तैयार है World War-III का Roadmap, 14 अहम और पुख़्ता बातें

जब कोई बीमार शख़्स डॉक्टर के पास जाता है तो डॉक्टर लक्षणों के आधार पर बीमारी तय कर दवाई देता है। अगर दवाई से आराम ना मिले तो आगे दूसरी मेडिकल जांच की जाती है। ठीक इसी तर्ज पर तीसरे विश्व युद्ध के अहम और पुख़्ता लक्षण उभरते दिख रहे है। फिलहाल इस कहानी की पटकथा में दो अहम किरदार है बीजिंग और वाशिंगटन (Washington) । इसके साथ कहानी में कुछ सिपहसालार (भारत, जापान) और कुछ दुश्मन के प्यादे (पाकिस्तान, उत्तर कोरिया) भी है। लड़ाई का मैदान डिजिटल होगा, स्पेस होगा या फिर ज़मीनी घेराबंदी ये कहना मुश्किल है। लेकिन अमेरिका और चीन के बीच चल रहे शीतयुद्ध (Cold war) ने पलीते में आग लगा दी है। अब देखना ये है कि इसकी आंच कहां-कहां और किस तरह पहुंचेगी। पिछले कुछ घटनाक्रम पर सिलसिलेवार तरीके से नज़र डाले तो कड़ी-दर-कड़ी जुड़कर यहीं बानगी नज़र आ रही है। मौजूदा कोरोना संकट इस सुलगते माहौल में पेट्रोल का काम करता दिख रहा है। आइये नज़र डाले उन कड़ियों पर जो तीसरे विश्व युद्ध की आहट को पुख़्ता कर रही है।

1. कोरोना वायरस- दुनिया भर में फैले कोरोना संकट के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (President Donald Trump) चीन को दोषी मानते है। ट्रम्प के मुताबिक चीन ने ये हरकत इरादतन तौर पर की है। उन्होनें दावा किया कि, अमेरिका वक़्त आने पर चीन का पर्दाफाश करेगा। विदेश सचिव माइक पोम्पियो (Foreign Secretary Mike Pompeo) भी कई मंचो पर बीजिंग का घेराव कर चुके है। जिससे चीन बुरी तरह बौखलाया हुआ है। कहीं ना कहीं चीनी हुक्मरानों को लगता है कि अमेरिका का ये रवैया अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन की विश्वसनीयता और छवि को बुरी तरह धूमिल करेगा। दोनों ओर की कूटनीतिक तल्खियों के चलते हालात काफी नाज़ुक मोड पर आ टिके है। इंफेक्शन फैलाने के अमेरिकी आरोपों पर चीनी सत्तानायक रोजाना स्पष्टीकरण जारी कर रहे है। ये कहीं ना कहीं उनकी खीझ है। जिस तरह से इस मुद्दे पर व्हाइट हाउस (White House) रोजाना निशाना साध रहा है, उसे देखते हुए लगता है कि चीन अपने धैर्य के चरमबिन्दु तक पहुँच गया है।

2. दक्षिण चीन सागर में सामरिक उथल-पुथल- इस समुद्री हिस्से में लंबे समय से वियतनाम, लाओस, फिलिपींस, जापान और चीन (Vietnam, Laos, Philippines, Japan and China) के बीच तनातनी होती रहती है। हाल ही में इलाके में अमेरिकी नेवी फ्लीट (American navy fleet) का दखल हुआ है। इस दौरान चीन ने क्षेत्र में दबदबा कायम करने के लिए युद्धाभ्यास किया। ज़वाब में अमेरिकी Marine Corps ने F-35B और B-2 बॉम्बर्स उड़ाकर साउथ चाइना सी में अपनी मंशा साफ कर दी। इस दौरान अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर (US Defense Minister Mark Asper) ने दावा किया कि, लड़ाकू विमानों को उड़ाना सांकेतिक संदेश था। उम्मीद है कि हमारी बात कुछ खास लोगों तक पहुँच चुकी होगी। इस दौरान PLA की NAVAL Unit ने बौखलाहट/घबराहट के चलते Anti Submarine विमानों को गश्त पर लगा दिया है। फिलहाल दोनों ओर की सेनायें बेहद आक्रामक और हाईअलर्ट मोड पर है।  

