ऐसा लगता पूरा मुल्क खाने के लिए नहीं बल्कि शराब के बगैर तड़पकर मर रहा हो। ये बेहद दुखद मसला है। ऐसा लगता है कि 4 मई को शराब की दुकान पर आने वाले शख़्स कोई खास़ निशान छोड़ना चाह रहे हो, ठीक उसी तरह जैसे चुनावों के दौरान होता है। ऐसे लोगों को सरकारी दुकानों से राशन और दूसरी मुफ़्त सरकारी मदद नहीं दी जानी चाहिए। अगर इन लोगों के पास शराब खरीदने के पैसे है तो ऐसे इन्हें मुफ्त की सुविधायें देने की क्या जरूरत है ? सरकार के मार्फत ये लोग देश के करदाताओं का पैसा लूटकर मौज़ उड़ा रहे है। ये हालात भारी आपदा से बढ़कर कुछ नहीं है। अगर ऐसा ही जारी रहा तो देश 10 मिलियन (10 million) मौतों का गवाह बनेगा। इसके पीछे दो बड़ी वजहें होगी पहली आधारहीन गलत सरकारी नीतियां और दूसरा दिमागी तौर से कमजोर नशेड़ी।