भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) आगामी सोमवार (19 जून 2023) को संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी बहुप्रतीक्षित चार दिवसीय राजकीय यात्रा की तैयारी कर रहे हैं, दुनिया बेसब्री से दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच साझेदारी के एक नये युग की शुरुआत का इंतजार कर रही है। पीएम मोदी, विंस्टन चर्चिल और नेल्सन मंडेला (Winston Churchill and Nelson Mandela) समेत उन नेताओं की जमात में शामिल होने जा रहे है, जिन्होंने अतीत में दो बार अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित किया।
2014 में पीएम के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से यह मोदी की कुल मिलाकर छठी अमेरिका यात्रा होगी। हालांकि, यह यात्रा महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्हें राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा अमेरिका की अपनी पहली राजकीय यात्रा के लिए आमंत्रित किया गया है। अमेरिका की राजकीय यात्रा एक प्रतिष्ठित और अनूठा सम्मान है, अमेरिकी राष्ट्रपति अपने करीबी दोस्तों और सहयोगियों के अनुसार।
ये यात्रा अहम रक्षा सौदों के प्रोडक्शन, दोनों नेताओं के बीच सौहार्द को बढ़ावा देने और वैश्विक भू-राजनीति के ढ़ांचे को नया आकार देने के लिये पूरी तरह तैयार है। लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति साझा प्रतिबद्धता के साथ, अमेरिका और भारत कारोबार से लेकर प्रौद्योगिकी तक और सुरक्षा से लेकर जलवायु परिवर्तन तक विभिन्न क्षेत्रों में अपने सहयोग को गहरा करने के लिये कमर कस चुके हैं। ये यात्रा आर्थिक संबंधों को नयी दिशा देने और राजनयिक संबंधों को मजबूत करने के लिये निर्धारित की गयी है।
इस यात्रा के एजेंड़े में अहम रक्षा सौदों में से एक 18 प्रीडेटर-बी सशस्त्र ड्रोन के लिये $1.8 बिलियन का सौदा है। ये ड्रोन सीमाओं और समुद्री इलाकों में लंबी दूरी तक सटीक हमले और निगरानी कर सकते हैं। भारत और अमेरिका एक सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर करने के भी करीब हैं, जो संयुक्त रूप से लड़ाकू जेट इंजन विकसित करने की मंजूरी देगा। मैसाचुसेट्स के एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग दिग्गज जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी (जीई) तेजस लाइट-कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिये इंजन का प्रोडक्शन करने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ हाथ मिलायेगी।
22 जून को पीएम मोदी अमेरिकी कांग्रेस (US Congress) के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे, ऐसा करने वाले वो छठे भारतीय प्रधानमंत्री बनेंगे। इस बीच खास बात ये है कि डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन (Democrats and Republicans) के दरम्यान ज्यादातर मुद्दों पर असहमति का दौर चरम पर है। दोनों राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के लिये मोदी को द्विदलीय निमंत्रण भेजने के लिये एक साथ सामने आये है।
पीएम मोदी का अमेरिकी दौर ऐसे वक्त में हो रहा है, जब भारत और अमेरिका तेजी से बदलती दुनिया में कई चुनौतियों और अवसरों का सामना कर रहे हैं। दोनों देशों ने साझा मूल्यों और हितों की बुनियाद पर पिछले कुछ सालों में करीबी रणनीतिक साझेदारी बनायी है। दोनों मुल्कों ने कई वैश्विक मुद्दों पर एक दूसरे का सहयोग किया है, जैसे आतंकवाद का मुकाबला करना, लोकतंत्र और मानवाधिकारों को बढ़ावा देना, स्वच्छ ऊर्जा को आगे बढ़ाना और कोविड-19 से लड़ना।
ये यात्रा दोनों देशों के बीच लोगों के बीच बढ़ते संबंधों को भी नयी परिभाषा देगी, खासकर युवाओं और डायस्पोरा के बीच। अमेरिका चालीस लाख से ज्यादा भारतीय अमेरिकियों का घर है, भारतीय मूल के इन लोगों ने कई क्षेत्रों में अहम योगदान दिया है। मोदी इस जमात के बीच काफी मशहूर है, और अपनी पिछली यात्राओं के दौरान वो इन लोगों के बीच कई बड़ी सभाओं को संबोधित कर चुके हैं।
19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से ही दोनों देशों का सांस्कृतिक और बौद्धिक आदान-प्रदान का लंबा इतिहास रहा है। सबसे शुरुआती उदाहरणों में से एक 1893 में स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की अमेरिका यात्रा थी। युवा भिक्षु के तौर पर उन्होंने शिकागो में विश्व धर्म संसद में अमेरिका को हिंदू धर्म से परिचित कराया। उन्होंने सभी धर्मों की सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति पर जोरदार भाषण दिया। उनके वक्तव्य, तथ्य, तर्कों और भाषण से अमेरिका सहित पश्चिम मुल्क मंत्रमुग्ध रह गये।