3. चीनी कंपनियों की अमेरिका से विदाई- ट्रम्प प्रशासन ने New York Stock Exchange और NASDAQ में लिस्टेड चीनी कम्पनियों को बाहर जाने का फरमान जारी कर दिया। जिसकी वज़ह से चीनी कंपनियों को तगड़ा आर्थिक नुकसान पहुँचना तय है। जैसे ही ये ख़बर बाज़ार में आयी तो NYSE और NASDAQ में चीनी कंपनियों को शेयर्स औधें मुँह गिरने लगे। दूसरी ओर चीन में काम कर रही अमेरिकी कंपनियां वहां से निकलने के लिए विकल्प तलाशने लगी है। ज़्यादातर अमेरिकी कंपनियां (American companies) अब भारत और ताइवान की ओर रूख़ कर रही है। ट्रेड वॉर (Trade war) के तहत 33 चीनी कंपनियों को अमेरिकी प्रशासन ने ब्लैक लिस्ट कर दिया है। फिलहाल दोनों ओर की कंपनियों और औद्योगिक इकाइयां (Industrial units) काफी तेजी से अपने आर्थिक हित समेट रही है। इस तरह का कारोबारी नुकसान चीनी हुक्मरानों की सहन क्षमता से बाहर है। ऐसे में वे हर तरह के विकल्पों पर विचार कर सकते है।

4. मालद्वीव के कृत्रिम टापू पर चीनी सैन्य अड्डे- चीन, अमेरिका के साथ तनातनी के बीच वाशिंगटन से करीबी संबंध रखने वाले देशों पर भी नज़रे गड़ाये बैठा है। जिसके लिए वो दक्षिण एशिया में अपनी खास़ पैठ बनाकर भारत पर निशाना साधने की फिराक में है। क्योंकि चीन ये अच्छे से जानता है कि, अगर भारत की सामरिक घेराबंदी की जाती है तो अमेरिकी ताकतें जरूर बीच में हस्तक्षेप करेगी। साल 2016 के दौरान मालद्वीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन (Maldives President Abdulla Yameen) से PLA ने 16 द्वीप लीज पर लिये थे। सैटेलाइड तस्वीरें के मुताबिक अब चीन ने यहां पर काफी समृद्ध सैन्य ठिकाने बना लिये गये है। इन सामरिक ठिकाने से चीन हिंद महासागर (Indian ocean) के पास स्थित किसी भी दक्षिण एशियाई देश पर 25 मिनट के अन्दर हमला कर बढ़त बना सकता है। भारत पर दबाव बनाने और भारत के बहाने अमेरिका को आंख दिखाने के लिए चीन के पास ये अचूक सैन्य चाल है।

5. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव- बहुत जल्द ही अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव (US presidential election) होने वाले है। रिपब्लिकन पार्टी (Republican party) एक बार फिर से ट्रम्प पर दांव आज़माना चाहती है। राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ट्रम्प की कोई बड़ी उपलब्धि नहीं रही है। वैश्विक स्तर पर उनकी छवि विदूषक, सनकी और सिरफिरे राष्ट्रपति वाली रही है। ऐसे में जनता के बीच चुनावी मैदान में जाने पहले चीन के बहाने वो राष्ट्रवाद की लहर पैदा करने की कोशिश करेगें। जिसके दम पर वोट हासिल कर, वाशिंगटन के सिंहासन पर दुबारा काब़िज हुआ जा सके। राष्ट्रवाद का भावनात्मक आलंबन (Emotional standoff of nationalism) कहीं ना कहीं बेहतरीन पॉलिटिकल माइलेज (Political mileage) देने वाला कामयाब नुस्खा है। ये बात ट्रम्प अच्छे से समझते है। सत्ता में वापसी का एकमात्र यहीं समीकरण उनके पास बचा है।

