न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग किसानों से मुखातिब हुए। इस मौके पर उन्होनें बटन दबाकर पीएम किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत लाभार्थी किसानों (Beneficiary farmers) के खातों में 1,800 करोड़ रुपये की राशि ट्रांसफर की। जिसका सीधा फायदा 9 करोड़ से ज़्यादा किसान परिवारों को पहुँचा। इस योजना के माध्यम से केंद्र सरकार किसानों के खातों में प्रत्येक चार माह के अन्तराल के बाद 2 हजार रुपये जमा करती है। जिससे 6 हज़ार रूपये की रकम एक साल के भीतर किसानों के खातों तक पहुँचती है। योजना की शुरूआत 1 दिसंबर 2018 से हुई थी। ये इस योजना की सातवीं किस्त है, जो किसानों तक पहुँच रही है।
वीडियो कॉफ्रेंसिंग के इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री 6 राज्यों के किसानों से रूबरू हुए और उनके अनुभवों को जाना। इस वर्चुअल चर्चा को भाजपा अपने पार्टी जिला मुख्यालय (District headquarters) में प्रसारित करवा रही है। ताकि किसान और केन्द्र सरकार के बीच भरोसे का माहौल कायम हो सके। इसके लिए कुछ दिन पहले ही भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने सभी राज्य प्रमुखों को चिट्ठी लिखकर आवश्यक निर्देश जारी कर दिये थे। ये कार्यक्रम ऐसे वक़्त में आयोजित किया जा रहा है, जब दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर कई किसान संगठन तीन केन्द्रीय कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर डटे हुए है। पीएम मोदी और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 96वीं जयंती के मौके पर इस कार्यक्रम के माध्यम से किसानों को साधते नज़र आये।
हाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस कार्यक्रम के बारे में ट्विट कर लिखा कि- कल का दिन देश के अन्नदाताओं के लिए बेहद अहम है। दोपहर 12 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 9 करोड़ से अधिक किसान परिवारों को पीएम-किसान की अगली किस्त जारी करने का सौभाग्य मिलेगा। इस अवसर पर कई राज्यों के किसान भाई-बहनों के साथ बातचीत भी करूंगा।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान पीएम मोदी किसान से कही, ये अहम बातें-
- किसानों के बीच झूठ फैलाया जा रहा है। सरकार छोटे किसानों का खास ध्यान दे रही है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर किसानों को बरपगलाया जा रहा है कि ज़मीन छीन जायेगी, जबकि ऐसा नहीं है। किसानों की जमीन कोई नहीं ले पायेगा।
- कुछ राजनीतिक दल किसान आंदोलन की आड़ में अपना एजेंडा फैला रहे है। फसल बीमा योजना से किसानों को विशेष लाभ पहुँचेगा। आज किसान कृषि के परम्परागत तौर-तरीकों के साथ नयी किसानी तकनीकों को खुले दिल से अपना रहे है। नये कृषि कानून किसानों को नये विकल्प उपलब्ध करवा रहे है।
- किसानों के जीवन मे खुशी, हम सभी के जीवन में खुशी बढ़ा देती है। आज का दिवस तो बहुत ही पावन भी है। किसानों को आज जो सम्मान निधि मिली है, उसके साथ ही आज का दिन कई अवसरों का संगम बनकर भी आया है।
- आज मोक्षदा एकादशी है, गीता जयंती है। आज ही भारत रत्न महामना मदनमोहन मालवीय जी की भी जयंती है। आज ही हमारे प्रेरणा पुरूष स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की भी जन्म जयंती है। उनकी स्मृति में आज देश ‘गुड गवर्नेंस डे’ भी मना रहा है।
- आज देश के 9 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधे, एक क्लिक पर 18 हज़ार करोड़ रुपए जमा हुए हैं। जब से ये योजना शुरू हुई है, तब से 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा किसानों के खाते में पहुंच चुके हैं।
