न्यूज डेस्क (अपराजित राव): हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्विटकर बताया कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 27 सितंबर को प्रधानमंत्री नेशनल डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (NDHM) का शुभारंभ करेगें। मंडाविया ने कहा, “इसके तहत लोगों को एक यूनिक डिजिटल हेल्थ आईडी (Unique Digital Health ID) मुहैया करवायी जायेगी, जिसमें व्यक्ति के सभी स्वास्थ्य रिकॉर्ड शामिल होंगे।
प्रधान मंत्री ने पिछले साल अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान इस योजना का ऐलान किया था और कहा था कि “एक नया अभियान” शुरू होगा जिसे राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम) कहा जायेगा। जिसके तहत हर भारतीय को एक हेल्थ आईडी कार्ड (health id card) मिलेगा। हर बार जब आप किसी डॉक्टर या फार्मेसी के पास जाते हैं, तो सब कुछ इस कार्ड में दर्ज हो जायेगा। डॉक्टर के अप्वाइंटमेट से लेकर दवा तक आपके स्वास्थ्य प्रोफ़ाइल में सब कुछ उपलब्ध होगा”
ये कार्यक्रम पुडुचेरी, चंडीगढ़, लद्दाख, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार, द्वीप समूह, दमन, दीव, दादरा और नगर हवेली समेत छह केंद्र शासित प्रदेशों में पायलट आधार पर शुरू किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभावों से निपटने के लिये पूरे भारत में डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स और सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों के क्षमता निर्माण के मकसद से पोस्ट-कोविड सीक्वेल मॉड्यूल भी जारी किया।
इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना महामारी के दीर्घकालिक प्रभावों के मुद्दे से निपटने के लिये मार्गदर्शन प्रदान करने के लिये मॉड्यूल तैयार किये गये हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि कम से कम साइड इफैक्ट सुनिश्चित करने के लिये कोरोना के एक्टिव और व्यापक उपचार की जरूरत है। इस मुद्दे पर उन्होनें कहा कि- हमने रोगियों में म्यूकोर्मिकोसिस (Mucormycosis) के मामलों में स्टेरॉयड की हैवी डोज़ लेने के कारण कोरोना प्रभावों के नतीज़ों को देखा है। कम या बेहद हल्की और मामूली साइड-इफेक्ट वाली दवाएं लेना अहम है। अगर हम पहले से सतर्क हैं तो ये COVID-19 के भविष्य के नतीज़ों से निपटने में उपयोगी होगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने समझाया कि कोरोना से जुड़ी धारणायें जो हमारे समाज में व्याप्त हैं - जैसे कि भय और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे काफी अहम हैं और इससे निपटने की जरूरत है।