तब से कई भारतीय नेताओं ने अमेरिका का दौरा किया और कई अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने भारत का दौरा किया है। इनमें से कुछ दौरे द्विपक्षीय संबंधों और वैश्विक मामलों पर उनके असर के लिये यादगार रहे हैं। इसी क्रम में 1949 में भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) की वाशिंगटन यात्रा ने स्वतंत्र भारत और अमेरिका के बीच राजनयिक संबंधों की शुरुआत की थी। इसके बाद मार्टिन लूथर किंग जूनियर (Martin Luther King Jr.) ने 1959 में भारत का दौरा किया। राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिये महात्मा गांधी के अहिंसक संघर्ष से प्रेरित किंग ने कहा कि, ‘अहिंसा, न्याय और मानव गरिमा के लिये अपने संघर्ष में उत्पीड़ित लोगों के लिये अहिंसा सबसे ताकतवर हथियार है।’
साल 1959 में ड्वाइट आइजनहावर की नई दिल्ली का दौर कियास किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत की ये पहली यात्रा थी। इससे कृषि और विकास पर सहयोग को बढ़ावा मिला। उन्होंने भारतीय संसद को भी संबोधित किया। 1961 में वाशिंगटन में इंदिरा गांधी के साथ जॉन एफ कैनेडी की मुलाकात ने रक्षा और सुरक्षा पर रणनीतिक साझेदारी की नींव रखी। इसके ठीक 8 साल बाद रिचर्ड निक्सन की नई दिल्ली यात्रा और बांग्लादेश संघर्ष के दौरान पाकिस्तान के लिये उनके समर्थन पर विरोध प्रदर्शन देखे गये। साल 1982 में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की वाशिंगटन यात्रा ने 1974 में भारत के परमाणु परीक्षण के कारण अलगाव की लंबी अवधि के बाद भारत-अमेरिकी द्विपक्षीय संबंधों में नयी जान फूंकने की कोशिश की।
साल 1978 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर (Jimmy Carter) ने अपने तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर भारत का दौरा किया। उन्होंने गुड़गाव (मौजूदा दौर का गुरुग्राम) के एक गाँव दौलतपुर नसीराबाद (Daulatpur Nasirabad) का दौरा किया, उन्होनें गांव का नाम बदलकर कार्टरपुरी कर दिया। इसके ठीक 22 साल बाद यानि कि साल 2000 में बिल क्लिंटन (Bill Clinton) की भारत यात्रा के दौरान उन्होनें दोनों मुल्कों के बीच रिश्तों को नेचुरल अलायंस कहकर कूटनीतिक और राजनयिक संबंधों में नया अध्याय जोड़ दिया। ठीक उसी साल अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की वाशिंगटन यात्रा के दौरान अपने ऐलानिया बयान में कहा कि भारत और अमेरिका ‘स्वाभाविक सहयोगी’ हैं और साथ ही उन्होंने ऐतिहासिक नागरिक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किये।
साल 2006 में राष्ट्रपति जॉर्ज बुश (George Bush) ने भारत का दौरा किया, जहां उन्होंने और भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने सुरक्षा और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देते हुए असैन्य परमाणु समझौते की रूपरेखा के मसौदे को अंतिम रूप दिया। 2009 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barack Obama) ने भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की राजकीय यात्रा की मेजबानी की। इस यात्रा ने नई दिल्ली और वाशिंगटन (New Delhi and Washington) के बीच बढ़ते संबंधों को एक बार फिर उजागर किया।
इसके ठीक एक साल बाद बराक ओबामा की भारत यात्रा ऐतिहासिक थी क्योंकि वो गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर राजपथ (मौजूदा वक्त में कर्तव्यपथ) में मौजूद दिखे, ऐसा करने वाले वो पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने।
इन यात्राओं ने पिछले सात दशकों में भारत-अमेरिका संबंधों को आकार दिया है और उनकी बदलती प्राथमिकताओं और चुनौतियों को भी प्रतिबिंबित किया। 2023 में मोदी की यात्रा इस भारत-अमेरिकी संबंध की फेहरिस्त में एक और मील का पत्थर साबित होगी। दोनों देशों के बीच मजबूत और गहरी साझेदारी का मार्ग प्रशस्त करेगी। प्रधानमंत्री मोदी अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान फेडएक्स, मास्टरकार्ड और एडोब समेत कई नामचीन अमेरिकी कंपनियों के सीईओ के साथ भी बातचीत करेंगे।
अमेरिका में संघीय, राज्य और स्थानीय सरकारों में कई उच्च पदों पर आसीन भारतीय अमेरिकियों ने राजनीति में भी अपनी छाप छोड़ी है। इस लिस्ट में सबसे बड़ा नाम है उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का, जो कि इस तरह का पद संभालने वाली भारतीय मूल की पहली महिला/व्यक्ति हैं। भारतीय अमेरिकियों की इस फेहरिस्त में सर्जन जनरल विवेक मूर्ति, यूएसएआईडी एडमिनिस्ट्रेटर राजीव शाह, कांग्रेस मेम्बर अमी बेरा, सीनेटर राजा कृष्णमूर्ति, गवर्नर निक्की हेली और मेयर रवि भल्ला का भी नाम शामिल हैं।
भारतीय अमेरिकी भी कई मुद्दों पर जनता की राय और संवाद को आकार देने में प्रभावशाली रहे हैं। वे मीडिया, शिक्षा जगत, थिंक टैंक, नागरिक समाज संगठनों और मानवाधिकार की हिमायत करने वाले समूहों में काफी सक्रिय रहे हैं। वे भारत-अमेरिका संबंधों के मुखर समर्थक भी रहे हैं और उन्होंने दोनों देशों के बीच मजबूत पुल की भूमिका निभाई है।