- मुझे आज इस बात का अफसोस है कि मेरे पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसान भाई-बहनों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है। बंगाल के 23 लाख से अधिक किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर चुके हैं। लेकिन राज्य सरकार ने वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को इतने लंबे समय से रोक रखा है।
- जो लोग 30-30 साल तक बंगाल में राज करते थे, एक ऐसी राजनीतिक विचारधारा को लेकर उन्होंने बंगाल को कहां से कहां लाकर खड़ा कर दिया है, ये सारा देश जानता है।
- आप ममता जी के 15 साल पुराने भाषण सुनेंगे तो पता चलेगा कि इस विचारधारा ने बंगाल को कितना बर्बाद कर दिया था।
- स्वार्थ की राजनीति करने वालों को जनता बहुत बारीकी से देख रही है। जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के अहित पर कुछ नहीं बोलते वो दल यहां किसान के नाम पर दिल्ली के नागरिकों को परेशान करने में लगे हुए हैं, देश की अर्थनीति को बर्बाद करने में लगे हुए हैं।
- जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के अहित पर कुछ नहीं बोलते, वो यहां दिल्ली में आकर किसान की बात करते हैं। इन दलों को आजकल APMC- मंडियों की बहुत याद आ रही है। लेकिन ये दल बार-बार भूल जाते हैं कि केरल में APMC- मंडियां हैं ही नहीं। केरल में ये लोग कभी आंदोलन नहीं करते।
- मैं इन दलों से पूछता हूं कि यहां फोटो निकालने के कार्यक्रम करते हो, जरा केरल में आंदोलन करके वहां तो APMC चालू करवाओं। पंजाब के किसानों को गुमराह करने के लिए आपके पास समय है, केरल में यह व्यवस्था शुरू कराने के लिए आपके पास समय नहीं है। क्यों आप लोग दोगली नीति लेकर चल रहे हो।
- किसानों के नाम पर अपने झंडे लेकर जो खेल खेल रहे हैं, अब उनको सच सुनना पड़ेगा। ये लोग अखबार और मीडिया में जगह बनाकर, राजनीतिक मैदान में खुद के जिंदा रहने की जड़ी- बूटी खोज रहे हैं।
- ये वही लोग हैं जो वर्षों तक सत्ता में रहें। इनकी नीतियों की वजह से देश की कृषि और किसान का उतना विकास नहीं हो पाया जितना उसमें सामर्थ्य था। पहले की सरकारों की नीतियों की वजह से सबसे ज्यादा बर्बाद छोटा किसान हुआ।
- 2014 में सरकार बनने के बाद हमारी सरकार ने नई अप्रोच के साथ काम करना शुरू किया। हमने देश के किसान की छोटी छोटी दिक्कतों, कृषि के आधुनिकीकरण और उसे भविष्य की ज़रूरतों के लिए तैयार करने पर ध्यान दिया।
- हमने लक्ष्य बनाकर काम किया कि देश के किसानों का Input Cost कम हो। सॉयल हेल्थ कार्ड, यूरिया की नीम कोटिंग, लाखों सोलर पंप की योजना, इसीलिए शुरू हुई। सरकार ने प्रयास किया कि किसान के पास एक बेहतर फसल बीमा कवच हो। आज करोड़ों किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ हो रहा है।
- हमारी सरकार ने प्रयास किया कि देश के किसान को फसल की उचित कीमत मिले हमने लंबे समय से लटकी स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, लागत का डेढ़ गुना MSP किसानों को दिया। पहले कुछ ही फसलों पर MSP मिलती थी, हमने उनकी भी संख्या बढ़ाई।
- हम इस दिशा में भी बढ़े कि फसल बेचने के लिए किसान के पास सिर्फ एक मंडी नहीं बल्कि नए बाजार हो। हमने देश की एक हजार से ज्यादा कृषि मंडियों को ऑनलाइन जोड़ा। इनमें भी एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार हो चुका है।
- हमने एक और लक्ष्य बनाया कि छोटे किसानों के समूह बनें ताकि वो अपने क्षेत्र में एक सामूहिक ताकत बनकर काम कर सकें। आज देश में 10 हजार से ज्यादा किसान उत्पादक संघ- FPO बनाने का अभियान चल रहा है, उन्हें आर्थिक मदद दी जा रही है।
- आज देश के किसान को अपना पक्का घर मिल रहा है, शौचालय मिल रहा है, साफ पानी का नल मिल रहा है। यही किसान है जिसे बिजली के मुफ्त कनेक्शन, गैस के मुफ्त कनेक्शन से बहुत लाभ हुआ है। आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज ने उनके जीवन की बड़ी चिंता कम की है।
