न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): पाकिस्तानी-कनाडाई पत्रकार और स्तंभकार तारेक फतह (Tarek Fatah) का सोमवार (24 अप्रैल 2023) को लंबी बीमारी से जूझने के बाद निधन हो गया। इस खब़र की पुष्टि उनकी बेटी नताशा फतह (Natasha Fatah) ने सोशल मीडिया पर की। तारेक फतह का 73 साल के थे और वो लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। तारेक फतह मशहूर पत्रकार और इस्लाम के आलोचक थे और कई सालों से पाकिस्तान सरकार (Government of Pakistan) के कामकाज के वो बड़े आलोचक रहे है। उन्हें पाकिस्तानी सेना ने कई बार कैद और नज़रबंद भी किया था। गाहे बगाहे कई मौकों पर उन्होंने अपने भारतीय मूल के होने पर गर्व ज़ाहिर किया था।
तारेक की बेटी नताशा फतह ने ट्विटर पर उनकी मौत की खबर की पुष्टि करते हुए लिखा कि, “पंजाब का शेर, हिन्दुस्तान का बेटा, कनाडा का प्रेमी, सच की आवाज़, न्याय के लिए लड़ने वाला, दलितों और शोषितों की आवाज तारेक फतह की दुनियावी पारी हुई पूरी। उनकी क्रांति उन सभी के साथ जारी रहेगी जो उन्हें जानते और प्यार करते थे।”
बता दे कि पत्रकार तारेक फतह के परिवार में दो बेटियां नताशा और नाजिया (Nazia Fatah) हैं। तारेक फतह का जन्म पाकिस्तान के कराची (Karachi) में पंजाबी-मुस्लिम परिवार में हुआ था। उन्होंने अक्सर कई इंटरव्यूह में जिक्र करते आये है कि उनका परिवार मूल रूप से राजपूत था लेकिन उन्हें ज़बरन इस्लाम (Islam) कबूल करवाया गया। उनका परिवार भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद मुंबई से कराची आ गया था।
तारेक फ़तह अपने करियर के शुरुआती दिनों में बतौर पत्रकार द कराची सन के लिये काम किया। वो अक्सर पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ बोलते थे। पेशेवर पत्रकारिता करते हुए तारेक फतह को पाकिस्तानी सेना ने कई बार कैद किया। आखिरकर उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया।
साल 1987 में वो कनाडा (Canada) चले गये और पत्रकार के तौर पर काम करना जारी रखा। वो अक्सर खुद को पाकिस्तान में पैदा हुआ भारतीय कहते थे उन्हें भारत में अपनी जड़ों पर बहुत गर्व था। वो अक्सर चुटीली और दिलचस्प तकरीरें दिया करते थे, जिनमें खासतौर से शामिल है, “मैं पाकिस्तान में पैदा हुआ भारतीय हूं, इस्लाम में पैदा हुआ पंजाबी हूं; कनाडा में मुस्लिम चेतना के साथ अप्रवासी और मार्क्सवादी युवा हूँ। मैं सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) के कई मिडनाइट्स चिल्ड्रन में से एक हूं: हमें महान सभ्यता के पालने से छीन लिया गया और स्थायी शरणार्थी बना दिया गया।”
वो इस्लाम के कट्टर आलोचक थे और अक्सर पाकिस्तानी सरकार के कामकाज और कुछ इस्लामिक प्रथाओं के खिलाफ भारतीय समाचार टीवी बहस में खुलकर बोलते थे।