और बहुत प्राचीन अनुभव है।
- Climate challenge से अपने किसानों को बचाने के लिए हमारा फोकस back to basics और march to future, दोनों के फ्यूजन पर है। हमारा फोकस देश के उन 80 प्रतिशत से अधिक छोटे किसानों पर है, जिनको हमारी सबसे अधिक ज़रूरत है।
- बदलते हुए भारत का एक महत्वपूर्ण पक्ष है- डिजिटल एग्रीकल्चर। ये हमारा फ्यूचर है और इसमें भारत के टेलेंटेड युवा, बहुत बेहतरीन काम कर सकते हैं। डिजिटल टेक्नॉलॉजी से कैसे हम किसान को empower कर सकते हैं, इसके लिए भारत में प्रयास निरंतर बढ़ रहे हैं।
- हम दोहरी रणनीति पर काम कर रहे हैं। एक तरफ हम water conservation के माध्यम से नदियों को जोड़कर एक बड़े क्षेत्र को irrigation के दायरे में ला रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ, हम कम सिंचित क्षेत्रों में Water use Efficiency बढ़ाने के लिए माइक्रो इरिगेशन पर जोर दे रहे हैं।
- आज भारत में हम FPOs और एग्रीकल्चर वैल्यू चेन के निर्माण पर भी बहुत फोकस कर रहे हैं। देश के छोटे किसानों को हज़ारों FPOs में संगठित करके हम उन्हें एक जागरूक और बड़ी मार्केट फोर्स बनाना चाहते हैं।
- हम food security के साथ-साथ nutrition security पर फोकस कर रहे हैं। इसी विजन के साथ बीते 7 सालों में हमने अनेक bio-fortified varieties का विकास किया है।