न्यूज डेस्क (वृंदा प्रियदर्शिनी): PM-CARES प्राइम मिनिस्टर सिटीजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशन फंड, जो कानून के तहत एक चैरिटेबल ट्रस्ट है, ने दिल्ली हाई कोर्ट को सूचित किया कि ट्रस्ट का फंड भारत सरकार का फंड नहीं है और इसकी राशि भारत सरकार की संचित निधि (Consolidated Fund of the Government of India) में नहीं जाती है।
इस मामले पर प्रधानमंत्री कार्यालय के अवर सचिव प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि, भले ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के अर्थ के भीतर ट्रस्ट एक “राज्य” या अन्य प्राधिकरण है या ये सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 2 [एच] के अर्थ के भीतर एक ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ (Public Authority) है, सामान्य तौर पर धारा 8 और उप-धारा [ई] और [जे] में निहित प्रावधान खासतौर से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत तीसरे पक्ष की जानकारी का खुलासा करने की अनुमति नहीं है।
पीएम केयर्स फंड पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने आगे कहा कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये ट्रस्ट द्वारा प्राप्त धन के उपयोग के विवरण के साथ ऑडिट रिपोर्ट (Audit Report) ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर डाल दी जाती है।
सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8 के विशिष्ट प्रावधानों के मद्देनजर ट्रस्ट डीड दिनांक 27.3.2020 के पैरा 5.3 के खिलाफ राहत महत्वहीन है, श्रीवास्तव ने ट्रस्ट डीड में एक पैराग्राफ के खिलाफ एक अपील का जिक्र किया जिसमें कहा गया है कि ये संविधान द्वारा या संसद या राज्य विधानसभा (State Assembly) द्वारा बनाये गये किसी कानून द्वारा नहीं बनाया गया था।
संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत PM-CARES फंड को 'सरकारी' घोषित करने की मांग करने वाली एक याचिका के जवाब में ये दलील रखी गयी। याचिका में कहा गया है कि देश के नागरिक इस बात से व्यथित हैं कि प्रधानमंत्री ने गृह, रक्षा और वित्त मंत्रियों जैसे ट्रस्टियों के साथ मिलकर एक ऐसा कोष तैयार किया है, जिस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है।