नई दिल्ली (शौर्य यादव): मेरठ, गाजियाबाद और दिल्ली (Meerut, Ghaziabad and Delhi) को हाई-स्पीड रेलवे लाइन से जोड़ने वाली 82 किलोमीटर लंबी रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS- Regional Rapid Transit System) का निर्माण कार्य जोरों पर है। मेगा प्रोजेक्ट की देखरेख करने वाली एजेंसी एनसीआरटीसी अगले कुछ हफ्तों में मेरठ सेंट्रल, फुटबॉल चौक, भंसाली और बेगमपुल को जोड़ने वाली एक सुरंग को पूरी तरह बनाकर तैयार कर देगी। कंपनी ने इसी साल अक्टूबर में बेगमपुल और गांधी बाग (Begumpul and Gandhi Bagh) के बीच सुरंग का पहला चरण पूरा किया।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम मेरठ में दो किलोमीटर लंबी समानांतर सुरंगों के निर्माण पूरा ध्यान लगाये हुए है। सुरंग खोदने वाली मशीन शाफ्ट जल्द ही मेरठ सेंट्रल स्टेशन (Meerut Central Station) पहुंच जायेगी। एनसीआरटीसी ने अब तक 1100 मीटर सुरंग खोदने का काम पूरा कर लिया है और ये भंसाली-बेगमपुल खंड को विकसित कर रहा है।
आखिर क्या है RRTS?
एनसीआरटीसी की वेबसाइट के मुताबिक एजेंसी का मकसद एनसीआर शहरों की यात्रा करने वाले लोगों के लिये हाई स्पीड मोबिलिटी ट्रांसपोर्टेशन सुविधा मुहैया करवाना है। मेट्रो और इन ट्रेनों में अंतर ये होगा कि इन लाइनों पर कम स्टेशन होंगे और ट्रांजिट की गति 160 किमी प्रति घंटे तक होगी।
ये ट्रेनें करीब 45-50 मिनट में 100 किलोमीटर की दूरी तय कर सकेंगी। चूंकि दिल्ली और मेरठ के बीच की दूरी लगभग 75 किमी है, इसलिए मुमकिन है कि दोनों शहरों के बीच सफर का वक्त एक घंटे से भी कम हो। ये हर तरह की कनेक्टिविटी विकल्प भी बनेगा। एजेंसी सिस्टम में रेलवे स्टेशनों, बस डिपो, हवाई अड्डों और मेट्रो स्टेशनों को इंटीग्रेट करेगी। एक बार पूरी तरह से चालू हो जाने के बाद, आरआरटीएस रोजाना अनुमानित आठ लाख यात्रियों को संभालेगा।
गाजियाबाद एकमात्र आरआरटीएस स्टेशन होगा जो यूपी सरकार के अधिकार क्षेत्र में होगा। गाजियाबाद स्टेशन में पांच एन्ट्री और एग्जिट प्वाइंट होंगे। ठीक इसी तरह दिल्ली में सराय काले खां (Sarai Kale Khan) में भी पांच एन्ट्री और एग्जिट प्वाइंट होंगे। इस लाइन पर 25 स्टेशन होंगे। मेरठ और दुहाई स्टेशनों पर चार एन्ट्री-एग्जिट प्वाइंट होंगे। प्रत्येक स्टेशन पर कम से कम 2 एन्ट्री-एग्जिट प्वाइंट होंगे।