बिसात…
शतरंज (chess) में एक नियम है कि यदि इस तरफ का कोई प्यादा (सैनिक) बचबचा कर प्रतिद्वंदी खेमे की पहली लाइन तक पहुंचने में कामयाब हो जाता है तो उसे उस स्क्वायर के रंग के अनुसार वजीर, ऊंट या हाथी के रूप में पदोन्नति (Promotion) मिल जाती है!
जो प्यादा सिर्फ सीधा चलने और तिरछा मारने के लिए जाना जाता था, Promotion मिलने के बाद वही प्यादा अब उस पद के अनुसार चलता और मारता है जिस पद पर उसका प्रमोशन हुआ है!
प्रमोशन न हो….इसके लिए प्यादे को मरना होगा!
लालू प्रसाद यादव भारतीय राजनीति के एक ऐसे ही प्यादे हैं जो प्रतिद्वंद्वी खेमे (Rival camp) के सातवीं पंक्ति तक पहुँच चुके थे! एक कदम और आगे बढ़ते तो प्रमोशन पक्का था!
लेकिन देश की राजनीति की पहली पंक्ति को ये नागवार गुजरा! उनको ये बात हजम करनी मुश्किल हो रही थी कि बिहार के एक छोटे से जिले के छोटे से गांव का आदमी यहाँ तक पहुँच कैसे गया!
….और लालू प्रसाद यादव को सातवें बॉक्स तक पहुंचते पहुँचते धराशायी कर दिया गया!
धराशायी करने वाले प्यादे का नाम है- सीबीआई!
राजा/रानी ने सीबीआई नामक प्यादे को लालू के आगे किया, ये सबने देखा!
लेकिन जिस अदृश्य शक्ति ने राजा/रानी को ऐसा करने को कहा, उसे किसी ने नहीं देखा!
सीबीआई की आंतरिक कलह में ये बात सामने आयी कि लालू प्रसाद यादव पर शिकंजा क्यों और किसके कहने पर कसा गया!
“किसने” का जवाब मैंने ऊपर दे दिया है! अब “क्यों” का जवाब आगे पढ़िए!
अब तक तो आपको इतना समझ आ ही गया होगा कि इस देश में एक शक्ति और भी है जो केंद्र में बैठे राजा/रानी को निर्देश देती है!
लालू यादव इस वीडियो में उसी अदृश्य शक्ति के बारे में बता रहे हैं, जिसके इशारे पर राजा/रानी ने उनके पीछे सीबीआई लगा दी थी!
देश का पूर्व रेलमंत्री जो कह रहा है उसे ध्यान से सुनिए! उसने पांच साल पहले रेलवे के निजीकरण का जो अंदेशा जताया था वह आज फलीभूत होने जा रहा है!
अब आप पूछेंगे कि इसका आधार क्या है?
इसी वीडियो में दिल्ली से एर्नाकुलम तक का राजधानी के 3AC का किराया फ़्लैश हो रहा है! 2014 से पहले यह किराया 2156 रूपये था जिसे 2015 में बढ़ाकर 2458 रूपये कर दिया गया! इस किराए में सर्विस चार्ज, बेडिंग, हाउसकीपिंग और डाइनिंग (तीनों टाइम का) सब शामिल थे!
वही किराया आज की तारीख में 3055 रूपये है!
रुट वही!
ट्रैन वही!
श्रेणी वही!
बस बेडिंग और खाना घर से लाना है!
ये वही प्रक्रिया है जिसके तहत दड़बे से एक एक मुर्गे को निकाल कर काटा जाता है और बाकी के मुर्गे खुद को सुरक्षित समझ कर चुपचाप बैठे रहते हैं! ….और शाम होते होते दड़बा पूरा खाली हो जाता है!
इस प्यादे को हमारे ही आँखों के सामने मारा गया है! ….तो जाहिर है शाम तक हम भी निपटा दिए जाएंगे!
लॉक डाउन के दौरान देशवासियों को इस बात की आदत डलवायी जा रही है कि आप हमें सिर्फ किराया दीजिये! कम्बल, बेडशीट, खाना सबका जुगाड़ खुद कीजिये!
लॉक डाउन हटने तक हम इसके इतने आदी हो चुके होंगे कि सरकार द्वारा किराए में 50 रूपये की मामूली कटौती भी सौगात लगने लगेगी!
…और नहीं भी लगेगी तो मीडिया है आपको इसका एहसास करा देगी!
तमाम क्षेत्रीय नेताओं को इस बात के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए कि राजनीति में उनकी हद पांचवें और छठे बॉक्स तक ही सीमित की गयी है…वो भी प्यादे के रूप में!
जैसे ही आप छठे बॉक्स को क्रॉस करेंगे आपको सीबीआई, ED, इनकम टैक्स नामक प्यादों को लगाकर धराशायी कर दिया जायेगा!
कल लालू, मुलायम और मायावती धराशायी हुए थे!
आज ओमर अब्दुल्ला हुए हैं!
कल कोई और धराशायी होगा!
ऐसे हर धराशायी हुए क्षेत्रीय नेता के साथ उस क्षेत्र के जनता की आशाएं और उम्मीदें भी धराशायी होती हैं!
ये राजनीतिक बिसात है!
साभार – कपिल देव