Myanmar crisis: म्यांमार के खिलाफ लाये गये प्रस्ताव को भारत ने बताया जल्दबाजी की कार्रवाई

न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): भारत ने शुक्रवार संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के एक प्रस्ताव से भाग लिया, जिसमें म्यांमार (Myanmar crisis) पर हथियार प्रतिबंध लगाने का मुद्दा उठाया गया। भारत ने इस प्रस्ताव को “जल्दबाजी की कार्रवाई” कहा। भारत उन 36 देशों में शामिल है जिन्होंने प्रस्ताव पारित होने के कार्रवाई में शामिल होने से परहेज किया। इस फेहरिस्त में रूस, चीन नेपाल, श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश और पाकिस्तान भी शामिल रहे।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के दूत टीएस तिरुमूर्ति ने यूएनजीए में इस मुद्दे पर कहा कि, ये साफ है कि पड़ोसी देशों के साथ-साथ इस क्षेत्र के कई देशों इस मुद्दे पर कम समर्थन दिखा रहे है। उम्मीद है कि उन लोगों की आंखे जल्द ही खुलेगी। ये कदम जल्दबाजी की कार्रवाई के तहत उठाया गया है।

प्रस्ताव लिकटेंस्टीन (Liechtenstein) द्वारा लाया गया था और इसे अमेरिका, फ्रांस, यूके, जर्मनी ने खुलकर अपना समर्थन दिया। प्रस्ताव को 119 देशों का समर्थन मिला, जिसमें बेलारूस एकमात्र देश था जिसने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय दूत ने कहा कि हमारी सोच इस प्रस्ताव में कहीं भी नहीं झलकती है।

1 फरवरी को म्यांमार में तख्तापलट के बाद से देश में आंतरिक रूप से हिंसा काफी बढ़ गयी है। यहां तक ​​कि इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) और महासभा में कई बार चर्चा हुई। दूत तिरुमूर्ति ने म्यांमार पर आसियान पहल के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। लोकतंत्र बहाली (Restoration Of Democracy) और हिरासत में लिए गये नेताओं की रिहाई पर उन्होनें एक फिर से जोर दिया।

आसियान प्रस्ताव में हिंसा की समाप्ति, वार्ता प्रक्रिया की मध्यस्थता के लिए आसियान अध्यक्ष के विशेष दूत, मानवीय सहायता का आह्वान किया गया है।

भारतीय दूत टीएस तिरुमूर्ति ने गहरी चिंता जाहिर करते हुए सैन्य शासन के हिंसा के इस्तेमाल की कड़ी निंदा की और अधिकतम संयम का आग्रह किया। लोकतांत्रिक ताकतों की बहाली पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "हम इस बात पर दृढ़ हैं कि म्यांमार में लोकतंत्र का रास्ता लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से आगे बढ़ना चाहिए, जिसका भारत ने दृढ़ता से समर्थन किया है। हमारा इस मुद्दे को लेकर रूख़ पूरी तरह साफ है। म्यांमार की करिश्माई नेता आंग सान सू की नजरबंद हैं और अदालती कार्रवाई का सामना कर रही हैं, जिसे सैन्य नेतृत्व द्वारा बनाये गये तमाशे के तौर पर देखा जा सकता है।

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