न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने आज (15 अक्टूबर 2021) कहा कि देश की ‘स्वाधीनता से स्वतंत्रता’ तक की यात्रा अभी पूरी नहीं हुई है क्योंकि दुनिया में ऐसे तत्व हैं जिन्हें देश भारत की प्रगति और सम्मानजनक स्थान हासिल करने नागवारा लग रहा है। यदि सनातन मूल्य-व्यवस्था पर आधारित विश्व की कल्पना करने वाला धर्म भारत में प्रबल होता है तो उन “स्वार्थी ताकतों” की बेईमानी खुद ही नाकाम हो जायेगी।
वार्षिक विजयादशमी संबोधन में आरएसएस प्रमुख (RSS chief) ने कहा कि, "स्वतंत्र भारत के इस आदर्श के साथ वर्तमान परिदृश्य का आकलन करने पर हम पाते है कि स्वाधीनता (स्वतंत्रता/स्व-शासन) से स्वतंत्रता (शासन का स्व-मॉडल) तक की यात्रा करने पर महसूस हो रहा है कि अभी हम स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थों से काफी दूर है। दुनिया में ऐसे कई तत्व हैं जिनके लिये भारत की प्रगति और सम्मानित स्थान पर नागवारा लग रहा है। इससे उन ताकतें के स्वार्थों का सीधा नुकसान पहुंच रहा है।
आरएसएस प्रमुख का विजयादशमी संबोधन (Vijayadashmi Address) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के लिये काफी अहम माना जाता है। इस संबोधन में आरएसएस प्रमुख भविष्य की योजनाओं और दृष्टि को सभी स्वयंसेवकों के सामने रखते है। इसके साथ ही कई राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर आरएसएस पक्ष क्या है, इस पर भी तस्वीर वार्षिक संबोधन के जरिये से साफ हो जाती है। गौरतलब है कि दशहरा (Dussehra) या विजया दशमी, हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन महीने में नवरात्रि उत्सव के 9 दिनों के बाद 10 वें दिन मनाया जाता है।