एजेंसियां/न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): म्यांमार में राजनीतिक संकट और सैन्य सरकार की तानाशाही लगातार बढ़ रही है। म्यांमार टाइम्स (Myanmar Times) की रिपोर्ट के मुताबिक इंटरनेट बंद होने से ऑनलाइन कारोबार बुरी तरह तबाह होने के कगार पर पहुँच गया है। नागरिक अधिकारों को हनन करते हुए रात 1 बजे से 9 बजे तक नाइट कर्फ्यू नागरिकों पर थोंप दिया गया है। हाल के दिनों में वहां इंटरनेट कनेक्टिविटी में गिरावट और धीमी इंटरनेट स्पीड की वज़ह से ऑनलाइन कारोबार सिमट कर आधा रह गया है।
म्यांमार टाइम्स से बात करते हुए ऑनलाइन व्यवसायी मा-थिरी ने कहा कि, इंटरनेट पर बिक्री और खरीद कर ऑनलाइन दुकानें अपना कारोबार चलाती है। इस दौरान अगर बेचने वालों और खरीदने वालों के बीच कनेक्टिविटी और रिलेशन खो जायेगा तो हम कुछ भी नहीं बेच सकते। हालिया राजनीतिक घटनाक्रमों ने ऑनलाइन व्यवसायों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से बेहद दूर कर दिया है।
इसी मुद्दे पर म्यांमार के एक डिजिटल सर्विस प्रोवाइडर ने कहा कि- कई कंपनियों ने COVID-19 महामारी के दौरान कारोबार का डिजिटलीकरण करने की प्राथमिकता पर काम किया, लेकिन उन्हें मौजूदा सियासी वजहों से ऐसा करना बंद कर दिया। बिना बताये इंटरनेट कट जाता है। इसलिए ऐसे में हम बेबस हम कुछ भी कर पाने में।
ऑनलाइन फूड डिलीवरी सर्विस फूड पांडा की बिक्री में काफी गिरावट आई है। जिसके लिए सीधे तौर पर अनस्टेबल इंटरनेट कनेक्शन (Unstable internet connection) कारण है। इंटरनेट कनेक्टिविटी में रूकावट आने के कारण ज़्यादातर ऑनलाइन फूड बिजनेस और ऑनलाइन दुकानें लगातार घाटे में जा रही है।
इस बीच म्यांमार जुंटा ने आज नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) की नेता आंग सान सू की पर अतिरिक्त आरोप लगाए हैं। गौरतलब है कि बीती 1 फरवरी को म्यांमार की सेना ने तख्तापलट किया और NLD की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंका। नवंबर 2020 के चुनावों में मतदाताओं ने सैन्य समर्थित राजनीतिक दल पर (Military Backed Political Party) धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए पाया कि NLD को एक शानदार जीत मिली।
जिसके बाद म्यांमार की सेना ने स्टेट काउंसलर आग सांग सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट सहित कई राजनीतिक अधिकारियों और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया और एक साल का आपातकाल लगाने की घोषणा की। सैन्य दमन के बावजूद म्यांमार में व्यापक विरोध जारी है। जिसमें यांगून सहित कई प्रमुख शहर शामिल हैं।