- इन कृषि सुधार के जरिए हमने किसानों को बेहतर विकल्प दिए हैं। इन कानूनों के बाद आप जहां चाहें जिसे चाहें अपनी उपज बेच सकते हैं। आपको जहां सही दाम मिले आप वहां पर उपज बेच सकते हैं।
- आप न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर अपनी उपज बेचना चाहते हैं? आप उसे बेच सकते हैं। आप मंडी में अपनी उपज बेचना चाहते हैं? आप बेच सकते हैं। आप अपनी उपज का निर्यात करना चाहते हैं ? आप निर्यात कर सकते हैं। आप उसे व्यापारी को बेचना चाहते हैं? आप बेच सकते हैं।
- आप अपनी उपज दूसरे राज्य में बेचना चाहते हैं? आप बेच सकते हैं। आप एफपीओ के माध्यम से उपज को एक साथ बेचना चाहते हैं? आप बेच सकते हैं। आप बिस्किट, चिप्स, जैम, दूसरे कंज्यूमर उत्पादों की वैल्यू चेन का हिस्सा बनना चाहते हैं? आप ये भी कर सकते हैं।
- हमने इस लक्ष्य पर भी काम किया की देश के किसान के पास खेत में सिंचाई की पर्याप्त सुविधा हो। हम दशकों पुरानी सिंचाई योजनाओं को पूरा करने के साथ ही देशभर में Per Drop-More Crop के मंत्र के साथ माइक्रो इरीगेशन को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
- हम इस दिशा में भी बढ़े कि फसल बेचने के लिए किसान के पास सिर्फ एक मंडी नहीं बल्कि नए बाजार हो। हमने देश की एक हजार से ज्यादा कृषि मंडियों को ऑनलाइन जोड़ा। इनमें भी एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार हो चुका है।
- इन कृषि सुधार के जरिए हमने किसानों को बेहतर विकल्प दिए हैं। इन कानूनों के बाद आप जहां चाहें जिसे चाहें अपनी उपज बेच सकते हैं। आपको जहां सही दाम मिले आप वहां पर उपज बेच सकते हैं।
- देश के किसान को इतने अधिकार मिल रहे हैं तो इसमें गलत क्या है? अगर किसानों को अपनी उपज बेचने का विकल्प ऑनलाइन माध्यम से पूरे साल और कहीं भी मिल रहा है तो इसमें गलत क्या है?
- जब हमने दूसरे सेक्टर में इनवेस्टमेंट और इनोवेशन बढ़ाया तो हमने आय बढ़ाने के साथ ही उस सेक्टर में ब्रांड इंडिया को भी स्थापित किया। अब समय आ गया है कि ब्रांड इंडिया दुनिया के कृषि बाजारों में भी खुद को उतनी ही प्रतिष्ठा के साथ स्थापित करे।
- ऐसी परिस्थिति में भी देशभर के किसानों ने कृषि सुधारों का भरपूर समर्थन किया है, स्वागत किया है। मैं सभी किसानों का आभार व्यक्त करता हूं। मैं भरोसा दिलाता हूं कि आपके विश्वास पर हम कोई आंच नहीं आने देंगे।
- बीते कुछ महीनों में करीब 2.5 करोड़ छोटे किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ा गया है। हम मछली पालकों, पशुपालकों को भी अब किसान क्रेडिट कार्ड दे रहे हैं।
- आज नए कृषि सुधारों को लेकर असंख्य झूठ फैलाए जा रह हैं। कुछ लोग किसानों के बीच भ्रम फैला रहे हैं कि MSP समाप्त की जा रही है। कुछ लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि मंडियों को बंद कर दिया जाएगा।
- मैं आपको फिर ध्यान दिलाना चाहता हूं कि इन कानूनों को लागू हुए कई महीने बीत गए हैं, क्या आपने देश के किसी एक भी कोने में एक भी मंडी बंद होने की खबर सुनी है? ये कृषि सुधारों और नए कृषि सुधार कानूनों के बाद भी हुआ है।
- कुछ राजनीतिक दल जिन्हें देश की जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से नकार दिया है, वो आज कुछ किसानों को गुमराह करके जो कुछ भी कर रहे हैं, उन सभी को बार-बार नम्रता पूर्वक सरकार की तरफ से अनेक प्रयासों के बावजूद भी किसी न किसी राजनीतिक कारण से ये चर्चा नहीं होने दे रहे हैं।
- पिछले दिनों अनेक राज्य़ों, चाहे असम हो, राजस्थान हो, जम्मू-कश्मीर हो, इनमें पंचायतों के चुनाव हुए। इनमें प्रमुखत ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने, किसानों ने ही भाग लिया। उन्होंने एक प्रकार से किसानों को गुमराह करने वाले सभी दलों को नकार दिया है।