बिजनेस डेस्क (राजकुमार): रूस और यूक्रेन (Russia Ukraine Crisis) के बीच जारी संघर्ष न सिर्फ दोनों देशों को प्रभावित कर रहा है बल्कि अमेरिका, फ्रांस, भारत जैसे अन्य देशों को भी प्रभावित कर रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) द्वारा डोनेट्स्क और लुहान्स्क के क्षेत्रों को स्वतंत्र देशों के रूप में घोषित करने के बाद वित्तीय अस्थिरता (Financial Instability) कम होने लगी। जिसका असर रोजमर्रा की जरूरतों और सामान पर होना तय है।
बता दे कि कच्चे तेल की कीमतें साल 2014 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर है। भारत में इस असर आम नागरिकों के द्वारा रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली चीज़ों पर सीधा पड़ेगा। रूस दुनिया को तेल का तीसरा सबसे बड़ा सप्लायर है। जंग होने की मतलब सीधे तौर पर मंहगाई का बढ़ना होगा। इसलिए हमने उन चीजों की एक लिस्ट तैयार की है, जो रूस-यूक्रेन संकट के बीच भारत में महंगी हो सकती हैं।
पेट्रोल और डीजल के दाम
भारतीय आयात में तेल की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत है। बीते मंगलवार (22 फरवरी 2022) को ब्रेंट क्रूड ऑयल (Brent Crude Oil) 98 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा के दाम पर बिक रहा था। जिसका सीधा असर भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत पर पड़ेगा। अब प्रति बैरल दाम बढ़ने से पेट्रोल, डीजल के रेट पर भी काफी असर पड़ सकता है।
गेहूं की कीमतें
भारत गेहूं के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है और रूस दुनिया के लिये अनाज का सबसे बड़ा निर्यातक है। इतना ही नहीं यूक्रेन गेहूं का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक भी है। गेहूँ की सर्वाधिक आपूर्ति काला सागर क्षेत्र (Black Sea Region) से होती है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष से गेहूं की कीमत भी जल्द ही बढ़ सकती है।
धातुओं की कीमत
रूस पैलेडियम का सबसे बड़ा निर्यातक है – इस धातु का इस्तेमाल मोबाइल फोन के प्रोडक्शन में किया जाता है। अब कई देशों द्वारा रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा के साथ पैलेडियम (Palladium) की कीमत में भी इज़ाफा होने की पुख़्ता संभावना है। इसका सीधा असर मोबाइल की कीमतों पर भी पड़ेगा।
रसोई गैस, मिट्टी के तेल की कीमत
कच्चे तेल की कीमत सीधे घरेलू रसोई ईंधन जैसे एलपीजी की कीमत पर असर डालती है। एलपीजी और मिट्टी के तेल दोनों का ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है और इनकी कीमतों में इज़ाफा निश्चित तौर पर आम आदमी को प्रभावित करेगा।