न्यूज डेस्क (मातंगी निगम): आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ चल रही तनातनी के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने आज (24 सितम्बर 2022) मुख्य सचिव नरेश कुमार को दिल्ली जल बोर्ड (DJB- Delhi Jal Board) के अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया। मिल रही जानकारी के मुताबिक ये कथित मामला 20 करोड़ रूपये के गबन से जुड़ा हुआ है। जिन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की गयी है वो सभी उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Deputy Chief Minister Manish Sisodia) की अध्यक्षता वाले दिल्ली जल बोर्ड में अहम पदों पर थे।
सक्सेना ने मुख्य सचिव (Chief Secretary Naresh Kumar) से डीजेबी के उन अधिकारियों की पहचान करने को भी कहा है, जो कथित तौर पर फंड की हेराफेरी कर रहे थे। एलजी हाउस की ओर जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि मुख्य सचिव जिम्मेदारी तय करें और 15 दिनों के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपें। दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष और आप विधायक सौरभ भारद्वाज (AAP MLA Saurabh Bhardwaj) ने आज मीडिया के सामने कहा कि, हम इस तरह की हर जांच का स्वागत करते हैं। मनीष जी ने भी इस तरह की जांच की सिफारिश की थी।
अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली जल बोर्ड ने कथित तौर पर उपभोक्ताओं से पानी के बिल के तौर पर 20 करोड़ रूपये की रकम इकट्ठा की और इस रकम को कई सालों तक दिल्ली जल बोर्ड के बैंक खाते के बजाय निजी बैंक खाते में डाल दिया गया।
एलजी हाउस की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया कि- “डीजेबी ने तीन साल के लिये जून 2012 में एक आदेश के जरिये से पानी के बिल जमा करने के लिये अपने बैंकर कॉर्पोरेशन बैंक (Corporation Bank) को नियुक्त किया और धोखाधड़ी का पता चलने के बाद इसे 2016, 2017 और 2019 में भी रिन्यू किया गया। बदले में बैंक ने कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों का खुला उल्लंघन किया और डीजेबी अधिकारियों की मिलीभगत से निजी एजेंसी मेसर्स फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड को कैश और चेक इकट्ठा करने का काम सौंपा गया।
एलजी हाउस के अधिकारियों ने ये भी आरोप लगाया कि इस काम में बैंक ने भारी विसंगतियां और अनियमिततायें बरती बावजूद इसके बैंक के कॉन्ट्रैक्ट को आगे बढ़ाया गया, इन सब कवायदों के दौरान अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) डीजेबी के अध्यक्ष थे। ये सब जानने के बावजूद केजरीवाल की अध्यक्षता वाले बोर्ड ने कॉर्पोरेशन बैंक के कॉन्ट्रैक्ट को और आगे बढ़ा दिया, और बदले में मेसर्स फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड ने साल 2020 तक बैंक के कलेक्शन एजेंट के तौर पर काम किया।
एलजी हाउस के अधिकारियों ने बताया कि डीजेबी ने कोई कार्रवाई करने की बजाय ठेका बढ़ा दिया और सेवा शुल्क 5 रूपये से बढ़ाकर 6 रूपये प्रति बिल कर दिया। लोगों से इकट्ठा किये गये पानी के बिल फेडरल बैंक में जमा किये गये और मेसर्स और्रम ई-पेमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के निजी खाते में ट्रांसफर कर दिये गये। डीजेबी के बैंक खाते के बजाय तीसरे पक्ष के निजी बैंक खाते में डीजेबी की नकदी जमा करना डीजेबी और कॉर्पोरेशन बैंक के बीच अनुबंध समझौते का साफतौर पर उल्लंघन था।