नई दिल्ली (स्तुति महाजन): सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) मौत मामले में मादक पदार्थों के कथित इस्तेमाल में रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) को फिलहाल कोर्ट से कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। आज कोर्ट ने उनके वकील सतीश मानशिंदे (Lawyer satish manshinde) द्वारा लगायी जमानत याचिका को खाऱिज कर दिया। जैसे ही ये खब़र भायकुला जेल में रिया को मिली तो वो फूट-फूटकर रोने लगी। अदालत ने रिया को 22 सितंबर तक 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा है। ऐसे में रिया को अब रविवार तक जेल में रहना ही पड़ेगा। यदि जमानत के लिए तत्काल सुनवाई भी होती है तो इसके लिए उनके वकील को सोमवार तक इंतज़ार करना पड़ेगा। अभी तक रिया दो दिनों तक जेल की हिरासत में समय बीत चुका है।
इसके साथ ही मामले में कथित तौर पर दूसरे आरोपी शौविक, अब्दुल बासित, जैद विलात्रा, दिपेश सावंत और सैमुअल मिरांडा को भी जमानत नहीं मिली। कयास लगाये जा रहे है कि ये सभी आने वाले वक्त में जमानत की अर्जी के लिए मुंबई उच्च न्यायालय (Mumbai High Court) का रूख़ कर सकते है। सुनवाई के दौरान नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (Narcotics Control Bureau) ने न्यायाधीश से कैज़ान इब्राहिम की जमानत याचिका रद्द करने की अपील की। एनसीबी के दावे के मुताबिक सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े ड्रग्स ऐंगल के तहत गिरफ्त में लिये गये सभी आरोपियों की सीधी बातचीत कैज़ान इब्राहिम से है। ऐसे में अगर उसे जमानत पर रिहाई दे दी जाती है तो जांच प्रक्रिया में बाधा पहुँच सकती है।
रिया की जमानत अर्जी का मसौदा सतीश मानशिंदे की देखरेख में तैयार किया गया था। दायर की गयी अर्जी में रिया ने दावा किया कि- एनसीबी अधिकारी जांच-पड़ताल के नाम पर उन पर दबाव बनाकर बयान देने के लिए मजबूर कर रहे है। मामले में उन्हें फंसाया जा रहा है जबकि उन्होनें कोई जुर्म किया ही नहीं। सीबीआई, ईडी और एनसीबी (CBI, ED and NCB) लगातार मामले की जांच कर रही है। जिसकी वजह से उनकी दिमागी सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। मामले से जुड़े तीन कथित आरोपियों की जमानत अर्जी अदालत ने मंजूर कर ली है। मौजूदा केस एनडीपीएस अधिनियम की धारा 27 (ए) के अन्तर्गत दर्ज किया गया है। जबकि रिया और उनके भाई के पास से ड्रग्स की कोई बरामदगी नहीं की गयी है।
रिया की गिरफ्तारी नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act Act) की धारा 8c, धारा 20b, धारा 27A, धारा 28 और 29 के अन्तर्गत हुई है। अगर वे दोषी पायी गयी तो 10 की सज़ा के सीधे प्रावधान है। ऐसे में रिया के पास सिर्फ दो ही रास्ते बचते है। पहला वो निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायलय में चुनौती दे। दूसरा औऱ आखिरी सुप्रीम कोर्ट का रास्ता। दोनों ही विकल्पों का इस्तेमाल करने से पहले वकील सतीश मानशिंदे का काफी मेहनत करनी पड़ेगी। नये सिरे से दलीलें और दावें तैयार करने होगें क्योंकि अगर इन्ही दलीलों और दावों का इस्तेमाल वे आगे करते है उन्हें फौरन नकार दिया जायेगा क्योंकि जो दलीलें निचले अदालत में नहीं टिकी उन्हें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी तव्ज़्जों नहीं देगा। ऐसे में जमानत मिलना भी काफी मुश्किल हो जायेगा। एनडीपीएस एक्ट के अन्तर्गत छह महीने के भीतर चार्जशीट फाइल करना होता है। आने वाले हालात रिया के लिए काफी मुश्किल भरे रहने वाले है।