न्यूज डेस्क (देवेंद्र कुमार): राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot) ने आज राज्य के 17 नव निर्मित जिलों के स्थापना समारोह में हिस्सा लिया। जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में आयोजित समारोह में इन जिलों के प्रशासनिक प्रभागों का औपचारिक उद्घाटन हुआ। बता दे कि राज्य में अब 50 जिले और 10 डिवीजन शामिल हैं, जबकि पहले 33 जिले और सात डिवीजन थे। नवगठित जिले हैं-अनूपगढ़, बालोतरा, ब्यावर, केकड़ी, जयपुर ग्रामीण, दूदू, कोटपूतली-बहरोड़, नीम का थाना, खैरथल-तिजारा, सांचौर, डीडवाना-कुचामन, शाहपुरा, जोधपुर ग्रामीण, फलौदी, सलूम्बर, गंगापुर सिटी और डीग (Gangapur City and Deeg)।
कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री गहलोत ने राज्य के प्रमुख के तौर पर अपनी स्थिति पर विचार किया और अपनी सीएम भूमिका को छोड़ना पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि- ”मैं मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहता हूं, लेकिन ये पल मुझे नहीं छोड़ रहा है” उन्होंने पार्टी के निर्देशों के प्रति अपना समर्पण दिखाते हुए आलाकमान की ओर से किये गये किसी भी फैसलों को मानने करने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
गहलोत ने इस मौके का इस्तेमाल राष्ट्रीय राजनीति से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिये भी किया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के कथित पक्षपातपूर्ण रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि, ”प्रधानमंत्री का पद देश का अहम पद है, भाजपा का नहीं, लेकिन प्रधानमंत्री को भ्रम है, वो सोचते हैं कि मैं भाजपा का प्रधानमंत्री हूं। ये स्थिति है, उनकी बॉडी लैंग्वेज, उनकी भाषा से ऐसा लगता है कि वो एक पार्टी के प्रधानमंत्री हैं, वो सिर्फ हिंदुओं के प्रधानमंत्री हैं। ये बहुत खतरनाक बात है।”
मुख्यमंत्री ने मणिपुर (Manipur) की घटना समेत देश भर में घट रही विभिन्न घटनाओं पर अपनी चिंता ज़ाहिर की, मणिपुर में जहां दो लड़कियों नंगा करके घुमाया गया उसका हवाला देते हुए उन्होंने प्रधान मंत्री की प्रतिक्रिया की आलोचना की।
उन्होंने उचित कार्रवाई और जवाबदेही की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, “वहां (मणिपुर) गृहयुद्ध चल रहा है, जहां दो लड़कियों को नग्न कर घुमाया गया और फिर उनके साथ बलात्कार किया गया, लेकिन मणिपुर के मुख्यमंत्री अजीब बयान देते हैं, लेकिन फिर भी प्रधानमंत्री ने मौन व्रत धारण कर रखा है।”
गहलोत ने खुद को विपक्षी नेताओं से अलग बताते हुए अपनी नेतृत्व शैली का भी बचाव किया। उन्होंने कहा कि, “मैं नरेंद्र मोदी की तरह नहीं हूं, जो अहंकार और अभिमान से भरा हो।”
उन्होंने कहा कि वो रचनात्मक आलोचना को अहमियत देते हैं और लोगों की भलाई के लिये लोकहित के मुद्दों पर हमेशा बात करने के लिये तैयार हैं। उन्होंने कहा कि, ”हम कानून बनाकर आम आदमी को राहत दे रहे हैं। हमने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के जरिये बेरोजगारों को 125 दिनों के रोजगार की गारंटी दी है। हम न्यूनतम आय गारंटी विधेयक लाये।”
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर राजस्थान में अपने प्रशासन की कामयाबियों को भी उजागर किया। उन्होंने शिक्षा में अहम विकास की ओर इशारा किया, जिसमें विश्वविद्यालयों की संख्या में हुए बेहतरीन इज़ाफे और क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार के बारे में भी लोगों को अवगत करवाया।
गहलोत ने आगे कहा कि, ”जब मैं पहली बार सीएम बना तो 6 यूनिवर्सिटी थीं, अब 96 यूनिवर्सिटी हैं। आज हम शिक्षा के क्षेत्र में काफी आगे बढ़ चुके हैं। आज जिस स्कूल में 500 लड़कियां पढ़ती हैं, उसे कॉलेज में तब्दील किया जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी काम हुआ है।”
सीएम अशोक गहलोत ने नौकरियों के मौके पैदा करने के प्रशासनिक कवायदों के साथ साथ विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर भी प्रकाश डाला, जिससे राज्य के निवासियों को खासा फायदा हुआ है।