न्यूज डेस्क (निकुंजा वत्स): भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Governor Shaktikanta Das) ने आज औपचारिक घोषणा करते हुए कहा कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर कायम रखते हुए इसमें किसी तरह का कोई बदलाव ना करने का फैसला लिया। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि एमपीसी को छह में से पांच सदस्यों ने इस फैसले पर अपनी सहमति जतायी। इस फैसले के साथ ही ‘विड्रॉल ऑफ एक्मोडेशन’ पर ध्यान देने के साथ ही बढ़ती मुद्रास्फीति दर को इसके साथ अलाइन किया जायेगा।
दास ने कहा कि- “हेडलाइन मुद्रास्फीति 4 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर है और बाकी बचे वित्तीय वर्ष के दौरान इसके बने यूं ही बने रहने की उम्मीद है। वैश्विक आर्थिक गतिविधि की रफ्तार साल 2023 में कम होने की उम्मीद है, ये मुख्य रूप से इसलिये है क्योंकि ये उच्च मुद्रास्फीति, तंग वित्तीय हालासों और जियो-पॉलिटिकल तनावों से नीचे खींची जा रही है, जो कि अभी भी जारी है।
बता दे कि मौद्रिक सख्ती की रफ्तार हाल के महीनों में धीमी हो गयी है, लेकिन आगे भविष्य में इसकी राह और रफ्तार को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, क्योंकि ये दुनिया भर में मुद्रास्फीति लक्ष्य से ऊपर लुढ़क रही है। केंद्रीय बैंक ने FY24 के लिये खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) के अनुमान को 5.2 प्रतिशत से घटाकर 5.1 प्रतिशत कर दिया।
आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि- “वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP – Gross Domestic Product) की वृद्धि दर 8 प्रतिशत, इसके बाद दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। 2023-24 के पूरी वित्त वर्ष के दौरान RBI ने GDP वृद्धि के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बनाये रखा।
अप्रैल में आरबीआई के एमपीसी ने सर्वसम्मति से देश की मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये मई 2022 से लगातार 250 बेसिस प्वाइंट के इजाफे के बाद रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर रखते हुए इसमें किसी तरह का बदलाव ना करने का फैसला लिया। केंद्रीय बैंक ने अप्रैल में अपनी द्वैमासिक बैठक में समायोजन वापस लेने (Withdrawal of accommodation) के अपने रुख को बनाये रखा।
गौरतलब है कि बीते अप्रैल महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI- Consumer Price Index) आधारित मुद्रास्फीति आरबीआई के 2-6 फीसदी टारगेट बैंड के भीतर मार्च में 5.7 प्रतिशत से घटकर 18 महीने के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर आ गयी।
अपने संबोधन में दास ने कहा कि- “स्थायी जमा सुविधा (SDF- Standing deposit facility) की दरें 6.25 प्रतिशत पर अभी भी कायम है, इनमें किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है। साथ ही सीमांत स्थायी सुविधा (MSF- Marginal Permanent Facility) दर और बैंक दरें 6.75 फीसदी पर बनी हुई हैं।