न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): हाल ही में दिल्ली में शासन शक्तियों के बंटवारे को लेकर मोदी सरकार और अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) के बीच ठनी हुई है। अब मोदी सरकार ने अरविंद केजरीवाल की भावी मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना को बड़ा झटका देते हुए इस सियासी खींचतान को और ज़्यादा बढ़ा दिया है। 25 मार्च से शुरू होने वाली पीडीएस सिस्टम के तहत राशन की डोर स्टेप डिलीवर पर केंद्र सरकार की ओर से लगी तत्काल रोक से आम आदमी पार्टी में भारी बौखलाहट देखी जा रही है।
केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली के खाद्य आपूर्ति सचिव को ये योजना शुरू न करने के लिए आधिकारिक चिट्ठी (Official letter) लिखी जा चुकी है, जबकि दूसरी ओर दिल्ली सरकार ने इसे अमलीजामा पहनाने के लिए काफी पहले निविदा प्रक्रिया (Tender process) शुरू कर चुकी है। दिल्ली सरकार की मुताबिक योजना का पूरा खाका तैयार था। इसे 25 मार्च को लॉन्च किया जाना। उससे पहले केन्द्र के आवंछनीय हस्तक्षेप ये योजना खटाई में जाती दिख रही है। आम आदमी पार्टी ने केन्द्र सरकार से पूछा कि दिल्ली में राशन माफ़िया को खत्म करने के खिलाफ केन्द्र सरकार क्यों खड़ी है?
इस मामले पर केंद्र सरकार में साफ किया कि उसके द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act) के तहत सभी राज्यों को राशन मुहैया करवाया जाता है। ऐसे में तयशुदा प्रशासनिक प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं लाया जाना चाहिए। माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल पूर्वी दिल्ली के सीमा पूर्वी सर्कल में 100 लोगों के घरों में मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना के तहत डोर स्टेप राशन डिलीवरी करके इस योजना का उद्घाटन करने वाले थे। इसे योजना को 1 अप्रैल से पूरी दिल्ली में लागू किया जाना था।
आम आदमी पार्टी ने दावा किया कि, डोर स्टेप डिलीवरी व्यवस्था लागू होने के बाद से राजधानी दिल्ली में सरकारी राशन की कालाबाजारी और राशन माफिया (Ration Mafia) का खात्मा करने में बड़ी मदद मिलेगी। गौरतलब है कि ये योजना काफी पहले लागू कर दी गई होती, लेकिन पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के तहत आने वाली राशन की दुकानों पर बायोमेट्रिक मशीनें इंस्टॉल ना होना पाने के कारण इसे लागू करने में देर हुई।
दिल्ली सरकार की ओर से इस योजना को जमीनी हकीकत में बदलने का एक्शन प्लान बहुत पहले जारी कर दिया गया था। इसके अंतर्गत राजधानी दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर 17 लाख लोगों को इस योजना का फायदा देने की रूपरेखा तैयार की गई थी। साथ ही इसमें दिल्ली सरकार की ओर से गेहूं ना देकर आटा दिये जाने के प्रावधान को योजना के मसौदे में शामिल किया गया था।