न्यूज डेस्क (निकुंजा वत्स): जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में मतदाता सूची को लेकर नये आदेश जारी होने के बाद केंद्र सरकार विपक्षियों के निशाने पर आ गयी है। जारी आदेश में कहा गया है कि घाटी में एक साल से ज्यादा समय से रह रहे निवासी आगामी चुनावों में मतदान कर सकते हैं। जम्मू प्रशासन ने तहसीलदारों (राजस्व अधिकारियों) को मतदाताओं को मत पहचान पत्र (Voter ID Card) मुहैया करवाने का काम सौंपा है, जिसके तहत वो घाटी में एक साल से ज्यादा समय तक रह रहे लोगों निवास का प्रमाण पत्र जारी करने के लिये अधिकृत है। इसी मसले को लेकर मोदी सरकार गुपकार गठबंधन, कांग्रेस और गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के निशाने पर आ गयी ।
मतदाता सूची में बदलाव के मामले में आदेश जम्मू के उपायुक्त (Deputy Commissioner of Jammu) ने जारी किया। डीसी ने आगे आग्रह किया कि ये सुनिश्चित करने के लिये फैसला लिया गया था कि मतदाता सूची के चल रहे विशेष संशोधन में पंजीकरण के लिये कोई भी पात्र मतदाता न बचे।
जो निवासी जम्मू और कश्मीर में एक साल से ज्यादा समय से रह रहे हैं, वो वोटर लिस्ट में अपना रजिस्ट्रेशन कराने के लिये आधार कार्ड, पानी/बिजली/गैस कनेक्शन, बैंक पासबुक, पासपोर्ट, जैसे दस्तावेजों का इस्तेमाल कर सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference), पीडीपी, कांग्रेस और अन्य अहम राजनीतिक दल जम्मू प्रशासन के इस फैसले से नाराज है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि ये कदम पूरी तरह नये कानूनों की बुनियाद पर टिका हुआ है।
मुद्दे पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP- People’s Democratic Party) की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने आरोप लगाया कि इस कदम से केंद्र की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने घाटी में औपनिवेशिक बस्तियां बसाने का प्रोजेक्ट शुरू कर दिया है। दूसरी ओर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर के लोगों से बैलेट बॉक्स के जरिये इन साजिशों को हराने की गुजारिश की है।
इस साल की शुरुआत में कांग्रेस पार्टी (Congress Party) छोड़ने वाले गुलाम नबी आजाद भी इस फैसले से खासा खफा दिखे, उन्होंने कहा कि नयी वोटर लिस्ट के आदेश से जम्मू-कश्मीर में और तनाव बढ़ेगा। गौरतलब है कि ये पहली बार है जब नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू और कश्मीर में चुनावी संशोधन हो रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना (Ravinder Raina) ने हालांकि कहा कि दिशानिर्देश जनप्रतिनिधित्व कानून के अनुरूप हैं। जम्मू-कश्मीर के बाहर के लोगों को केंद्र शासित प्रदेश में मतदाता के तौर पर नामांकित करने में कुछ भी गलत नहीं है, ये अधिकार उन्हें संविधान ने दिया है। अनुच्छेद 370 (अगस्त 2019 में) को निरस्त करने के बाद ये अधिनियम जम्मू-कश्मीर में भी लागू हुआ।