North-East Delhi Riots: राहुल गांधी ने किया हिंसा ग्रस्त इलाकों का दौरा

दिल्ली (का. सं.): उत्तरी पूर्वी दिल्ली (North East Delhi) के तनाव भरे माहौल के बीच कांग्रेस पार्टी दंगे में तबाह हुए इलाकों का दौरा किया, जिसकी अगुवाई राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कर रहे हैं। अभी यह जानकारी सामने आई है कि, इस शिष्टमंडल (Delegation) में राहुल गांधी के अलावा ब्रह्म मोहिंद्रा रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक, अधीर रंजन चौधरी, के. सुरेश, केसी. वेणुगोपाल, कुमारी शैलजा और गौरव गोगोई शामिल रहे। हालांकि सुरक्षा कारणों से प्रतिनिधिमंडल को स्थानीय प्रशासन (Local administration) से हिंसा ग्रस्त इलाके (Violence prone areas) में जाने की मंजूरी नहीं मिली। प्रतिनिधि मंडल का दौरा चांदबाग़ (Chandbag) और बृजपुरी (Brijpuri) तक ही सीमित रह गया।

कांग्रेस ने लोकसभा (Lok Sabha) सदन में जमकर इस मुद्दे को उठाया था। संसद परिसर के बाहर भी कांग्रेस और विपक्षी दलों (Opposition parties) ने जमकर बवाल काटा था और गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) के इस्तीफे (Resignation) की मांग की थी। कांग्रेस वर्किंग कमेटी (Congress working committee) की बैठक के दौरान कई बड़े कांग्रेसी नेताओं ने दिल्ली की केजरीवाल (Kejriwal) सरकार पर भी निशाना साधा था। दंगाग्रस्त इलाकों में कांग्रेसी प्रतिनिधिमंडल के दौरे की बात अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chaudhary) के बयान से साफ हो चुकी थी। बाद में उन्होंने अपने इस बयान से यू-टर्न (U-turn) मार लिया था।

प्रतिनिधि मंडल का दौरा दिल्ली पुलिस (Delhi Police) और शांति बहाली के कामों में लगे सुरक्षाबलों (Security forces) के लिए बड़ी चुनौती है। हिंसाग्रस्त इलाकों का माहौल अभी भी संवेदनशील (Sensitive) और तनावपूर्ण (Stressful) है। ऐसे में ये देखना भी दिलचस्प रहेगा कि उत्तरी पूर्वी दिल्ली में जाकर राहुल गांधी किस पक्ष से मुलाकात करते हैं। क्योंकि इलाके में दंगा दो पक्षों के बीच हुआ था सीएए विरोधी (Anti CAA) और सीएए समर्थक (CAA supporter)। जबकि हिंसा की आग में दोनों पक्ष जले हैं। संशोधित नागरिकता कानून (citizenship Amended Act) के मसले पर कांग्रेस का पक्ष बिल्कुल स्पष्ट है। वो इसके विरोध में खड़ी है।

राहुल गांधी सहित कई बड़े कांग्रेसी नेताओं ने सीएए के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों में हिस्सा लिया और साथ ही कार्यक्रम भी आयोजित किए। कांग्रेस का ये कदम कई बड़े सवाल खड़े कर रहा है। जिस इलाके की शांति बहाली (Peace restoration) के लिए सुरक्षा बल लगे हो, क्या वहां राहुल गांधी का जाना ठीक है ? कांग्रेसी नेताओं के वहाँ जाने से हालात और भी ज्यादा नाज़ुक हो जाएंगे इसका जिम्मेदार (Responsible) कौन होगा? अगर राहुल गांधी शांति और भाईचारे के इतने ही बड़े पैरोकार है तो उस वक्त अमन की अपील क्यों नहीं कि जब दंगे भड़क रहे थे ?

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