न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): Rasgulla and Indian Railways: दूध से बना, नर्म, मुलायम और चाशनी में गोते खाता रसगुल्ला भला किसे नहीं पसंद है। एक बार गले के नीचे उतर जाये तो मन और आत्मा देने ही तृप्त हो जाती है, लेकिन हाल ही में रसगुल्ले में भारतीय रेलवे को कड़वाहट महसूस करवा दी। जी हाँ आप लोगों ने सही पढ़ा। बीते वीकेंड पर बिहार के लखीसराय में बरहिया रेलवे स्टेशन (Barhiya Railway Station in Lakhisarai) पर 10 ट्रेनों को रोकने की मांग को लेकर कई स्थानीय लोगों ने लगभग 40 घंटे तक विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान कई स्थानीय लोगों ने रेलवे ट्रैक पर टेंट लगा दिया, जिससे ट्रेनों की आवाजाही 40 घंटे तक ठप्प रही। इसकी वज़ह से हावड़ा-दिल्ली रेल लाइन पर दर्जनों ट्रेनों को 24 घंटे के लिये रद्द करना पड़ा और 100 से ज़्यादा ट्रेनों को डायवर्ट करना पड़ा, जिससे रेल मुसाफ़िर को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
लखीसराय के जिला मजिस्ट्रेट संजय कुमार (District Magistrate Sanjay Kumar) के मुताबिक बड़ी तादाद में लोग स्टेशन पर पटरियों पर बैठ गये, ये मांग करने लगे की बरहिया में कई एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं है, ऐसे में उनकी सुविधा के लिये एक्सप्रेस ट्रेनों का वहाँ निर्धारित ठहराव की व्यवस्था की जाये।
ये है रसगुल्ले का ट्रेन कनेक्शन
बहुत कम लोग जानते हैं कि लखीसराय का रसगुल्ला अपनी तरह का अनूठा और देश भर में फेमस है। इसकी भारी मांग की वज़ह से वहां तैयार मिठाइयां आसपास के अन्य राज्यों में भेजी जाती हैं। शादी या किसी विशेष मौकों पर मेहमानों को परोसने के लिये लोग खासतौर से इन रसगुल्लों को खरीदने के लिये यहां आते हैं। लखीसराय कस्बे में 200 से ज़्यादा दुकानें हैं जो इस कारोबार में लगी हुई हैं और रोजाना यहां कई टन रसगुल्ले तैयार किये जाते हैं।
हालांकि ट्रेनों के न रूकने से ये कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ और लोग नाराज थे क्योंकि वो देश के कई हिस्सों में स्टॉक की सप्लाई नहीं कर सके। कोविड महामारी (Covid Pandemic) दौरान बरहिया में ट्रेनों के न रूकने से मिठाई व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है। रेलवे स्टेशन पर फिलहाल कोई ट्रेन नहीं रूकने से स्थानीय लोग और हलवाई में भारी आक्रोश है।
पहले रसगुल्ला कारोबारियों का इस व्यवसाय को ट्रेनों के जरिये करना काफी सस्ता और आसान था। रसगुल्ला का काम करने वाले कारोबारी रंजन शर्मा ने बताया कि बरहिया से पटना (Patna) का ट्रेन का किराया 55 रुपये है और इसमें सिर्फ दो घंटे लगते हैं। हालांकि अगर कारोबारी सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से रसगुल्लों का स्टॉक सड़क मार्ग से ले जाते हैं तो करीब 150 रुपये का किराया लगेगा और समय भी दोगुना होगा। इसके अलावा कैब या कार बुक करना और भी महंगा होगा। जिससे कि ये खर्च और भी ज़्यादा हो जाता है क्योंकि शादी-ब्याह के मौसम में मांग काफी बढ़ जाती है।
खैर विरोध के कुछ नतीजे निकले है। रेलवे ने लिखित में आश्वासन दिया है कि 15 दिनों के भीतर एक एक्सप्रेस ट्रेन (Express Train) का ठहराव सुनिश्चित किया जायेगा, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया गया।