नई दिल्ली (ब्यूरो): मौजूदा वक्त की कड़वी सच्चाई ये है कि, पूरी दुनिया कोरोना वायरस की जद में आ चुकी है। इसके इंफेक्शन से कई लोग बेमौत मारे गए हैं। मौजूदा हालातों में वायरस इंसानियत का सबसे बड़ा दुश्मन बना हुआ है। तकरीबन सभी देश की सरकारें इससे जूझ रही है। दुनिया भर के वैज्ञानिक, नैनो-टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ और फार्मास्यूटिकल कंपनियां इस खतरनाक वायरस से लड़ने के लिए, कारगर तरीके ईजाद करने की जद्दोजहद में लगी हुई है।
मगर जैसा कि कहा जाता है कि, रात कितनी भी स्याह काली हो, आखिर में उम्मीदों से भरा खूबसूरत सवेरा दस्तक देता है। ना-उम्मीदी के इस माहौल में राहत भरी कुछ खबरें सामने आ रही हैं। वैज्ञानिकों का एक दल नीद्लेमन और वुन्स्च अल्गोरिथम की कॉम्पलेक्स कैलकुलेशन से इस नतीजे पर पहुंचा है कि, कोरोना वायरस का संक्रमण इंसान के शरीर में छुपे एक सेल से दूसरे सेल में होता है। डीएनए स्ट्रक्चर की सीक्वेंसिंग को एक दिशा में लाकर कोरोनावायरस के असर का खात्मा पूरी तरह से किया जा सकता है। यही वजह है कि दुनिया भर के कई बड़े देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल संक्रमण से बचने के लिए हथियार के तौर पर कर रहे हैं। ताकि कोरोना के बढ़ते प्रकोप पर लगाम कसी जा सके।
इसके साथ ही तकनीकी मोर्चे पर एक और खुशखबरी आ रही है कि, रिलायंस जिओ और भारती एयरटेल ने कोरोना एसेसमेंट टूल ईजाद किए हैं। इनका इस्तेमाल करते हुए कोरोना इन्फेक्शन की जांच की जा सकेगी। ये टूल्स यूजर से उनकी सेहत और हाल फिलहाल में किये गये, उनके सफर के बारे में पूछता है। जिसके बाद यह टूल जानकारी देता है कि, यूजर को कोरोना इंफेक्शन है या नहीं।
अगर आप रिलायंस जिओ का टूल इस्तेमाल करना चाहते हैं तो, ये माय जिओ आसानी से उपलब्ध है। दूसरी और भारती एयरटेल ने अपोलो हॉस्पिटल्स के साथ कोलैबोरेशन में कोरोना एसेसमेंट टूल बनाया है। ये टूल एयरटेल थैंक्स ऐप से डाउनलोड किया जा सकता है। आप लोगों से गुजारिश है कि, घरों में रहे। आपकी मदद के लिए साइंटिस्ट, रिसर्चर, और टेक्नोक्रेट मैदान में डटे हुए हैं। इंफेक्शन को लेकर सतर्कता और जागरूकता बनाए रखें। इंसानियत और कोरोना वायरस के बीच छिड़ी इस जंग में इंसानों की ही जीत होगी।