एजेंसियां/न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): हमारे महासागर कचरे से लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जो न सिर्फ समुद्र के किनारे पर है, बल्कि समुद्र के अंदर भी है। अगर आपको लगता है कि जमीन और समुद्र दोनों से प्रदूषण (Pollution) की ये आमद ज्यादा मात्रा में नहीं है तो ऐसे में आपको प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच के बारे में जरूर जानना चाहिये। ये दुनिया का सबसे बड़ा तैरता हुए कचरे का ढ़ेर है, जो पूरी दुनिया के लिये चिंता का सब़ब बना हुआ है। ये कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये तैरता कूड़े का ढ़ेर अफगानिस्तान (Afghanistan) के क्षेत्रफल के बराबर है।
ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच हवाई और कैलिफोर्निया (Hawaii and California) के बीच में बना हुआ है। मोटे अनुमान के मुताबिक इस इलाके में 10 करोड़ टन से ज़्यादा कचरा तैर रहा है, जिसमें प्लास्टिक खासतौर से शामिल है, इनमें से कुछ प्लास्टिक का कूड़ा 50 साल से ज़्यादा पुराना है। इस कचरे की वज़ह से समुद्र का पूरा इको-सिस्टम खराब हो गया है। जहां एक ओर समुद्री जीव मर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ये पृथ्वी के लिये बड़ा खतरा बन गये हैं।
इस समुद्री कचरे को हटाने के लिये लगातार कोशिशें की जा रही हैं। इस कचरे को हटाने में द ओशन क्लीनअप (The Ocean Cleanup) नाम की संस्था लगी हुई है। बढ़ते प्रदूषण के बीच समुद्र में पाये जाने वाले जीवों की तादाद हर साल तेजी से घट रही है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने समुद्र में प्लास्टिक के इस्तेमाल से बढ़ने वाले कचरे और प्रदूषण को कम करने के बारे में चेतावनी जारी की थी।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अगर लोग अभी भी कारगार कार्रवाई नहीं करते हैं तो साल 2050 तक समुद्र में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक होगा। दुनिया भर में हर साल 300 मिलियन टन से ज़्यादा प्लास्टिक का उत्पादन होता है। इसमें से हर साल 10 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा महासागरों में छोड़ा जाता है। समुद्री जीव इन माइक्रोप्लास्टिक को खाते हैं, जिससे हर साल लगभग 10 करोड़ समुद्री जीवों की मौत हो जाती है।