न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): पीएम मोदी ने पाकिस्तान (Pakistan) और चीन पर हाल ही में सम्पन्न हुई शंघाई सहयोग संगठन की वर्चुअल बैठक (SCO Virtual Meet) के दौरान अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा था कि- भारत का मानना है कि कनेक्टिविटी को और अधिक गहरा करने के लिए यह आवश्यक है की एक दूसरे की संप्रभुता और टेरिटोरियल इंटीग्रिटी (Territorial Integrity) के सम्मान के मूल सिद्धातों के साथ आगे बढ़ा जाए। परन्तु, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि SCO agenda में बार-बार अनावश्यक रूप से द्विपक्षीय मुद्दों को लाने के प्रयास हो रहे हैं, जो SCO Charter और Shanghai Spirit का उल्लंघन करते हैं। इस तरह के प्रयास SCO को परिभाषित करने वाली सर्वसम्मति और सहयोग की भावना के विपरीत हैं।
पीएम मोदी के इस वक्तव्य के समर्थन में अब भारत का पुराना और भरोसेमंद दोस्त रूस उतर आया है। जिसके लिए मास्को ने इस्लामाबाद की जमकर निंदा की। रूसी मिशन के उपप्रमुख रोमन बाबुश्किन ने बीते गुरुवार के दौरान मीडिया से कहा कि- शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के दौरान पाकिस्तान को कश्मीर जैसे द्विपक्षीय मुद्दें का राग नहीं अलापना चाहिए था। जिसका जिक्र पीएम मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन के डिजिटल शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान किया था। एससीओ चार्टर में ये स्पष्ट है कि द्विपक्षीय मुद्दों को वार्ता का एजेंडा नहीं बनाया जायेगा। बहुपक्षीय सहयोग (Multilateral cooperation) की प्रगति के लिए ऐसी कवायदों से बचना होगा। रूस बतौर एससीओ अध्यक्ष ये मसला इस्लामाबाद के सामने रखेगा। हम अपनी तरफ से आश्वास्त करते है कि आगे से भविष्य में इस तरह की घटना दुबारा ना हो।
हालांकि इससे पहले भी मनोवैज्ञानिक और कूटनीतिक रूप से पाकिस्तान शंघाई सहयोग संगठन के मंच का इस्तेमाल द्विपक्षीय मुद्दों को उठाने के लिए कर चुका है। बीते सितंबर महीने के दौरान एससीओ के सदस्य देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के बीच वर्चुअल बैठक हुई। इस दौरान पाकिस्तानी डेलीगेट ने कश्मीर का गलता नक्शा पेश कर दिया। जिसके विरोध में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (National Security Advisor Ajit Doval) ने वर्चुअल बैठक का बहिष्कार कर दिया।