6. सिक्किम और लद्दाख में तनातनी- गलवान, चुमार वैली, पैगोंग झील, दौलत बेग ओल्डी, डेमचौक और सिक्किम में आये दिन भारतीय सेना और पीएलए के सैनिकों के बीच झड़प का माहौल बनता है। बीजिंग में बैठे सत्तानायक जानबूझकर इन कवायदों के लिए सैनिकों को उकसाते है, ताकि भारत से लगती वास्तविक नियन्त्रण रेखा पर तनाव बना रहे है। कहीं ना कहीं चीन इस बात की प्रतीक्षा में रहता है कि मामले पर अमेरिकी प्रतिक्रिया आये और उन्हें अमेरिका को नीचा दिखाना का मौका मिले। शी जिनपिन (Xi Jinpin) के सिपहसालार इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि जिस तरह से भारत-अमेरिकी संबंधों में मजबूती आयी है। उसे देखते हुए अमेरिका भारत के पक्ष में मजबूती से बना रहेगा। मानों कि चीन, दक्षिण चीन सागर की खीझ भारत से सटे मोर्चे पर निकाल रहा हो।

7. भारत से चीनी नागरिकों की निकासी- चीन काफी तेजी से अपने नागरिकों को भारत से निकाल रहा है। बीजिंग की ओर से दावा किया जा रहा है कि, भारत में वायरस इंफेक्शन (Virus infection) के मामलों में तेजी आ रही है। जिसके चलते चीन अपने नागरिकों को वापस बुला रहा है। LAC पर बढ़ते तनाव के बीच एकाएक वायरस इंफेक्शन के नाम चीनी नागरिकों (Chinese citizens) की वापसी अच्छा संकेत नहीं है। संभावित तौर इसे रणनीतिक पहलू (Strategic aspect) से देखा जा रहा है। वायरस इंफेक्शन फैलने के दर फ्रांस, इटली और स्पेन (France, Italy and Spain) में भारत से कहीं ज़्यादा रही है। ऐसे में उन देशों में चीन ने नागरिकों की वापसी की मुहिम क्यों नहीं चलाई। सिर्फ भारत ही क्यूं? क्या भारत में किसी संभावित हमले से पहले चीन अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी करवा रहा है?

8. संदिग्ध सैटेलाइट लॉन्च- इसी साल फरवरी महीने में दक्षिणी-पश्चिमी चीन के सिचुआन प्रांत (Sichuan Province) चार सैटेलाइट्स लॉन्च किये गये। शंघाई एकडेमी ऑफ स्पेस फ्लाइट टैक्नोलॉजी (Shanghai academy of space flight technology) ने दावा किया कि, इनका इस्तेमाल अर्थ ऑब्जर्वेशन टैक्नोलॉजी एक्सपेरिमेंट (Earth Observation Technology Experiment) में होगा। लेकिन संस्थान के दावे बहुत ज़्यादा संदिग्ध है। सामारिक विशेषज्ञ मानते है कि ये चारों जासूसी उपग्रह (spy satellite) है। दूसरी ओर चीन के एक पुराने खराब सैटेलाइट का टूटकर न्यूयॉर्क सिटी के ऊपर से निकलना। हालिया घटनाक्रम में ऐसा होना पुख़्ता तौर चीनी रणनीति माना जा सकता है। ये घटना पूर्वनियोजित शक्ति प्रदर्शन (Preplanned power display) भी हो सकती है। ताकि अप्रत्यक्ष रूप से चीनी आसमानी ताकत का वाशिंगटन को पैगाम दिया जा सके।

