न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): Punjab Political Crisis: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह (Chief Minister Captain Amarinder Singh) ने अंदरूनी कलह और गुटबाज़ी से जूझ रही पंजाब कांग्रेस की राज्य इकाई की होने वाली बैठक से पहले आज (18 सितंबर 2021) सीएम से इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित (Governor Banwari Lal Purohit) से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री ने पार्टी नेतृत्व के फैसले पर नाखुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, “मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं।” उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों में केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें तीन बार तलब किया।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल (Media consultant Raveen Thukral) ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया है। ठुकराल ने एक ट्वीट में कहा, “मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ने पंजाब के राज्यपाल से मुलाकात की और अपना और अपने मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) का इस्तीफा उन्हें सौंप दिया। वो अब से कुछ ही मिनटों में राजभवन के गेट पर मीडिया को संबोधित करेंगे।”
ये राजनीतिक घटनाक्रम (Political Events) उस वक़्त हुआ जब अगले साल पंजाब में विधानसभा चुनाव (Assembly elections in Punjab) होने वाले है। मौजूदा हालातों में पंजाब कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है। इस बीच कैप्टन के विरोध वाले खेमे ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक का अनुरोध किया। चार बागी मंत्रियों और विधायकों ने पार्टी कमान को पत्र लिखकर विधायक दल की बैठक कराने की मांग की थी। उनमें से कुछ ने कहा कि उन्हें अधिकांश विधायकों का समर्थन हासिल नहीं है।
अगस्त महीने के दौरान जब पंजाब में खींचतान तेज हो गई तो पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को मुख्यमंत्री की इच्छा के विरुद्ध कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त कर रंजिश को खत्म करने की कोशिश की। अमरिंदर सिंह जो कि 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कैप्टन थे, ने 2017 में पंजाब के 26 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जब कांग्रेस ने बहुमत के साथ विधानसभा चुनाव जीता था।
उन्होंने 2010 से 2013 तक पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर काम किया। सिंह ने पांच बार पटियाला (शहरी) समाना और तलवंडी साबो में एक एक बार चुनाव जीतकर कांग्रेसी प्रतिनिधित्व करते हुए पंजाब विधानसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया था।
साल 2015 में उन्हें फिर से पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। सिंह ने 23 नवंबर, 2016 को लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और खुद को पूरी तरह से पंजाब चुनावों के लिये समर्पित कर दिया। जिसके बाद पार्टी राज्य में बहुमत के साथ सत्ता में वापस आयी।