नई दिल्ली (दिगान्त बरूआ): भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने आज मीडिया से कहा कि- कृषि कानूनों के विरोध के तहत ‘रेल रोको’ (Rail roko) मुहिम पूरी तरह शांतिपूर्ण होगी। जो यात्री इस दौरान फंसेगें उन्हें आंदोलनकारी किसान पानी, दूध, लस्सी और फल मुहैया करवायेगें। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि वो राजनीति में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि वो इसे बड़ी बीमारी मानते हैं। उन्होनें आगे कहा कि रेल रोको विरोध दोपहर 12 बजे शुरू होगा और 3-4 बजे तक चलेगा। कोरोना महामारी के कारण कम ही ट्रेने चलाई जा रही है। इससे काफी कम लोगों को असुविधा होगी।
राकेश टिकैत ने आगे कहा कि, रेल रोकने के साथ किसान यात्रियों को अपने एजेंडे से भी अवगत करवायेगें। आज हिसार में हमारी दो रैलियां हैं और मैं वहां जा रहा हूं। मैं कल मुंबई में रैली करने जा रहा हूं। हम पूरे देश में रैलियां करेंगे। किसान हर जगह पीड़ित हैं। समस्याओं से छुटकारा पाने का यहीं एकमात्र जरिया है कि एमएसपी के नियम को कानूनी जामा पहनाया जाये। इस दौरान उन्होंने 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा की भी निंदा की, और कहा कि भारतीय किसान यूनियन का उपद्रवियों (Miscreants) के साथ कोई संबंध नहीं है।
सक्रिय राजनीति (Active politics) में आने की संभावनाओं को विराम देते हुए उन्होनें कहा कि- सियासत बड़ा रोग है। मैं इससे दूर रहूंगा दूसरी ओर किसानों के विरोध को देखते हुए रेलवे ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल खासा ध्यान दिया है। देश के अलग-अलग हिस्सों में रेलवे सुरक्षा बल की 20 अतिरिक्त कंपनियों को तैनात किया है।
गौरतलब है कि आंदोलनकारी किसान बीते तीन नवंबर से तीनों केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान चाहते है कि केन्द्र सरकार किसान व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु अधिनियम 2020 में किये गये संशोधन किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता को रद्द करे।