पंजाब सरकार ने केन्द्र से भेजी 45 मीट्रिक टन दाल (45 metric tons of lentils) वापस लौटा दी। भेजी गयी दालों में फंगस (Fungus) पाया गया। बोरियों पर कबूतरों की बीट के धब्बों के साथ काफी बदबू आ रही थी। महामारी (Global epidemic) जैसे नाज़ुक हालातों के बीच नफ़ा कमाने का ये बेशर्मी (immodesty) भरा तरीका है। बेहयाई (shamelessness) की ये कवायद अक्सर बड़े नेताओं की तकरीरों में नदारद (Missing) रहती है। ये मसला सरकार की उस मंशा को आईने की तरह साफ कर देता है, जिसमें इंसानों के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक किया जाता है। बड़े चेहरे अक्सर सियासी तकरीरें देते हुए विकास की बेबुनियादी-मनगढ़त दास्तां बयां करते हुए सुनाई देते है। #COVID19 ने बेशकतौर पर महकमें में बैठी जोकों का चेहरा नंगा कर दिया है। परेशान होकर महकमें के लोग अपना मुँह ढ़कने के लिए जगह ढूढ़ने में मशगूल (Busy) है। हालांकि बेहद दर्दनाक पहलू ये है कि, रोजाना बड़ी तादाद में लोग बेमौत मारे जा रहे है। आव़ाम को बरगलाने के लिए उनके सामने गलत आंकड़ों की बोटियां फेंकी जा रही है। जिससे ये साबित हो सके कि हुक्मरान वायरस से लड़ रहे है। दूसरी ओर कोरोना वायरस से लड़ रहे जंग बहादुरों को बुनियादी सहूलियतें तक मयस्सर (available) नहीं है। जब आधी आबादी खत्म होने के कगार पर पहुँच जायेगी तो इसका नुकसान कौन भुगतेगा? चुनावों से ठीक पहले एक नारा उछाला जायेगा और आव़ाम सब कुछ भूल कर वोट देने के लिए कतारों में खड़ी हो जायेगी। मौजूदा दौर को देखकर लगता है कि कुछ वक़्त के लिए खून खून ना रहकर खारा पानी हो गया है।
Virus infection के दौर में सियासी बेशर्मी
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