न्यूज़ डेस्क (दिगान्त बरूआ): रक्षा मंत्री ने हाल ही 101 रक्षा उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाते हुए स्वदेशी Private Defence Manufacturing Sector के लिए नयी राहें आसानी की थी। जिसके तहत भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों, रक्षा उत्पादन विभाग और निजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों के बीच लंबी वार्ताओं का दौर चला था। उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एसके सैनी (Deputy Chief of Army Staff Lt Gen SK Saini) ने निजी क्षेत्र के रक्षा उत्पाद (Indian Private sector in defence production) के उत्पादन से जुड़े कारोबारियों के बीच कहा था कि, भारतीय सेना स्वदेशी हथियारों के बूते भविष्य में जंग फतह करेगी। हमें आने वाले कल की जरूरतों को ध्यान में रखकर नयी तकनीकों के विस्तार पर काम करना होगा। क्योंकि आने वाले कल की जंगें आज से काफी अलग होगी।
इस बीच रक्षा उत्पादन में भारत के निजी क्षेत्र में काम करने वाली वीईएम टेक्नोलॉजीस् (VEM Technologies) ने एंटी टैंक मिसाइल तैयार कर ली है। हैदराबाद स्थित इस कंपनी का दावा है कि, ये एंटी टैंक मिसाइल सिस्टम डीआरडीओ द्वारा विकसित टैंक रोधी मिसाइल प्रणाली (Indigenous anti-tank missile system) से काफी हल्की है। इस वज़न तकरीबन 18 किलो है। इसका इस्तेमाल करने के लिए सैनिकों को ट्राइपॉड की भी जरूरत नहीं होगी। पैदल सैनिक आसानी से इसे दुर्गम इलाकों तुरन्त तैनात कर सकते है। इसे मारक बनाने के लिए इसमें थर्मोग्राफिक कैमरा लगाया गया है। इसमें खास किस्म के इंफ्रारेड सीकर की इस्तेमाल किया गया है। जो कि Exlosive Reactive Armour से लैस बख्तरबंद सैन्य वाहनों को भेदने में सक्षम है।
वीईएम टेक्नोलॉजीस के मुताबिक इस मिसाइल की कारगर रेंज 2.5 किलोमीटर है। ये थर्ड जेनरेशन एंटी टैंक मिसाइल सिस्टम (Third Generation Anti-Tank Missile System) है। आने वाले 1 एक साल के दौरान इसका परीक्षण अलग-अलग सैन्य इलाकों में किया जायेगा, ताकि इसकी मारक क्षमता का आकलन किया जा सके। परीक्षण के नतीज़े सामने आने के बाद इसे भारतीय सेना के शस्त्रागार (Armory of the indian army) में जगह मिल जायेगी।
वीईएम टेक्नोलॉजीस की ओर से ये भी संभावनायें जतायी जा रही है कि, भारत सरकार से यदि अनुमति मिली तो इसका निर्यात दूसरे देशों को भी किया जा सकता है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार पिछले 20 महीनों के दौरान स्वदेशी रक्षा उत्पादन से जुड़े 30 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट शुरू किये गये है। जल्द ही मंत्रालय की ओर से 5000 करोड़ रुपए की नई रक्षा परियोजनायें शुरू की जायेगी। जिनका आबंटन स्वदेशी रक्षा उत्पाद कंपनियों (Indigenous defence products companies) को किया जायेगा। फिलहाल भारतीय सेना के लिए रक्षा मंत्रालय 28 परियोजनाओं पर काम कर रहा है। जिनमें 13 परियोजनायें निजी क्षेत्रों की परिकल्पना, डिजाइन और उत्पादन पर आधारित है।
रक्षा उत्पादों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता और मेड इन इंडिया का डंका अर्मेनिया को निर्यात की गयी, चार स्वाति रडार प्रणालियों की आपूर्ति के साथ बज चुका है। भारत ने रूस और पोलैंड की कंपनियों को पीछे छोड़ते हुए अर्मेनिया से चार करोड़ डॉलर (करीब 280 करोड़ रुपये) का स्वाति रडार प्रणाली निर्यात करने का रक्षा सौदा किया। जिसके बाद भारत अर्मेनिया के लिए एडवांस वेपन लोकेटिंग रडार सिस्टम-स्वाति (Advanced Weapon Locating Radar System – Swati) का उत्पादन करेगा। इस सौदे को पूरा करने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organization) और भारत इलैक्ट्रानिक्स लिमिटेड (Bharat Electronics Limited) संयुक्त रूप से काम करेंगें।