न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): Rashtriya Annadata Union: किसानों के नाम पर देश की आजादी के बाद से अब तक घमासान मचा है। लेकिन बीते 1 सालों के दौरान ये घमासान आमने सामने की लड़ाई के हद तक पहुंच गया। किसानों के हित में कानून लाने के नाम पर दावा भी किया गया। और किसानों के हित के नाम पर भी विरोध हुआ। साथ ही किसानों के हित के नाम पर भी कानून वापस हो गया। आखिरकर 1 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी (Return Of Agricultural Laws) का ऐलान कर दिया। विपक्ष ने वक्त गंवाये बिना कह दिया कि ये तो चुनाव का डर था। वोट के लिए कानून वापस लिये गये। विपक्ष में इस मुद्दे का श्रेय लेने की होड़ भी मच गयी।
कांग्रेस, बसपा, सपा और टीएमसी के कई नेताओं ने इस मौके को जमकर भुनाया और खुद को किसान हितैषी साबित करने की दौड़ में शामिल दिखे। इस मौके पर राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन के अध्यक्ष रामनिवास यादव (Ram Niwas Yadav) ने किसान हितैषी तीनो कृषि कानूनों की वापसी कर दुःख ज़ाहिर करते हुए कहा है कि राष्ट्र और किसानो का भला चाहने वाले देश के प्रधानमंत्री ने आहत होकर तीनो कृषि बिल वापसी का निर्णय किया है जो दुर्भाग्य पूर्ण है। जिस तरह से देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने सच्चे मन से किसानों के हितो को देखते हुए तीनो कृषि कानून लागू किये और किसानों की आय को बढ़ाने का काम किया था, इन किसान हितैषी तीनो कृषि बिलो को लागू करने की मांग लम्बे समय से किसान कर रहे थे। किसानो को बिचौलियो से मुक्त करने की मांग को लेकर किसान नेता स्वर्गीय महेंद्र सिंह टिकैत (Mahendra Singh Tikait) जी ने काफी संघर्ष किया था।
रामनिवास यादव ने आगे कहा कि मोदी सरकार (Modi government) आने पर ने तीनों कृषि कानून लागू किये गये लेकिन बदकिस्मती से देश के बिचौलियों से मिली भगत कर देश के कुछ कथित किसान नेता और कुछ राजनैतिक दलों खासकर वो दल जिन्होंने कभी किसानो का हित नहीं चाहा और हमेशा किसानों का शोषण किया। अपनी सरकारों के समय किसानों की जमीन छीनने के लिये किसानों की छाती पर गोली चलवायी लेकिन सबने मिलकर किसान हितैषी तीनों कृषि बिलों के खिलाफ ऐसा माहौल तैयार कर दिया कि सही निर्णय को ही गलत ठहराने लगे जिन्होंने देश के भोले-भाले किसान भाइयो को बहला-फुसलाकर कर किसान हितैषी तीनों कृषि बिलो को ही किसान के खिलाफ बताकर सरकार के खिलाफ माहौल बनाया और सही बात को गलत प्रचारित किया जिससे देश का किसान भ्रमित होने लगा।
राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन के अध्यक्ष ने दावा किया कि- प्रधानमंत्री जी ने सच्चे मन से देश के किसानों के हित में कानून बनाये थे। जिससे किसानो का काफी लाभ होता परन्तु कथित किसान नेताओ और विपक्षी दल प्रधानमंत्री जी को निशाना बनाकर उनकी छवि की धूमिल कर रहे थे। जिससे आहत होकर प्रधानमंत्री जी ने तीनों किसान हितैषी कृषि बिलो को वापस लेने का फैसला लिया जो कि काफी दुर्भाग्य पूर्ण है। राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन प्रधानमंत्री मोदी जी किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के नाम पर की गयी साजिशों को बेनकाब करने की मांग करेगी।
राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन के कई पदाधिकारियों ने पुरजोर मांग करते हुए कहा कि उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाये जिन्होने किसान आंदोलन की आड़ में देश विरोधी गतिविधियों (Anti National Activities) को अंज़ाम दिया। ऐसी सियासी पार्टियों और देश विरोधी संगठनों की जांच होनी चाहिये। साथ ही इन कवायदों में किन लोगों फड़िंग की ऐसे लोगों की धरपकड़ होनी चाहिये। इनके खिलाफ कार्यवाही की मांग को लेकर हमारी यूनियन राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलायेगी और कथित किसान नेताओं और इनकी साज़िश में शामिल राजनैतिक दलों को बेनकाब करेगी। साथ ही हम मांग करते है कि किसान हितैषी तीनों कृषि बिलों की वापसी के फैसले पर दुबारा मशविरा किया जाये।