हेल्थ डेस्क (यामिनी गजपति): सफदरजंग अस्पताल (Safdarjung Hospital) के डॉक्टरों ने एक मरीज का कामयाब रोबोटिक रीनल ट्रांसप्लांट (Robotic Renal Transplant) किया, जो कि सालों से डायलिसिस पर था और ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहा था। 39 वर्षीय मरीज उत्तर प्रदेश के फर्रूकाबाद का रहने बताया जा रहा है और मरीज की ही पत्नी उसके लिये डोनर बनी। सफदरजंग अस्पताल और वीएमएमसी (Safdarjung Hospital and VMMC) के अन्तर्गत यूरोलॉजी, रोबोटिक्स और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ) अनूप कुमार की अगुवाई में डॉक्टरों की एक टीम ने इस बड़े कारनामें को अंजाम दिया।
डॉक्टरों ने दावा किया कि ये एचओडी नेफ्रोलॉजी (Nephrology) डॉ हिमांशु वर्मा ने की। इसके अलावा एनेस्थीसिया (Anaesthesia) टीम की कमान डॉ मधु दयाल ने संभाली। इ देश में केंद्र सरकार द्वारा संचालित अस्पताल में की जाने वाली पहली ऐसी सर्जरी है। इस सर्जरी को डॉ अनूप कुमार (Dr. Anoop Kumar) के मुताबिक इस ट्रांसप्लांट में नेफ्रोलॉजी टीम की अगुवाई एचओडी नेफ्रोलॉजी डॉ हिमांशु वर्मा (Dr Himanshu Verma) कर रहे थे। इसके अलावा एनेस्थीसिया टीम की कमान डॉ मधु दयाल संभाल रहे थे। इसके साथ ही मेडिकल सुपरिटेनडेंट एसजेएच और वीएमएमसी प्रोफेसर (डॉ) बीएल शेरवाल ने हर संभव प्रशासनिक सहयोग मुहैया करवाया।
मामले पर डॉ अनूप कुमार ने कहा कि- रोबोटिक रीनल ट्रांसप्लांट यूरोलॉजी में तकनीकी रूप से काफी चुनौतीपूर्ण सर्जरी है क्योंकि इसके लिये रोबोटिक्स के साथ-साथ रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी से जुड़ी खास महारत की दरकार होती है।
प्रोसीज़र और पेचीदियों के बारे में बताते डॉ अनूप ने कहा कि, “ये रोबोटिक रीनल ट्रांसप्लांट था। सर्जन एक कंसोल पर बैठता है और उसके हाथ की गतिविधियों को फाइबर केबल के जरिये रोगी के ऊपर डॉक किये गये रोबोटिक आर्म तक पहुँचाया जाता है। गुर्दे की धमनी-शिरा और मूत्रवाहिनी एनास्टोमोसेस रोबोटिक सिस्टम के जरिये अंजाम दिये गये थे।”
डॉ कुमार ने दावा किया कि निजी अस्पतालों में ये सर्जरी करने में छह से सात लाख का खर्च आता है।