बिजनेस डेस्क (राजकुमार): भारतीय रिजर्व बैंक (RBI- Reserve Bank of India) ने आज (6 अप्रैल 2023) अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति का ऐलान किया। गवर्नर शक्तिकांत दास (Governor Shaktikanta Das) ने मौद्रिक नीति के बयान का ऐलान करते हुए चालू वित्त वर्ष में पहली बार रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर कायम रखते हुए इसमें कोई बदलाव नहीं किया। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC- Monetary Policy Committee) ने सर्वसम्मति से रेपो दर में भी फेर बदलाव नहीं किया, ये अभी भी 6.50 फीसदी पर कायम है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि, “एमपीसी ने भी छह में से पांच सदस्यों के बहुमत से ये फैसला लिया। ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति (Inflation) लगातार इजाफे के टारगेट के साथ इसे अलाइन किया जा सके। इस अस्थिरता के बीच भारत में बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवा क्षेत्र सेहतमंद बना हुआ है, और वित्तीय बाजार व्यवस्थित तरीके से विकसित हुए हैं। आर्थिक गतिविधि लचीली बनी हुई है, और वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि वित्त वर्ष 23 में 7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।”
दास ने आगे कहा कि- “चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में 6.5 फीसदी का उछाल आने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा मुद्रास्फीति के घटकर 5.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF- Standing Deposit Facility) 6.25 फीसदी और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी यानि एमएसएफ (MSF- Marginal Standing Facility) रेट और बैंक रेट 6.75 फीसदी रहेगा, इसमें किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जायेगा। रेपो रेट को रोकने का फैसला सिर्फ इसी बैठक के लिये है। एमपीसी अपनी भविष्य की बैठकों में जरूरी कार्रवाई करने में कोई संकोच नहीं करेगी।”
आरबीआई के एमपीसी ने मई 2022 से पिछले 11 महीनों में रेपो दर में 250 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की है। रेपो दर प्रमुख उधारी दर है जिसके जरिये से आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों के मद्देनजर पैसा उधार देता है।