नई दिल्ली (शौर्य यादव): भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने बड़ा फैसला लेते हुए, देश के कई बड़े बैंक डिफॉल्टर (Bank Defaulters) के नाम काली सूची में डालें। जिसके बाद से इन लोगों की भारत में कारोबारी साख़ (Business Credibility) गिरनी तय मानी जा रही है। आर्थिक जानकार ये भी संभावना जता रहे हैं कि भारत सहित ओवरसीज़ कारोबार (Overseas Business) में इन लोगों की कंपनियों के शेयर में बड़ी गिरावट दर्ज की जा सकती है। आरबीआई के इस फैसले पर सियासी पैंतरा खेलते हुए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ट्वीट कर लिखा कि-
संसद में मैंने एक सीधा सा प्रश्न पूछा था- मुझे देश के 50 सबसे बड़े बैंक चोरों के नाम बताइए। वित्तमंत्री (Finance Minister) ने जवाब देने से मना कर दिया। अब RBI ने नीरव मोदी, मेहुल चोकसी सहित भाजपा के ‘मित्रों’ के नाम बैंक चोरों की लिस्ट में डाले हैं। इसीलिए संसद (Parliament) में इस सच को छुपाया गया।
गौरतलब है कि हाल ही में RBI की और से 50 आर्थिक भगोड़ो के नाम काली सूची में डाले गये है। जिन पर देश के सरकारी बैंकों (Public Banks) की तकरीबन 65,000 करोड़ रूपये की देनदारियां (liabilities) है। मार्च में बीते संसद सत्र के दौरान राहुल गांधी ने इस मसले पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) से सदन में सवाल भी पूछा था, जिसका वीडियों उन्होनें इस ट्विट के साथ साझा किया है। गाहे-बगाहे कांग्रेस की ओर से भाजपा पर आक्रमक हमले होते रहे है, लेकिन इस मुद्दे पर सरकार (Government) का रवैया अक्सर बचाव वाला ही होता है।
आम जनता की खून-पसीने की कमाई देश की सरकारी बैंकों पर पड़ी हुई है, कोई बड़ा कारोबारी गब़न (Gobbling) करके भाग जाता है तो अप्रत्यक्ष रूप इसकी मार आम जनता की ही जेब पर पड़ती है। ऐसे में सरकार की चाहिए कि आर्थिक भगोड़ों (Economic Fugitives) को देश में लाकर उन पर मुकदमें (Prosecute) चलाये। केन्द्र को इन मामलों में प्रो-एक्टिव (Pro-Active) मोड पर काम करना होगा नहीं तो सरकार की साख पर गहरा सवालिया निशान लगना तय है।