Russia Ukraine War: जंग के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने न्यूक्लियर डेटेरेंस फोर्स (Nuclear Deterrence Force) को अलर्ट पर रखने का फरमान दिया। ये बहुत बड़ी और ऐतिहासिक घटना है। क्योंकि इससे पहले 1962 के क्यूबा संघर्ष (Cuba conflict) के दौरान ऐसा हुआ था, जब क्यूबा में अमेरिका और सोवियत संघ आमने-सामने आ गये थे।
न्यूक्लियर डेटेरेंस फोर्स वो सैन्य बल हैं, जो किसी भी देश में परमाणु हथियारों को नियंत्रित करते हैं। और जब कोई मुल्क इन ताकतों को अलर्ट जारी करता है तो इसका मतलब है कि वो अपने परमाणु हथियारों को अपनी आत्मरक्षा और रक्षा के लिये तैयार रखने के लिए कह रहा है।
दुनिया में सिर्फ 9 देश हैं जिनके पास परमाणु हथियार हैं – रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इज़राइल, उत्तर कोरिया। और इन देशों में सबसे बड़ी परमाणु शक्ति रूस है।
रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं। अमेरिका के पास 5,800 परमाणु हथियार हैं, ब्रिटेन के पास 225, फ्रांस के पास 290, चीन के पास 350 और भारत के पास 156 हैं। यूक्रेन कभी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी परमाणु शक्ति था लेकिन 1990 के दशक में उसने अमेरिका और ब्रिटेन (Britain) के इशारे पर अपने परमाणु हथियारों को तबाह कर दिया। तो आज रूस यूक्रेन को अपने परमाणु हथियारों के खतरे से डरा सकता है, लेकिन यूक्रेन के पास परमाणु हथियार बिल्कुल नहीं है।
बेलारूस ने कहा है कि वो परमाणु हथियारों की तैनाती के लिये रूसी साज़ोसामान को अपनी सीमा में घुसने की मंजूरी देगा। ऐसे में रूस के परमाणु हथियार यूक्रेन के चारों तरफ होंगे। रूस, बेलारूस, क्रीमिया, काला सागर और पूर्वी यूक्रेन हर जगह से परमाणु हथियारों को लॉन्च करने में सक्षम होगा और ये बेहद ही खतरनाक हालात होगें।
ऐसे में बड़ा सवाल ये कि क्या रूस यूक्रेन के खिलाफ परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकता है? भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा था कि परमाणु हथियार दूसरे देशों को हम पर हमला करने से रोकते हैं, इसलिए वो “शांति के हथियार” हैं। यानि परमाणु बम हमला करने के लिये नहीं बल्कि दूसरे देशों पर दबाव बनाने के लिये होते हैं।
अंग्रेजी में इसके लिये स्ट्रेटेजिक डिटरेंस (Strategic Deterrence) शब्द का इस्तेमाल किया जाता है, जिसका मतलब है कि ऐसी शक्ति विकसित करना कि दुश्मन देश सोच भी न सके और हमला करने से पहले हजार बार सोचे। और व्लादिमीर पुतिन भी यही कर रहे हैं। वे नाटो (NATO) देशों और अमेरिका पर दबाव बनाने और यूक्रेन के भरोसे को तोड़ने के लिये परमाणु हथियारों को अलर्ट मोड पर रखना चाहते हैं। ऐसा इसलिए हैं, क्योंकि अब तक दुनिया में 13,000 से ज्यादा परमाणु हथियार विकसित किये जा चुके हैं। लेकिन आज तक इनका इस्तेमाल सिर्फ एक बार ही हुआ है।
साल 1945 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी (Hiroshima and Nagasaki) के जापानी शहरों पर अपना पहला और आखिरी परमाणु हमला किया। और इन हमलों में करीब 20 लाख लोगों की जान चली गयी। लेकिन उसके बाद से दुनिया में कभी भी परमाणु हमला नहीं हुआ।
एक और बात ये है कि भारत और चीन की परमाणु हथियारों पर ‘पहले इस्तेमाल नहीं’ की नीति है, जिसका मतलब है कि दोनों देश अपनी ओर से पहले परमाणु हमले नहीं करने की नीति अपनाते हैं। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और उत्तर कोरिया जैसे देश इस नीति का हिस्सा नहीं हैं। सोचिये कि ये कितनी बड़ी विडंबना है कि अमेरिका और फ्रांस जैसे देश, जो दूसरे देशों को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकते हैं और उन्हें खतरनाक मानते हैं, खुद इन परमाणु हथियारों पर ‘पहले उपयोग नहीं’ की नीति में विश्वास नहीं करते हैं।
जबकि रूस ने पिछले साल ही इस संबंध में नई नीति बनायी, जिसमें कहा गया है कि अगर रूस को लगता है कि उसके राष्ट्रीय हितों को नुकसान हो रहा है, तो वो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकेगा।