Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच जो विदेशी वहां फंस गये हैं, वो अभी सोच सकते हैं कि उनका घर और देश क्या है। जब कोई शख़्स विदेश में कहीं फंस जाता है तो उसे सिर्फ दो चीजें याद रहती हैं – एक उनका देश, यानि उनकी मातृभूमि और दूसरा भगवान। पोलैंड के वारसॉ शहर (Warsaw city of Poland) में एक मंदिर है, जहाँ भारत के अलावा कई देशों के लोगों ने शरण ली है। वहां से निकलने वाले छात्रों से कई ऐसी बातें पता चलीं जो हैरान करने वाली थीं। इन छात्रों के साथ यूक्रेन के लोगों ने ट्रेनों और बसों में सफर के दौरान ज़मकर भेदभाव किया जाता था। नेपाल (Nepal) के तीन ऐसे छात्र भी मिले, जिनका आरोप है कि यूक्रेन से बाहर निकालने के लिये उनके दूतावास ने उनसे संपर्क तक नहीं किया।
इसे पढ़कर आप एक राष्ट्र के रूप में भारत की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि रूस ने यूक्रेन के खार्किव और सूमी (Kharkiv and Sumy) जैसे इलाकों से भारतीय छात्रों और अन्य विदेशी नागरिकों को निकालने के लिये 130 बसों का इतंज़ाम किया। रूस के राष्ट्रीय रक्षा नियंत्रण केंद्र के प्रमुख ने बताया कि ये सभी बसें भारतीय छात्रों को रूस के बेलग्रेड (Belgrade) इलाके में ले जायेगी जहां से ये छात्र भारत सरकार के ऑपरेशन गंगा के तहत अपने देश लौटेंगे।
रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने युद्ध के मैदान में फंसे भारतीय छात्रों के लिये क्या करें और क्या न करें के बारे में भी बताया है। युद्ध के मैदान में फंसे भारतीय छात्रों को क्या करना चाहिये और क्या नहीं, इसके बारे में पूरी जानकारी दी गयी। इसमें भारतीय छात्रों को रूसी भाषा में दो-तीन बातें बोलना सीखने को कहा गया है। मिसास के लिये: “हम भारतीय छात्र हैं”, “हम जंग में शामिल नहीं हैं”, और “हमारी मदद करें”। अगर भारतीय छात्र रूसी सैनिकों को रूसी भाषा में ये बातें कहते हैं तो उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा।
छात्रों को ये बताया गया कि क्या नहीं करना है।
- बंकर से बाहर न निकलें।
- भीड़-भाड़ वाले इलाकों से दूर रहें।
- विरोध और विद्रोही गुटों में शामिल न हों।
- सोशल मीडिया पर पक्ष लेने से बचें।
- सड़क पर पड़े किसी भी हथियार या विस्फोटक को बिल्कुल न छुएं।
- जहां सैन्य तैनाती होती है, वहां तस्वीरें न लेने और युद्ध वीडियो ना बनाने की सलाह दी जाती है।
- सायरन बजने पर बंकर में रहें।
छात्रों को ये बताया गया कि क्या करना है।
- बड़े समूहों में रहने के बजाय छोटे समूहों में रहें।
- व्हाट्सएप ग्रुप बनाये, उस पर अपना नाम, पता और दूसरी जानकारी साझा करें।
- आपको हर आठ घंटे में अपने अभिभावकों को अपने जगह/लोकेशन के बारे में बताना चाहिए।
- भारत सरकार द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबरों पर सम्पर्क में बने रहे।
- अगर आप कर्फ्यू वाले इलाके में फंस गये हैं तो बंकर के अलावा कहीं और शरण लें।
दुनिया का कोई भी देश हो, संकट कितना भी बड़ा क्यों न हो और जंग के हालात जो भी हों भारत हमेशा अपने नागरिकों के साथ खड़ा रहा है। और अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की अगुवाई में भारत सरकार (Indian government) ने 9 ऐसे ऑपरेशन चलाये हैं, जिनमें 2014 से 2022 के बीच 60 लाख से ज्यादा भारतीय नागरिकों को अलग-अलग देशों से निकाला गया है। जबकि संकट के दौरान अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने अपने नागरिकों को बचाने के लिये कभी गंभीर प्रयास नहीं किये। इसलिये भारत की ताकत को समझना जरूरी है।
अगस्त 2014 में जब लीबिया (Libya) में गृहयुद्ध चल रहा था, भारत सरकार ने अपने 1200 नागरिकों को निकाला। इसी तरह वर्ष 2015 में जब नेपाल में भूकंप आया था तो वहां फंसे 5,000 भारतीयों को वायु सेना द्वारा ऑपरेशन मैत्री के तहत सुरक्षित रूप से भारत लाया गया।
साल 2015 में ही जब यमन (Yemen) में लड़ाई चल रही थी, तब भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन राहत’ के तहत 4,640 भारतीय नागरिकों को निकाला। इसके अलावा भारत ने 41 देशों के 960 नागरिकों की जान भी बचायी।
साल 2016 में अफ्रीकी देश सूडान (African country Sudan) में गृहयुद्ध के हालात पैदा हो गये थे, जब भारत सरकार अपने 153 नागरिकों को खतरनाक हालातों से वापस ले आयी थी। जबकि बड़ी महाशक्तियों ने उस वक़्त अपने नागरिकों को मदद भेजने से इनकार कर दिया था।
कोविड -19 महामारी के दौरान भारत सरकार ने वंदे भारत मिशन के तहत 60 लाख भारतीय नागरिकों को विदेशों से निकाला। ये भारत के इतिहास में सबसे बड़ा ऑप्रेशन था, जब भारतीय नागरिकों विदेशों से निकालकर देश लाया गया। इसमें भारत सरकार चीन के वुहान (Wuhan of China) में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित देश लाने में भी कामयाब रही।
अब यूक्रेन में जंग के बीच ऑपरेशन गंगा (Operation Ganga) के तहत हजारों छात्रों को भारत लाया जा रहा है। इसके अलावा भारत के चार वरिष्ठ मंत्री इस समय यूक्रेन के पड़ोसी देशों में तैनात हैं और ऑपरेशन गंगा पर भी लगातार काम कर रहे हैं।