न्यूज़ डेस्क (नई दिल्ली): भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा (Rajya Sabha) द्वारा टीवी चैनल Rajya Sabha TV-RSTV का प्रसारण किया जाता है। ये टीवी चैनल राज्यसभा सचिवालय (Rajya Sabha Secretariat) की प्रशासनिक कमान में आता है जिसके मुखिया उप-राष्ट्रपति वैकेंया नायडू (Vice President Vaikenya Naidu) है। चैनल का ऑफिस संसद भवन से चंद कदमों की दूरी पर है। दिलचस्प है कि बीते मार्च महीने में पीएम मोदी एक छोटी सी अपील देशभर के नियोक्ताओं (Employers) से करते है। जिसके मुताबिक कोरोना संकट के दौरान पब्लिक और प्राइवेट संस्थान किसी भी तरह से कर्मचारियों की छंटनी ना करे। पीएम मोदी की ये अपील संसद भवन के ठीक बगल में बने RSTV तक भी ढंग नहीं पहुँच पाती है। पीएम मोदी की अपील के ठीक उल्ट आज RSTV के 19 कर्मियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
निकाले गये सभी लोग अनुभवी है और तकरीबन लंबे समय से राज्यसभा टीवी को अपनी पेशेवराना काबिलियत (Professional ability) मुहैया करवा रहे थे। इन्हीं लोगों की सालों की मेहनत का नतीज़ा है कि राज्यसभा टीवी के कार्यक्रम और बुलेटिन दूरदर्शन से कई मायनों ने बेहतरीन है, लेकिन राज्यसभा सचिवालय में बैठे अफसरों को इससे कोई मतलब नहीं। दूसरी ओर गौर करने वाली बात ये भी है कि मार्च महीने के दौरान श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव हीरालाल समरिया (Secretary, Ministry of Labor and Employment, Hiralal Samaria) ने इस मामले से जुड़ा खत सभी विभागों के सचिवों को भेजा था। जिसमें पीएम मोदी की अपील को अमली जामा पहनाने की बात कही गयी थी। लिखे गये खत में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि पब्लिक और प्राइवेट संस्थानों में काम करने वाले रेगुलर और संविदा स्टॉफ (Regular and contractual staff) की सामाजिक सुरक्षा (social security) का पूरा ध्यान नियोक्ता को रखना होगा बावजूद इसके राज्यसभा सचिवालय की प्रशासनिक कवायदों के कारण अब 19 परिवारों पर जीवनयापन करने का घोर संकट मंडरा रहा है।
आज जब एकाएक राज्यसभा सचिवालय की ओर से नोटिफिकेशन जारी किये गये तो बेरोजगार हुए लोगों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। राज्यसभा टीवी की इस कवायद से ये अन्दाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है कि जब राजधानी दिल्ली के सरकारी संस्थान में पीएम मोदी की अपील की धज़्जियां उड़ाई जा सकती है तो देशभर में दूसरे निजी और सरकारी संस्थानों का क्या हाल होगा? पीएम मोदी की अपील (PM Modi’s appeal) का असर संसद भवन से महज़ चार कदमों की दूरी तक भी ढंग से नहीं पहुँच पाया तो देशभर की तस्वीर का अन्दाज़ा बेहद आसानी से लगाया जा सकता है।
बेरोजगार हुए ज़्यादातर लोग परिवार वाले है। नौकरी जाने से उसका सीधा असर उनके पूरे परिवार पर पड़ेगा। देश के आर्थिक हालात बुरी तरह चरमराये हुए है, नौकरी के अवसर मौजूदा दौर में ना के बराबर है और ऊपर से कोरोना संकट। इन हालातों के बीच राज्यसभा सचिवालय की प्रशासनिक निर्ममता, संवेदनहीनता और अमानवीय फरमान (Administrative ruthlessness, insensitivity and inhumane order of Rajya Sabha Secretariat) कहीं ना कहीं ये साबित करता है कि अफसरशाही हर हाल में सरकार पर भारी पड़ती है। भले ही पीएम की अपील को दरकिनार करने का मामला क्यों ना हो।
जल्द ही राज्यसभा टीवी का मार्जर लोकसभा टीवी में (Rajya Sabha TV’s Merger in Lok Sabha TV) होने वाला उस दौरान भी कई परिवारों के चूल्हे ठंडे पड़ना लगभग तय माना जा रहा है। ऐसे में सरकार अपने स्तर पर अभी तक बेरोजगार होने वाले और हुए पेशेवरों के लिए कोई बैकअप प्लॉन तैयार नहीं कर पायी है। कुछ अधिकारियों की संवेदनहीनता और अर्कमण्यता (Insensitivity and incompatibility of officers) सरकार की छवि खराब करते है। ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प रहेगा कि इस मामले पर प्रधानमंत्री कार्यालय या उपराष्ट्रपति किस तरह का संज्ञान लेते है। माना जा रहा है कि अगर निकाले गये कर्मचारियों के पक्ष में कोई सकारात्मक फैसला राज्यसभा सचिवालय या प्रधानमंत्री कार्यालय नहीं लेता है तो पीएम मोदी की छवि और विश्वसनीयता को गहरा आघात लग सकता है।