9. परमाणु परीक्षण की ओर बढ़ता अमेरिका- वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक 1992 के बाद अमेरिका जल्द ही परमाणु परीक्षण करने वाला है। इस वक़्त अमेरिकी परमाणु शस्त्रागार (American nuclear scribe) में तकरीबन 3800 परमाणु हथियार है। चीन से मिलने वाली चुनौती के दबाव में राष्ट्रपति ट्रम्प ये पहल करने जा रहे है। जिसके लिए वो शीर्ष सुरक्षा एजेन्सियों (Top security agencies) के प्रमुखों से मशवरा कर रहे है। तेजी से परमाणु परीक्षण (Nuclear test) करके ट्रम्प प्रशासन बीजिंग में बैठे हुक्मरानों को बुरी तरह चिढ़ा सकता है। जो कि सीधे तौर पर चीन के लिए नागवार होगा। अगर बदले की कार्रवाई के तहत शी-जिनपिन भी ऐसी घोषणा कर देते है तो हालात भयावह हो सकते है। दुनिया में परमाणु परीक्षण करने होड़ मचेगी सो अलग।

 10. चीन की नेपाल को शह- भारत अमेरिका के अभिन्न सहयोगी के तौर पर स्थापित हो चुका है। ऐसे में चीन लगातार नेपाल (Nepal) को लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा (Lipulekh, Kalapani and Limpiyadhura) के मसले पर उकसा रहा है। ताकि भारत को परेशान कर व्हाइट हाउस (White House) को आंखे दिखायी जा सके। और ये हुआ भी। जिस तरह से भारतीय सीमा पर चीन का दबाव बढ़ा है। अमेरिका ने बयान देते हुए चीन की भत्सर्ना की। अमेरिका के मुताबिक लद्दाख, सिक्किम (Ladakh, Sikkim) और लिपुलेख के मुद्दे पर पेइचिंग गलत तरीके से भारत पर दबाव बना रहा है।

11. हांगकांग और ताइवान बना अखाड़ा- लोकतन्त्र समर्थक लगातार हांगकांग (Hong Kong) में मुखर होते जा रहे है। चीन इन पर लगाम कसने के लिए नया कानून लेकर आया है, जिसके मुताबिक वो पहले की अपेक्षा ज़्यादा कड़े तेवरों के साथ प्रदर्शनकारियों (Protesters) से निपटेगा। हांगकांग में लंबे समय से चीन के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे है। कई कोशिशों के बाद भी चीन इस पर लगाम कसने में नाकाम रहा। प्रस्तावित नया कानून (Proposed new law) प्रदर्शनकारियों को बुरी तरह कुचलने की आज़ादी देगा। मानवाधिकार (human rights) की दुहाई देते हुए अमेरिका इस मसले में जरूर कूदेगा। नये कानून पर राष्ट्रपति ट्रम्प ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि- अगर चीन ने इस तरह के कदम उठाये तो वाशिंगटन कड़ी कार्रवाई करने से नहीं चूकेगा। दूसरी ओर ताइवान (Taiwan) में भी चीनी दखल बढ़ा है। चीन हांगकांग के तर्ज पर ताइवान में भी एक देश-दो व्यवस्था लागू करना चाहता है। ताइवान फलता-फूलता लोकतान्त्रिक राष्ट्र है,  ऐसे में उसके संप्रभु इलाकों में चीनी सेना के दखल से व्हाइट हाउस में काफी नाराज़गी है। ताइवान की राष्ट्रपति डॉ साई इंग वेन (President Dr. Sai Ing Wen) से अमेरिका की काफी नजदीकियां है। ये संबंध चीन को बेहद खटकते है। हाल ही में चीन ने जानबूझकर ताइवानी इलाके में हवाई घुसपैठ (Air intrusion) की। साथ ही गाइडेड मिसाइलों (Guided missiles) का भी परीक्षण किया। जिसके चलते राष्ट्रपति डॉ साई इंग वेन ट्रम्प से गुहार लगा चुकी है।

