न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): गुलाम नबी आजाद के इस्तीफा देने के कुछ दिनों बाद कांग्रेस पार्टी (Congress Party) की हरियाणा इकाई में दरार पैदा हो गयी है, हाल ही में कुमारी शैलजा (Kumari Selja) ने पार्टी आलाकमान को लिखा कि भूपिंदर सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) की आजाद के साथ बैठक से कई कांग्रेसी कार्यकर्ता भ्रमित और निराश है। पार्टी के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय की सदस्या शैलजा ने हुड्डा के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी है, जिनसे बागी नेता से मिलने के लिये जवाब मांगा गया है।
पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में पूरी तरह से बदलाव की मांग करने वाले 23 नेताओं में से एक हुड्डा ने बीते मंगलवार (30 अगस्त 2022) को आजाद से उनके दिल्ली वाले घर पर मुलाकात की। इस दौरान आनंद शर्मा और पृथ्वीराज चव्हाण (Anand Sharma and Prithviraj Chavan) भी आजाद से मिले।
बता दे कि आजाद ने कांग्रेस पार्टी की हालत के लिये राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि वो अपने पीए और सुरक्षा अधिकारियों की सलाह फैसले लेंगे। उन्होंने ये भी दावा किया कि गांधी परिवार रिमोट कंट्रोल से कांग्रेस पार्टी को चलाता हैं, हालिया दिनों में राहुल गांधी का रवैया काफी बचकाना और अपरिपक्व था।
बाद में हुए एक इंटरव्यूह के दौरान गुलाम नबी आजाद ने दावा किआ कि वो 50 सालों तक कांग्रेस से जुड़े रहे और गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया। राहुल गांधी ने डेढ़ साल तक प्रवक्ता जयवीर शेरगिल (Spokesperson Jaiveer Shergill) से मुलाकात नहीं की। शेरगिल ने बीते महीने पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया था।
शैलजा ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के हरियाणा प्रभारी विवेक बंसल (Vivek Bansal) समेत पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के सामने ये मामला उठाया।
मामले पर कुमारी शैलजा ने कहा कि- ”हुड्डा वहां (गुलाम नबी आज़ाद के घर) जा रहे हैं। जब उन्होंने (गुलाम नबी आज़ाद) पार्टी छोड़ दी, कांग्रेस नेतृत्व को दोषी ठहराया और हमारे नेताओं के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी भी की, साथ ही पार्टी को निराश किया। पार्टी के रैंक और फाइल और उन्हें भ्रमित भी करते हैं। उन्होंने (आजाद) एक रास्ता चुना है और पार्टी छोड़ दी है। पहले ही अपनी पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया। ऐसे में हुड्डा का उनसे मिलने का क्या मतलब है? आखिर वो आज़ाद के घर क्यों गये?
पार्टी के साथ हुड्डा के अंदरूनी मतभेदों पर शैलजा ने कहा कि आजाद के साथ उनकी मुलाकात स्वीकार्य नहीं थी, खासकर जब उन्हें हरियाणा में पार्टी चलाने के लिये खुली छूट दी गयी थी।