न्यूज डेस्क (नृत्यगोपाल शर्मा): 5 अगस्त को देश के इतिहास में अहम तारीख जुड़ने जा रही है। राम मंदिर (Ram Mandir) के भूमि पूजन के साथ मंदिर निर्माण की औपचारिक तैयारियां (Formal preparations) शुरू हो जायेगी। ऐसे में पूरी अयोध्या में जश्न का माहौल होगा। भाजपा, राष्ट्र स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, और बजरंग दल (BJP, Rashtriya Swayamsevak Sangh, Vishwa Hindu Parishad, and Bajrang Dal) इसे पूरी भव्यता के साथ मनाने की तैयारियों में लग गये है। खुद योगी आदित्यनाथ ने समस्त अयोध्यावासियों से दीपोत्सव मनाने का आग्रह किया है। जिसके लिए अयोध्या नगर-निगम ने घर-घर दीये, तेल और बाती बांटने काम शुरू कर दिया है। बाराबंकी, अकबरपुर, गौसांईगंज, रामघाट, छावनी इत्यादि इलाकों में रंगाई-पुताई तोरण द्वार और एलईडी स्क्रीन लगाने का काम जोरों पर है।
कोरोना संकट के चलते आम लोग अयोध्या नहीं जा पायेगें। इसलिए आदेश गुप्ता (Adesh Gupta) की अगुवाई में दिल्ली प्रदेश भाजपा भारी इंतजाम करने में जुट गई है। जिसके तहत अयोध्या में हो रहे भव्य आयोजन का दिखाने के लिए दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर विशाल एलईडी स्क्रीन (Giant led screen) लगाने का काम किया जा रहा है। ताकि इलाके की आम जनता कार्यक्रम का सीधा प्रसारण देख सके। साथ ही आदेश गुप्ता ने दिल्ली प्रदेश के सभी भाजपा कार्यकर्ताओं (BJP workers) को दीप जलाने और दूसरे लोगों को इसके लिए प्रेरित करने का काम सौंपा है, ताकि ये दिन इतिहास के सुनहरे अध्याय में सम्मिलित हो जाये।
दूसरी ओर भूमि पूजन कार्यक्रम के लेकर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) ने कार्यक्रम पर निशाना साधते हुए ट्विट कर लिखा कि- दलित महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनन्दन गिरि (Dalit Mahamandaleshwar Swami Kanhaiya Prabhunandan Giri) की शिकायत के मद्देनजर यदि अयोध्या में 5 अगस्त को होने वाले भूमिपूजन समारोह में अन्य 200 साधु-सन्तों के साथ इनको भी बुला लिया गया होता तो यह बेहतर होता। इससे देश में जातिविहीन समाज (Casteless society) बनाने की संवैधानिक मंशा पर कुछ असर पड़ सकता था। वैसे जातिवादी उपेक्षा, तिरस्कार व अन्याय से पीड़ित दलित समाज को इन चक्करों में पड़ने के बजाए अपने उद्धार हेतु श्रम/कर्म में ही ज्यादा ध्यान देना चाहिए व इस मामले में भी अपने मसीहा परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के बताए रास्ते पर चलना चाहिए, यही बीएसपी की इनको सलाह
स्वामी कन्हैया प्रभुनन्दन गिरि सभी 13 अखाड़ों में एकमात्र दलित महामंडलेश्वर है, जिन्हें पिछले साल प्रयागराज में सम्पन्न हुए कुंभ के दौरान महामंडलेश्वर की उपाधि दी गयी थी। मूलरूप से कन्हैया प्रभुनन्दन आज़मगढ़ के निवासी (Resident of Azamgarh) है। धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन और ज्योतिषीय विद्या में उन्हें विशेषज्ञता हासिल है। कयास लगाये जा रहे थे कि, सरकार सामाजिक समरसता (Social harmony) का संदेश देने के लिए उन्हें भूमि-पूजन कार्यक्रम में आमंत्रित कर सकती है। लेकिन मौजूदा प्रशासनिक कार्रवाईयों और निमन्त्रण सूची को देखते हुए ऐसा नहीं लग रहा है।