न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): महाराजा सुहेलदेव जयंती के अवसर पर आज पीएम मोदी (PM Modi) ने उत्तर प्रदेश के बहराइच में स्मारक स्थल की आधारशिला रखी। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चित्तौरा पहुंचे। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से शिरकत की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूजन के साथ कार्यक्रम की औपचारिक शुरूआत की। राजा सुहेलदेव की अश्वारोही प्रतिमा (Cavalry statue) मुख्यमंत्री को यशवेंद्र प्रताप सिंह ने उपहार स्वरूप भेंट की। प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कार्यक्रम में वर्चुअल मौजूदगी दर्ज करवायी।
कार्यक्रम में पीएम मोदी से पहले उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने आम जनता को संबोधित किया। कार्यक्रम स्थल पर सबसे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हेलीकॉप्टर से स्मारक स्थल (Memorial site) पहुंचे और महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद उन्होनें विभिन्न विभागों द्वारा आयोजित झांकियों का जायजा लिया।
कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी संबोधन के मुख्य अंश:
- अपने पराक्रम से मातृभूमि का मान बढ़ाने वाले, राष्ट्रनायक महाराजा सुहेलदेव की जन्मभूमि और ऋषि मुनियों ने जहां तप किया, बहराइच की इस पुण्यभूमि को मैं नमन करता हूं। बसंत पंचमी की आप सभी को बहुत-बहुत मंगलकामनाएं। मां सरस्वती भारत के ज्ञान-विज्ञान को और समृद्ध करें।
- राम चरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं- ऋतु बसंत बह त्रिविध बयारि यानी बसंत ऋतु में शीतल, मंद, सुगंध ऐसी तीन प्रकार की हवा बह रही है। इसी हवा, इसी मौसम में खेत-खलिहान, बाग, बगान से लेकर जीवन का हर हिस्सा आनंदित हो रहा है।
- आज मुझे बहराइच में महाराजा सुहेलदेव जी के भव्य स्मारक के शिलान्यास का सौभाग्य मिला है। ये आधुनिक और भव्य स्मारक, ऐतिहासिक चित्तौरा झील का विकास, बहराइच पर महाराजा सुहेलदेव के आशीर्वाद को बढ़ाएगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।
- आज महाराजा सुहेलदेव जी के नाम पर बनाए गए मेडिकल कॉलेज को एक नया और भव्य भवन भी मिला है।
- भारत का इतिहास सिर्फ वो नहीं है, जो देश को गुलाम बनाने वालों, गुलामी की मानसिकता के साथ इतिहास लिखने वालों ने लिखा, भारत का इतिहास वो भी है जो भारत के सामान्य जन में, भारत की लोकगाथाओं में रचा-बसा है। जो पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ा है।
- बहराइच जैसे विकास के आकांक्षी जिले में स्वास्थ सुविधाएं बढ़ना यहां के रहने वालों के जीवन को आसान बनाएगा। इसका लाभ आसपास के जिले श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर को तो होगा ही साथ ही साथ ही नेपाल से आने वाले मरीजों को भी मदद करेगा।
- देश की पांच सौ से ज्यादा रियासतों को एक करने का कठिन कार्य करने वाले सरदार पटेल जी के साथ क्या किया गया, इसे देश का बच्चा भी भली-भांति जानता है। आज दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी सरदार पटेल की है, जो हमें प्रेरणा दे रही है।
- बीते कुछ सालों में देश भर में इतिहास, आस्था, अध्यात्म, संस्कृति से जुड़े जितने भी स्मारकों का निर्माण किया जा रहा है, उनका बहुत बड़ा लक्ष्य पर्यटन को बढ़ावा देने का भी है। उत्तर प्रदेश तो पर्यटन, तीर्थाटन दोनों के मामले में समृद्ध भी है और इसकी क्षमताएं भी अपार हैं।
- भारत के अनेक ऐसे सेनानी हैं, जिनके योगदान को अनेक वजहों से मान नहीं दिया गया। चौरी-चौरा के वीरों के साथ जो हुआ, वो क्या हम भूल सकते हैं? महाराजा सुहेलदेव और भारतीयता की रक्षा के लिए उनके प्रयासों के साथ भी यही प्रयास किया गया।
- बीते कुछ वर्षों में जो प्रयास हुए हैं उनका प्रभाव भी नजर आने लगा है। जिस राज्य में सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं, उसका नाम है उत्तर प्रदेश। विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित करने में यूपी देश के टॉप तीन राज्यों में आ चुका है।
- उत्तर प्रदेश में पर्यटकों के लिए आवश्यक सुविधाओं के साथ कनेक्टिविटी का भी विकास किया जा रहा है।
- कोरोना काल में जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश में काम हुआ वो बहुत ही महत्वपूर्ण है। कल्पना करिए अगर यूपी में हालत बिगड़ती तो राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय स्तर पर किस तरह की बातें की जाती। लेकिन योगी जी की पूरी टीम ने बेहतरीन तरीके से स्थिति को संभालकर दिखा दिया।
- यूपी न सिर्फ ज्यादा से ज्यादा लोगों का जीवन बचाने में सफल रहा, बल्कि बाहर से लौटे श्रमिकों को रोजगार देने में भी यूपी ने प्रशंसनीय काम किया है।
- यूपी में बेहतर होती आधारभूत सुविधाओं का सीधा लाभ किसानों, गरीबों, ग्रामीणों को हो रहा है। विशेष तौर पर छोटे किसान जिसके पास बहुत कम जमीन होती है, वो इन योजनाओं के सबसे ज्यादा लाभार्थी हैं।
- यूपी के ऐसे करीब 2.5 करोड़ किसानों के बैंक खाते में पीएम किसान सम्मान निधि के माध्यम से रुपये जमा किए जा चुके हैं।
- नए कृषि सुधारों का लाभ भी छोटे और सीमांत किसानों को सबसे ज्यादा होगा। यूपी में इन नए कानूनों के बनने के बाद जगह-जगह से किसानों के बेहतर अनुभव सामने आ रहे हैं। इन कृषि सुधारों के लिए भांति-भांति का प्रचार करने की कोशिश की गई।