12. पीपुल्स लिबरेशन ऑर्मी का बजट बढ़ा- जहां एक ओर दुनिया के सभी देश वायरस इंफेक्शन के चलते भीषण आर्थिक संकट (Severe economic crisis) से जूझ रहे है। वहीं दूसरी ओर चीन ने अपने रक्षा बजट में भारी बढ़ोत्तरी की है। मौजूदा चीनी रक्षा बजट (Chinese defense budget) तकरीबन 179 अरब डॉलर है। ऐसे में ये बड़ा सवाल उठता है कि, कोरोना संकट के बीच जब सारे देश खस्ताहाल है तो चीन ने एकाएक अपने डिफेंस बजट में बढ़ोत्तरी क्यों की? बजट की एक बड़ी राशि सेना के आधुनिकीकरण (Army modernization) पर खर्च की जायेगी। अमेरिका के बाद सेना पर सबसे ज़्यादा रकम खर्च करने में चीन दुनिया का दूसरा देश बन गया है। विश्वस्तरीय नाज़ुक दौर के बीच सैन्य बजट बढ़ाने के पीछे आखिर चीन की क्या मंशा है?

13. चीन के उकसावे पर किम जोंग हुए आक्रामक- उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग (North Korean dictator Kim Jong) भी आक्रामक तेवर में दिख रहे है। ये बात दुनिया अच्छे से जानती है कि, किम जोंग सिर्फ-और-सिर्फ शी-जिनपिन की ही बात मानते है। जब अमेरिकी और चीनी रिश्ते नाज़ुक हालातों से गुजर रहे है। इसी बीच उत्तर कोरिया परमाणु परीक्षण करने जा रहा है। अमेरिका और उत्तर कोरिया की तल्खियां किसी से छिपी नहीं है। Inter-Continental Ballistic Missile का परीक्षण करके किसको और क्या संदेश देने की कोशिश की जा रही है, ये अच्छे से समझा जा सकता है।  

14. ग्वादर और OROB- एशिया पर दबाव बनाने के लिए चीन पाकिस्तान में बने ग्वादर बंदरगाह (Gwadar Port) और OROB का इस्तेमाल कर सकता है। इससे उसके Troops को इस इलाके में बेहतर Mobilization मिलेगा। इन सामरिक स्ट्रक्चरस् (Strategic Structures) की मदद से किसी भी तरह की ज़मीनी कार्रवाई में चीन चार कदम आगे रहेगा। अमेरिका किसी भी सूरत में पाकिस्तान (Pakistan) पर दबाव नहीं बना सकता कि, वो चीन को इन इलाकों के इस्तेमाल से रोक पाये। पाकिस्तान चीन के भारी निवेश के तले दबा हुआ है। चीन ग्वादर और OROB का इस्तेमाल करके अफगानिस्तान और मिडिल-ईस्ट (Afghanistan and Middle East) में बने अमेरिकी सैन्य ठिकानों (US military bases) को आसानी से अपनी जद में ले सकता है।    

सभी सिलसिलेवार कड़ियों को जोड़ने पर इस निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है कि, तीसरे विश्व युद्ध की आहट दस्तक दे चुकी है। चीनी नेतृत्व में सब्र की सीमा कम और आक्रामकता ज़्यादा है। ठीक इसी तरह का रवैया अमेरिका का भी है। ऐसे में भारत को सभी संभावित दशाओं (Potential conditions) का आकलन करके कूटनीतिक, राजनयिक और सामरिक योजनाओं (Diplomatic and strategic plans) का खाका खींचना शुरू कर देना चाहिए। फिलहाल भारतीय सुरक्षा बलों (Indian security forces) को चीन से लगे कम से कम चार मोर्चे पर समानान्तर युद्धाभ्यास (Parallel maneuvers) कर अपनी क्षमताओं को परखना चाहिए।

आउटपुट हेड

  • राम अजोर

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