न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): सियासी दावंपेंच खेलने में अब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) माह़िर होते नज़र आ रहे है। केरल में लोगों के साथ खाना, समुद्र में तैराकी और टी-शर्ट के अन्दर छिपी एब्स दिखाकर। कहीं ना कहीं वो परसेप्शन मैनेजमेंट और नैरेटिव मेकिंग में पहले ज़्यादा मैच्योर दिख रहे है। हाल में उन्होनें खुलकर कहा कि, उनकी दादी इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल के दौरान देश में आपातकाल लगाने का जो फैसला लिया वो बेहद गलत था। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र पर भी बात की और कहा कि आपातकाल के दौरान जो हुआ वह गलत था और आज जो हो रहा है उसमें बुनियादी अंतर है।
बीते मंगलवार अमेरिका में कॉर्नेल विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री कौशिक बसु के साथ बातचीत के दौरान, राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भी खुलकर ज़ुबानी हमला किया और कहा कि मुझे लगता है कि वो (आपातकाल) एक गलती थी। बिल्कुल ये एक गलती थी और मेरी दादी (इंदिरा गांधी) ने भी इतना ही कहा। राहुल गांधी ने ये बात बोस से कही, जिन्होंने भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में काम किया था। देश के मौजूदा माहौल पर उन्होंने कहा कि अब देश में क्या हो रहा है। कांग्रेस ने किसी भी देश और संवैधानिक ढांचें पर कब्जा करने की कोशिश नहीं की।
आरएसएस और भाजपा की मुखालफत करते हुए उन्होंने कहा कि, कांग्रेस पार्टी का संरचनात्मक ढ़ांचा हमें इसकी इज़ाजत नहीं देता। भले ही हम इसे करना चाहते हो, लेकिन हम इसे नहीं कर सकते। आरएसएस मौलिक रूप से कुछ अलग कर रहा है। वे अपने लोगों को संवैधानिक निकायों और लोकतान्त्रिक संस्थानों में भर रहा है। भले ही हम चुनावों में भाजपा को हरा दें, लेकिन हम उनके लोगों को संस्थागत ढांचे से अलग नहीं कर पायेगें।
बात को आगे बढ़ाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोग अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं। इसी के साथ ही राहुल ने पुडुचेरी के पूर्व एलजी किरण बेदी और मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला पर संवैधानिक पद की आड़ में सियासत करने का सीधा इल्ज़ाम लगाया। उन्होंने कहा कि मणिपुर के सांसदों का कहना है कि उनके गवर्नर अपना काम नहीं कर रहे हैं। वो संवैधानिक शुचिता (Constitutional sanctity) से ज़्यादा वैचारिक रूझान (Ideological trend) को अहमियत देती है, जबकि पुडुचेरी के पूर्व उपराज्यपाल ने खुले तौर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत आरएसएस के इशारे पर बिल पारित नहीं होने दिया।