न्यूज डेस्क (ओंकारनाथ द्विवेदी): चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर जो कि मौजूदा वक़्त में पूरे बिहार (Bihar) में 3500 किलोमीटर लंबी पदयात्रा पर हैं, उनके बारे में अफवाह है कि वो अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी शुरू कर सकते हैं। किशोर ने आखिरकार अपने राजनीतिक भविष्य और क्या वो चुनाव लड़ेंगे, इस पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। राजनीतिक रणनीतिकार से कार्यकर्ता बने प्रशांत किशोर (Election Strategist Prashant Kishor) ने कहा कि वो अपने गृह राज्य बिहार में “बेहतर विकल्प बनाना” जारी रखेंगे, लेकिन उन्होंने भविष्य में कभी भी चुनाव लड़ने की किसी भी संभावना से इनकार किया।
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने जद (यू) के नेताओं पर आरोप लगाया कि वो “धंधेबाज़” (व्यापारी) थे, जिनके पास राजनीतिक कौशल नहीं था, और उन्हें चुनौती दी कि वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) से पूछें कि “उन्होंने मुझे क्यों रखा था?” दो साल के लिये अपने घर पर”।
आई-पीएसी के संस्थापक से बार-बार पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने खुद के लिये चुनावी मैदान में उतरने की योजना बनायी है, उन्होंने कहा कि, “मैं चुनाव क्यों लड़ूंगा? मेरी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है। जनता तय करेगी कि जन सुराज अभियान को राजनीतिक आंदोलन में बदला जायेगा या नहीं।”
“चूंकि मैंने खुलकर और स्वतंत्र तरीके से काम किया है, इसलिये जदयू (JDU) के कई नेता और उनके साथी मुझसे नाखुश हैं। जद (यू) के नेता मुझे फटकारना पसंद करते हैं। उन्हें नीतीश कुमार से पूछना चाहिये कि मैं दो साल से उनके घर पर क्या कर रहा था अगर मुझे कोई राजनीतिक समझ नहीं थी”
नीतीश कुमार-तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) सरकार की ओर से बिहार में 10 लाख सरकारी नौकरियों के वादे का जिक्र करते हुए, प्रशांत किशोर ने कहा, “मैंने इसे कई बार कहा है और मैं इसे फिर से कहता हूं – अगर वो वादा पूरा करते हैं तो मैं अपनी नौकरी और मुहिम दोनों को छोड़ दूंगा।”